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    कांग्रेस के गढ़ खैरागढ़ में पहली बार BJP ने खिलाया था 'कमल', 47 साल बाद टूटा था राजपरिवार का मिथक

    By Jagran NewsEdited By: Nidhi Avinash
    Updated: Mon, 02 Oct 2023 11:16 AM (IST)

    कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाला खैरागढ़ विधानसभा सीट पर लंबे समय तक राज परिवार का शासन रहा लेकिन लगभग 47 साल बाद 2007 में भाजपा ने इस लगातार जीत पर विराम लगा दिया। विधायक कोमल जंघेल ने 2007 के उपचुनाव में खैरागढ़ सीट से जीत दर्ज कर कमल खिलाया था। 1960 से 1993 तक इस सीट से कांग्रेस की रानी रश्मि देवी सिंह ही जीत हासिल करती आई है।

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    कांग्रेस के गढ़ खैरागढ़ में पहली बार BJP ने खिलाया था 'कमल' (Image: Jagran)

    रोहित देवांगन, राजनांदगांव। CG Election 2023: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने वाले है। 90 विधानसभा सीटों के लिए भाजपा और कांग्रेस ने अपनी कमर कस ली है और चुनाव प्रचार में जुट गई है। इस चुनाव में दोनों ही राजनितिक पार्टियों की नजर खैरागढ़ विधानसभा सीट पर टिकी हुई है।

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    कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाला खैरागढ़ विधानसभा सीट पर लंबे समय तक राज परिवार का शासन रहा, लेकिन लगभग 47 साल बाद 2007 में भाजपा ने इस लगातार जीत पर विराम लगा दिया। विधायक कोमल जंघेल ने 2007 के उपचुनाव में खैरागढ़ सीट से जीत दर्ज कर कमल खिलाया था।

    1960-1993 तक कांग्रेस की जीत

    बता दें कि 1960 से 1993 तक इस सीट से कांग्रेस की रानी रश्मि देवी सिंह ही जीत हासिल करती आई है। रश्मि देवी के निधन के बाद 1995 में यह सीट खाली हुई तो उपचुनाव आयोजित कराए गए। इसमें उनके बेटे देवव्रत सिंह ने जीत दर्ज की। 1998 और 2003 के चुनाव में भी देवव्रत सिंह ने ही बाजी मारी।

    संसदीय चुनाव में भी देवव्रत सिंह ने जीत हासिल की, जिसके कारण खैरागढ़ सीट खाली हो गई। फिर 2007 में दोबारा से उपचुनाव कराए गए, जिसमें देवव्रत की पत्नी पद्मा सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया। वहीं, भाजपा ने कोमल जंघेल को खैरागढ़ सीट पर पद्मा सिंह के खिलाफ उतारा और पहली बार जीत हासिल की।

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    जब विधायक कोमल ने जीता भाजपा का भरोसा

    विधायक कोमल की जीत के बाद भाजपा का विश्वास बढ़ा और 2008 में दोबारा से कोमल पर अपना दूसरा दांव चला। हालांकि, इस बार कोमल को हार का सामना करना पड़ा और महज 19 हजार वोट में ही वह सिमट गई। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गिरवर जंघेल ने कोमल को 2190 वोट से हराया। वहीं, 2018 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के प्रत्याशी देवव्रत सिंह ने उन्हें 870 मतों से पराजित किया। गत वर्ष हुए उपचुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

    2018 से 2022 तक किसने हासिल की जीत?

    2018 में खैरागढ़ विधानसभा सीट पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने जीत हासिल की। इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा का कड़ा मुकाबला देखने को मिला। एक तरफ जकांछ के प्रत्याशी देवव्रत सिंह को 61,516 वोट मिले तो वहीं भाजपा के कोमल जंघेल को 60,646 मत हासिल हुए। इसके साथ ही कांग्रेस के गिरवर जंघेल को 31,811 वोट मिले थे। इस सीट में जीत का अंतर सिर्फ 870 वोट का था।

    विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद सीट फिर खाली हुई, जिस पर उपचुनाव हुआ। इसमें कांग्रेस की प्रत्याशी यशोदा वर्मा ने 20,157 वोटों से जीत दर्ज की थी। 2022 में उपचुनाव में यशोदा वर्मा जीत दर्ज कर खैरागढ़ की 17वें नंबर की विधायक बनीं है।

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