Bihar Voter List: मतदाता सूची में अब तक सामने नहीं आई कोई गड़बड़ी, अब क्या है विपक्ष की रणनीति?
पटना में विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची जारी होने के बाद भी विपक्षी दलों ने गड़बड़ी की सूचना नहीं दी है। कांग्रेस नेता अखिलेश सिंह ने मतदाता सूची से विदेशी नागरिकों को हटाने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सूची से हटाए गए नामों में ज्यादातर मृत पलायन करने वाले या डुप्लीकेट नाम थे।

राज्य ब्यूरो, पटना। विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के उपरांत निर्वाचन आयोग ने 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची घोषित कर दी, लेकिन शुक्रवार तक तीन दिन बीत जाने के बाद भी विपक्षी दलों द्वारा किसी प्रकार की गड़बड़ी की सूचना आयोग को नहीं दी गई।
एसआइआर के उपरांत अंतिम मतदाता सूची को लेकर विपक्ष ने प्रश्न खड़े किए हैं। विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है वह अभी मतदाता सूची का बूथ एवं पंचायत स्तर पर अध्ययन करा रहे हैं।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य अखिलेश सिंह ने अंतिम मतदाता सूची को लेकर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं सत्ता पक्ष के विरुद्ध प्रश्न खड़े किए हैं।
सांसद का आरोप है कि चुनाव आयोग एवं बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने अंतिम सूची के प्रकाशन में यह नहीं बताया कि मतदाता सूची से कितने विदेशी नागरिकों (घुसपैठियों) को हटाया गया। जबकि देश के प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग ने बार-बार घुसपैठियों के लिए सूची के पुनरीक्षण की बात कही।
बकौल अखिलेश सिंह, 65 लाख नामों की प्रारूप कटौती में 22 लाख लोगों को मृत चिह्नित किया गया, 36 लाख को स्थायी रूप से पलायन या अनुपस्थित दिखाया गया। सात लाख अन्यत्र पंजीकृत पाए गए।
अंतिम सूची में हटाए गए 3.66 लाख नामों में दो लाख पलायन के कारण, लगभग 60 हजार मृत्यु के कारण एवं 80 हजार डुप्लीकेशन (दो स्थानों पर नाम होने) के कारण हटाए गए। इस प्रकार, विदेशी नागरिक एक भी नहीं है।
राजद कर रही है जांच-पड़ताल
राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन का कहना है कि किसी तरह की गड़बड़ी सामने आती तो शीघ्र ही उचित फोरम पर मतदाताओं की हकमारी का विरोध करेंगे। सभी जिलाध्यक्षों को अंतिम मतदाता सूची की प्रति उपलब्ध करा दी गई है।
बीएलए एवं बूथ तथा पंचायत ईकाइयों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर पड़ताल कराने के बाद ही राजद द्वारा कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया दी जा सकती है।
यदि अंतिम सूची में भी कोई नाम छूट गया होगा तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चुनाव आयोग द्वारा नाम जोड़वाने और त्रुटि सुधार का विकल्प दिया गया है।
इसके बावजूद भी यदि आवश्यकता महसूस की गई तो उसकी शिकायत सुप्रीम कोर्ट के समक्ष की जाएगी।
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