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    CG Election 2023: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस-BJP के लिए किसी चुनौती से कम नहीं क्षेत्रीय दल, छिटक सकता है वोटर

    छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस-भाजपा के बीच अभी से ही टक्कर देखने को मिल रही है। प्रदेश में राष्ट्रीय क्षेत्रीय और निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपनी दावेदारी तो पेश की लेकिन राज्य में बहुत अधिक प्रभावशाली नहीं हो पाए है। वहीं तीसरे मोर्चा के रूप में उभरे दलों ने अब तक जीत के रूप में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छुआ है।

    By Jagran NewsEdited By: Mohd FaisalUpdated: Sun, 27 Aug 2023 02:23 PM (IST)
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    CG Election 2023: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस-BJP के लिए किसी चुनौती से कम नहीं क्षेत्रीय दल (फोटो जागरण)

    रायपुर, ऑनलाइन डेस्क। Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस-भाजपा के बीच अभी से ही टक्कर देखने को मिल रही है। हालांकि, प्रदेश में राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपनी दावेदारी तो पेश की, लेकिन राज्य में बहुत अधिक प्रभावशाली नहीं हो पाए है।

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    क्षेत्रीय दलों की संख्या में हुआ इजाफा

    वहीं, तीसरे मोर्चा के रूप में उभरे दलों ने अब तक जीत के रूप में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छुआ है। हालांकि, छत्तीसगढ़ में बीते चार चुनावों में दलों की संख्या लगातार बढ़ी है। आंकड़ों पर नजर डालें तो 2003 के चुनाव में कुल दलों की संख्या 28 थी, जिसके बाद इसकी संख्या में इजाफा हुआ जो 2018 के चुनाव बढ़कर 61 तक पहुंच चुकी है।

    क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ?

    राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के चुनावी रण में अचानक क्षेत्रीय, राष्ट्रीय पार्टियों के सक्रिय होने पर उन्हें वोटकटवा ही माना जाता है। प्रदेश के मतदाताओं का व्यवहार ऐसा रहा है कि भाजपा-कांग्रेस प्रमुख राजनीतिक दलों को ही ज्यादा वोट करते आ रहे हैं।

    तीसरे मोर्चा की रही अहम भूमिका

    बता दें कि राज्य में 2003 में पूर्व लोकसभा सदस्य विद्याचरण शुक्ल की पार्टी एनसीपी ने चुनाव लड़ा था, तब चुनाव में उनकी भूमिका को वोटकटवा माना गया। इसके अलावा 2018 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी) ने भी वोटकटवा की भूमिका निभाई थी। इस दौरान प्रदेश में छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, सीपीआई भी अपना प्रभाव छोड़ती रही हैं।

    आप और नेताम की पार्टी पर सबकी नजरें

    दरअसल, इस बार के विधानसभा चुनाव में बस्तर में आदिवासी नेता अरविंद नेताम की पार्टी हमर राज चुनावी रण में उतरेगी तो अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप भी चुनावी ताल ठोकती नजर आ रही है। जानकारों का कहना है कि दिल्ली और पंजाब में आप ने सरकार तो बनाई है, लेकिन उन्होंने गुजरात में कांग्रेस के वोट काटने का काम किया है।

    हालांकि, आप के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने कहा कि हम वोटकटवा नहीं, सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं और जनता बदलाव के लिए वोट करेगी। हमने लोगों को कई गारंटी दी है।