Chhattisgarh Polls: भूपेश और विजय बघेल के बीच हार-जीत का अंतर कम करेंगे जोगी, पाटन सीट पर CM के खिलाफ BJP ने उनके भतीजे को उतारा
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की परंपरागत सीट पाटन पर भाजपा ने उनके भतीजे लगने वाले सांसद विजय बघेल को उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया है। इस सीट पर इन दोनों नेताओं के बीच ही मुकाबला होता आया है। 2008 में विजय ने भूपेश पर जीत भी दर्ज की थी। इस बार पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी भी यहां से चुनाव मैदान में हैं।

टी. सूर्याराव, भिलाई। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की परंपरागत सीट पाटन पर भाजपा ने उनके भतीजे लगने वाले सांसद विजय बघेल को उतारकर चुनाव को रोचक बना दिया है। इस सीट पर इन दोनों नेताओं के बीच ही मुकाबला होता आया है। 2008 में विजय ने भूपेश पर जीत भी दर्ज की थी।
पूर्व सीएम के बेटे बिगाड़ सकते हैं खेल
इस बार पूर्व सीएम अजीत जोगी के बेटे और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी भी यहां से चुनाव मैदान में हैं। अमित यहां के सतनामी और आदिवासी वोट झटक सकते हैं, जो कांग्रेस-भाजपा दोनों के वोटों को प्रभावित करेगा। यानी भूपेश और विजय के बीच हार-जीत का अंतर कम करने में अमित की अहम भूमिका रहेगी।
कैसा है पाटन सीट पर चुनावी माहौल?
मुख्यमंत्री बघेल का गृह क्षेत्र और हाईप्रोफाइल सीट होने के बावजूद पाटन में अभी वह चुनावी माहौल नहीं दिख रहा है, जिसकी उम्मीद की जाती है जबकि 17 नवंबर को मतदान होना है और 15 नवंबर से प्रचार पर विराम लग जाएगा। कृषक बहुल क्षेत्र होने के कारण यहां के ज्यादातर लोग धान की फसल की कटाई में व्यस्त हैं।
गांव के चौपाल में बैठकर चुनावी चर्चा नहीं के बराबर हो रही है। यहां के ग्रामीणों से यह पूछने पर कि कौन जीतेगा, केवल मुस्कराकर रह जाते हैं। पाटन सीट के शहरी हिस्से कुम्हारी में जरूर थोड़ा चुनावी माहौल नजर आया। यहां से मुख्यमंत्री सातवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। चाचा-भतीजे की यह परंपरागत सीट रही है।
1993 से 2018 के बीच भूपेश बघेल और विजय बघेल के बीच छह बार मुकाबला हो चुका है, जिसमें पांच बार भूपेश जीते हैं और 2008 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बता दें कि पाटन विधानसभा क्षेत्र में साहू वोटर लगभग 65,000, कुर्मी 26,000, सतनामी 29,000, यादव 21,000 और आदिवासी वोटर 21,000 हैं।
अमित मुख्यत: सतनामी और आदिवासी वोट काट सकते हैं। नामांकन दाखिल करते समय अमित जोगी ने कहा था कि वह मुख्यमंत्री के खिलाफ नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं। यह चुनाव एक बेहद ताकतवर दाऊ परिवार बनाम पाटन के गरीब अनुसूचित जाति-जनजाति अति पिछड़ा वर्ग के लोगों के अधिकार का चुनाव है।
अजीब-सी खामोशी
पाटन के गांवों में चुनाव को लेकर कोई खुलकर चर्चा नहीं करना चाह रहा है। संभवत: एक तरफ स्वयं मुख्यमंत्री का प्रभाव और दूसरी तरफ विजय बघेल की भी मतदाताओं में पकड़ है। संभवत: यही कारण है कि यहां सामूहिक रूप से चुनाव पर चर्चा होती नजर नहीं आई। बैनर-पोस्टर भी बहुत कम लगे हैं।

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