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    Delhi Assembly Election 2020 : मतदाताओं की चुप्पी से बढ़ी उम्मीदवारों की धड़कनें

    By Mangal YadavEdited By:
    Updated: Wed, 29 Jan 2020 12:06 PM (IST)

    नरेला सीट पर वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद लगातार तीन चुनावों वर्ष 1998 2003 व 2008 में कांग्रेस जीत दर्ज करती रही थी।

    Delhi Assembly Election 2020 : मतदाताओं की चुप्पी से बढ़ी उम्मीदवारों की धड़कनें

    नई दिल्ली [संजय सलिल]। हरियाणा की सीमा से सटी नरेला सीट पर आम आदमी पार्टी (आप) ने मौजूदा विधायक शरद चौहान पर दोबारा दांव लगाया है। भाजपा ने पूर्व विधायक नीलदमन खत्री को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस की ओर से नए चेहरे सिद्धार्थ कुंडु ताल ठोंक रहे हैं। पेश से वकील सिद्धार्थ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। मौजूदा राजनीतिक-सामाजिक समीकरणों के लिहाज से यहां मुख्य मुकाबला आप व भाजपा के बीच नजर आ रहा है।

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    हालांकि, कांग्रेस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की जी-तोड़ कोशिश कर रही है। इन सबके बीच मतदाताओं की चुप्पी ने मामले को दिलचस्प बना दिया है। यही कारण है कि क्षेत्र के राजनीतिक विश्लेषक भी चुनाव परिणाम को लेकर कयास नहीं लगा पा रहे हैं और नरेला में चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा, यह बड़ा सवाल बना हुआ है।

    नरेला के मतदाता पिछले दो चुनावों में बदलाव के वाहक बने हैं। वर्ष 2015 के चुनाव में यहां के वोटरों ने आप प्रत्याशी शरद के सिर पर जीत का सेहरा बांधा था, जबकि दो साल पूर्व वर्ष 2013 के चुनाव में आप को चौथे नंबर पर रखा था और कांग्रेस से सीट को छीनकर भाजपा के नीलदमन खत्री की झोली में डाल दिया था। उस समय बसपा आश्चर्यजनक रूप से दूसरे नंबर पर रही थीं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में नरेंद्र मोदी का जादू चला था और भाजपा ने यहां से बढ़त हासिल की थी।

    कांग्रेस के लिए जनाधार को वापस पाने की है चुनौती

    नरेला सीट पर वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद लगातार तीन चुनावों वर्ष 1998, 2003 व 2008 में कांग्रेस जीत दर्ज करती रही थी। ऐसे में इसे कांग्रेस के मजबूत जनाधार वाले सीटों में गिना जाता रहा था। मौजूदा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी पार्टी के खोये हुए जनाधार की वापसी के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कई माह पूर्व से ही खुद के टिकट को पक्का मानकर क्षेत्र में सक्रिय हो गए थे। उन्होंने लगातार बैठक करने के साथ मतदाताओं से संपर्क भी शुरू कर दिया था।

    जाति-धर्म नहीं विकास बन रहा है इस बार चुनावी मुद्दा

    गत चुनावों में नरेला में जाति धर्म व क्षेत्रवाद मुद्दे बनते रहे थे, लेकिन इस बार विकास का मुद्दा ही पूरी तरह से हावी है। यही कारण है कि क्षेत्र के विकास को लेकर ही प्रत्याशियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहा। कांग्रेस आप व भाजपा दोनों पर विकास की अनदेखी का आरोप लगा रही हैं। वहीं भाजपा पांच सालों में नरेला को विकास के मामले में पीछे धकेल देने का आरोप आप लगा रही है। पार्टी के प्रत्याशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास कार्यों खासकर अनधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक देने, जाम से मुक्ति के लिए फ्लाईओवर का निर्माण शुरू कराने के आधार पर वोट मांग रहे हैं।

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