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    Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में प्रभावी होगा BJP का आदिवासी CM का चेहरा, छत्तीसगढ़ में पार्टी ने सेट किया 2024 का चुनावी मंच

    By Jagran NewsEdited By: Paras Pandey
    Updated: Tue, 12 Dec 2023 03:00 AM (IST)

    छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के जरिए भाजपा ने बड़ा आदिवासी कार्ड खेला है। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार अगले लोकसभा चुनाव में आदिवासी समाज को साधने के लिए भाजपा का यह दांव कारगर साबित हो सकता है। पिछली बार बस्तर लोकसभा सीट से भाजपा को सीट गंवानी पड़ी थी जबकि यह सीट वर्षों से भाजपा की थी। बस्तर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है।

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    पिछली बार 11 में से दो सीट पर हारी थी भाजपा, दोनों ही आदिवासी बाहुल्य सीट

    रायपुर, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के जरिए भाजपा ने बड़ा आदिवासी कार्ड खेला है। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार अगले लोकसभा चुनाव में आदिवासी समाज को साधने के लिए भाजपा का यह दांव कारगर साबित हो सकता है। पिछली बार बस्तर लोकसभा सीट से भाजपा को सीट गंवानी पड़ी थी, जबकि यह सीट वर्षों से भाजपा की थी। बस्तर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है।

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    इसी तरह कोरबा की भी हारी हुई लोकसभा सीट पर भाजपा आदिवासी मतदाताओं को अपने प्रभाव में लेने की कोशिश करेगी। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में नौ भाजपा और दो सीट पर कांग्रेस के लोकसभा सदस्य नियुक्त हुए थे। भाजपा को जिन सीटों पर हार मिली थी वह बस्तर और कोरबा थी।

    विधानसभा चुनाव में भी इस बार भाजपा पर भरोसा

    हाल ही में विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की आदिवासी सीटों पर बड़ी जीत हासिल की है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 16 पर भाजपा की जीत हुई। वहीं, 2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा महज तीन आदिवासी सीटें जीतने में सफल रही थी।

    लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विष्णुदेव साय को आदिवासी मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा इन क्षेत्रों में अपनी बढ़त बरकरार रखना चाहेगी। राज्य में आदिवासी समुदाय की आबादी 32 फीसदी है। जो राज्य की राजनीति के लिए बेहद अहम है।

    एसटी वर्ग ने कभी भाजपा, तो कभी कांग्रेस का दिया साथ

    विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने एसटी के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 26 सीटों पर और भाजपा ने तीन सीटों पर जीत हासिल की थी। बाद में उपचुनाव के बाद कांग्रेस के पास 27 सीटें हो गई है और भाजपा के पास दो सीटें ही बचीं थी। इसके पहले 2013 के चुनाव में 29 में से 18 सीटों पर जीत के बाद भी कांग्रेस सत्ता से दूर थी।

    जबकि भाजपा ने 11 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके पहले वर्ष 2008 के चुनाव में भाजपा ने 29 सीटों में से 19 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी। तब कांग्रेस को इन सीटों में से केवल 10 सीटों पर ही जीत मिली थी।