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    CG Election 2023: दूसरे चरण की रणनीति और पहले फेज के चुनावी गणित में उलझे नेता, अब भाजपा और कांग्रेस कर रही ये दावा

    By Jagran NewsEdited By: Shubham Sharma
    Updated: Thu, 09 Nov 2023 05:15 AM (IST)

    2013 में कांग्रेस को बस्तर संभाग से 08 सीटें मिली और भाजपा को 04 सीटें लेकिन सरकार भाजपा ने बनाई। बस्तर में कमजोर होने की स्थिति में भाजपा ने सरगुजा के मैदानी इलाकों में जोर दिया था और दूसरे चरण के चुनाव में अपने बिगड़े हुए समीकरण को सुधारने की कोशिश की थी। बता दें कि बस्तर ने कभी कमल खिलाया तो कभी कांग्रेस का हाथ थामा है।

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    छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण का चुनाव प्रचार तेज।

    राज्य ब्यूरो, रायपुर। छत्तीसगढ़ में कुल 90 में से 20 सीटों पर पहले चरण का मतदान संपन्न हो गया। दूसरे चरण में 70 सीटों के लिए 17 नवंबर को मतदान होना है। प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पार्टियों कांग्रेस और भाजपा ने अब इसके लिए तैयार की गई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। 15 नवंबर को प्रचार थम जाएगा। समय कम और सीटें अधिक होने के कारण उनके सामने एक दिन के भी आराम की स्थिति नहीं बन रही है।

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    खास बात यह है कि दोनों ही पार्टियां कार्यकर्ताओं के माध्यम से प्रथम चरण के मतदान की बूथवार आंतरिक समीक्षा भी करा रही हैं, ताकि यह पता चल सके कि वे कहां कमजोर रहे, ताकि उसी आधार पर दूसरे चरण की रणनीति को और मजबूत बना सकें। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार बस्तर की जनता ने कभी कमल खिलाया तो कभी कांग्रेस का हाथ थामा है इसलिए नेताओं के लिए यहां की गणित को सुलझाना बहुत आसान नहीं है।

    पिछले आंकड़े तोड़ रहे हैं मिथक  

    प्रदेश के पहले चुनाव 2003 में भाजपा को 09 कांग्रेस को 03, 2008 में भाजपा को 11 और कांग्रेस को 01 और 2013 में भाजपा को 04 तो कांग्रेस को 08 सीटें मिलीं। 2018 में मामला पूरी तरह बदलाव में आया। 11 कांग्रेस और 01 सीट भाजपा के हाथ लगी। बाद में उप चुनाव के बाद यह भाजपा ने यहां एक सीट भी गंवा दी और कांग्रेस सभी 12 सीटों पर काबिज हो गई। पिछले वर्षों के चुनावों के आंकड़े इस मिथक को भी तोड़ते हैं कि सत्ता की चाबी बस्तर से होकर निकलती है।

    2013 में कांग्रेस को बस्तर संभाग से 08 सीटें मिली और भाजपा को 04 सीटें, लेकिन सरकार भाजपा ने बनाई। बस्तर में कमजोर होने की स्थिति में भाजपा ने सरगुजा के मैदानी इलाकों में जोर दिया था और दूसरे चरण के चुनाव में अपने बिगड़े हुए समीकरण को सुधारने की कोशिश की थी।

    बूथों से ले रहे फीडबैक

    पार्टी सूत्र के अनुसार कांग्रेस-भाजपा अपने-अपने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के माध्यम से 20 सीटों की यथास्थिति की सर्वे करा रहे हैं। किस मतदान केंद्र में कितने वोट पड़े ? , कहां किस दल के लोग ज्यादा थे ?, किस मतदान केंद्र में कम-अधिक वोट पड़ने का आशय क्या है ?, वगैरा-वगैरा जानकारी ले रहे हैं।

    सभी सीटों पर पिछले चुनाव की तुलना से ज्यादा मतदान

    बस्तर और दुर्ग की 20 सीटों में हुए मतदान में अंतागढ़, भानुप्रतापपुर, कांकेर, केशकाल, कोंडागांव, नारायणपुर, बस्तर, जगदलपुर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, बीजापुर, काेंटा, पंडरिया, कवर्धा, खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनांदगांव, डोंगरगांव, खुज्जली और मोहला मानपुर में इस बार अधिक मतदान हुआ है।

    कांग्रेस-भाजपा दोनों का 18 सीट तक लाने का दावा

    पहले चरण के चुनाव में कांग्रेस-भाजपा दोनों ही दलों ने 18 सीट लाने का दावा किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया है कि पिछली बार हमें 20 में 17 सीट मिली थी, इस बार उससे भी अधिक 18 या 19 सीट पाएंगे। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह का दावा है कि भाजपा 20 में से 15 से 18 सीटों पर जीतने की स्थिति है।

    ज्यादा- कम या बराबर मतदान के मायने ?

    राजनीतिक विशेषज्ञ डा. अजय चंद्राकर कहना है कि अक्सर ऐसा माना जाता है कि ज्यादा मतदान का मतलब सत्तादल के खिलाफ लहर होता है मगर यह फार्मूला उस समय सटीक नहीं बैठता है जब कोई सत्ताधारी पार्टी अपने घोषणा पत्र में कोई बड़ी योजना लेकर आती है। तब लोग इसलिए बढ़कर हिस्सा लेते हैं कि उन्हें उस दल की ही सरकार बनने से अधिक फायदा दिखता है।

    जबकि कम वोट का एक मतलब ये भी निकाला जाता है कि वोटर वर्तमान सरकार से संतुष्ट है, इसलिए बदलाव नहीं करना चाहता मगर अधिक मतदान के प्रतिशत में अधिक अंतर होने पर इसका मतलब निकाला जा सकता है नतीजे और चौंकाने वाले होते हैं।

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