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    Bihar chunav: JDU की लुटिया डुबाने वाले नेता BJP में करेंगे वापसी! कैसे बदलेगा NDA का समीकरण?

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 03:25 PM (IST)

    पटना से खबर है कि राजनीति में समीकरण बदलते रहते हैं। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने भाजपा नेताओं की मदद से जदयू को नुकसान पहुंचाया था। कई बागी नेता अब भाजपा में वापस आने की तैयारी में हैं। जदयू के कई बागियों ने भी राजग प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ा था जिनमें से कुछ आज मंत्री और एमएलसी हैं।

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    चिराग के सहारे जदयू को पस्त करने वाले फिर भाजपा के आसरे

    रमण शुक्ला, पटना। राजनीति स्थायी रिश्तों का नहीं, बल्कि बदलते हितों एवं पूर्णतया परिस्थितियों का खेल है। यहां दोस्ती और दुश्मनी क्षणिक होती है। धुर विरोधी कभी सहयोगी बन जाते हैं एवं पुराने साथी प्रतिद्वंद्वी।

    यही समीकरणों का उतार-चढ़ाव नेताओं के दल बदल एवं गठबंधनों को आकार देता है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में ऐसा ही कुछ समीकरण गढ़ने का काम लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान ने भाजपा नेताओं के सहारे किया था।

    Bihar Vidhan sabha chunav में चिराग ने 18 से अधिक BJP के वरिष्ठ नेताओं को पार्टी प्रत्याशी बनाकर जदयू की तीर की नोक को कुंद कर दिया था। भाजपा के बागियों ने चिराग की रोशनी में NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के कई दिग्गज एवं तत्कालीन नीतीश सरकार के चार मंत्री की हार की पटकथा लिख दी थी।

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    यही नहीं, चिराग ने मगध एवं शाहाबाद क्षेत्र में जदयू को करारा झटका भी दिया था। बगावत कर लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ जदयू को पस्त करने वाले अब फिर से भाजपा के आसरे ताल ठोंकने की तैयारी कर हैं।

    चार सिटिंग मंत्रियों की हुई थी हार

    भाजपा के बागी चार सिटिंग मंत्रियों के साथ ही कई मजबूत पकड़ रखने वाले विधायकों की हार के कारण बने थे। तत्कालीन सहकारिता मंत्री जयकुमार सिंह, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला एवं समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह के अतिरिक्त कई दिग्गज नेताओं का बेड़ागर्क कर दिया था।

    ऐसे नेताओं में भाजपा संगठन के कर्णधार रहे पूर्व प्रदेश महामंत्री राजेंद्र सिंह, भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामेश्वर चौरसिया, पूर्व विधायक उषा विद्यार्थी, झाझा के तत्कालीन विधायक रवीन्द्र यादव के अतिरिक्त श्वेता सिंह, इंदु कश्यप, अनिल कुमार, मृणाल शेखर एवं अजय प्रताप आदि के नाम सम्मिलित थे।

    इन सभी के विरुद्ध तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के निर्देश पर भाजपा के मुख्यालय प्रभारी सुरेश रूंगटा ने छह वर्ष के लिए पार्टी से बर्खास्त कर दिया था, लेकिन यह निष्कासन जदयू से भाजपा का गठबंधन टूटते ही समाप्त हो गया था।

    जदयू से बगावत करने वाले बने MLC

    JDU से भी 2020 के विधानसभा चुनाव में बगावत कर राजग प्रत्याशियों के विरुद्ध ताल ठाेकने वाले धुरंधरों की संख्या भी कम नहीं थी। इसमें कई दिग्गजों ने भी मोर्चा खोल दिया था।

    पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा, पूर्व मंत्री रामेश्वर पासवान, पूर्व विधायक ददन पहलवान, मंत्री सुमित सिंह एवं प्रमोद चंद्रवंशी जैसे चेहरे प्रमुख नाम थे। इसमें सुमित सिंह ने निर्दलीय जीत प्राप्त की।

    वर्तमान में नीतीश सरकार में मंत्री बने हुए हैं। पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा लोजपा से हारने के बाद जदूय में वापसी की। वर्तमान में एमएलसी बने हुए हैं। ददन ने आरा से निर्दलीय चुनाव लड़ कर जदयू प्रत्याशी अंजुम आरा की हार के कारण बने थे।

    वहीं, जदयू महिला प्रकोष्ठ की पूर्व अध्यक्ष रही कंचन गुप्ता ने भी जदयू नेतृत्व को चुनौती देकर चर्चा में रहीं थीं। सभी के विरुद्ध् तत्कालीन जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह छह वर्ष के लिए निष्कासन की कार्रवाई की थी। जदयू के कई और नाम हैं जो भाजपा प्रत्याशी विरुद्ध मैदान में उतर कर हार पक्की कर दी थी।