'विकास की बात, पर वोट...', क्या बिहार में रिकॉर्ड वोटिंग और मुफ्त की रेवड़ियों ने तोड़ा 'जाति का सम्मोहन'?
Bihar Chunav 2025: बिहार में हुए चुनावों में रिकॉर्ड मतदान दर्ज किया गया है। सवाल यह है कि क्या इस बार मतदाताओं ने जाति के बंधन से ऊपर उठकर विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया? क्या मुफ्त में दी जाने वाली सुविधाओं ने मतदाताओं को आकर्षित किया? चुनाव के नतीजे यह तय करेंगे कि क्या बिहार की राजनीति में कोई नया बदलाव आया है।

एक मतदान केंद्र पर लगी वोटरों की कतार। जागरण
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Assembly Elections: जनता को विकास की बात अच्छी तो लगती है। और उस पर अगर जाति समीकरण भी फिट बैठ रहा हो तो यह सोने पर सुहागा हो जाता है।
विकास की बात और जाति के सम्मोहन के बीच यह सामंजस्य बिठाने का हुनर पहले चरण के मतदान में भी खूब दिखा। पटना से छपरा वाया वैशाली तक हर क्षेत्र में चेहरे और मुद्दे बदलते रहे मगर जाति का समीकरण साथ-साथ रहा।
पटना की कायस्थ बहुल सीट मानी जाने वाली कुम्हरार भाजपा का गढ़ रही है। इस बार भाजपा ने कायस्थ की जगह वैश्य समुदाय के प्रत्याशी को टिकट मिला तो कायस्थ वोटरों का धड़ा जनसुराज के प्रत्याशी केसी सिन्हा के समर्थन में खड़ा होने का दावा करने लगा।
मन बदलने का बड़ा कारण भले ही जाति हो मगर वोटर ढाल विकास को ही बना रहे। अशोक नगर में बूथ पर वोट डालने वाले सुमित सिन्हा कहते हैं, इस बार गुरुदक्षिणा समझकर वोट दिया है।
हालांकि वैश्य वोटर इसी विकास को ढाल बनाकर कहता है, भाजपा के काम का कोई विकल्प नहीं। पिछली बार भी विकास के लिए वोट दिया था, इस बार भी विकास पर वोट पड़ेगा।
लोकतंत्र की भूमि पर भी जातीय समीकरण
लोकतंत्र की जननी वैशाली में भी जाति समीकरण पर फिट बैठने की कोशिश दिखती है। यादव बहुल गांव में राजद के प्रति अधिक प्रेम दिखता है, तो राजपूत-पासवान जाति की बहुलता वाले क्षेत्र में एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में।
हाजीपुर से छपरा जाने के क्रम में गड़खा में हाई-वे पर ही युवाओं का जत्था झुंड में मिल जाता है। कहता है, यहां सब लालटेन छाप है।
थोड़ा आगे बढ़ने पर अर्जुन सिंह मध्य विद्यालय विष्णुपुरा के बाहर स्कूटर पर राजेश कुमार दिखते हैं। कहते हैं, हम सब हेलीकाप्टर वाले हैं। अगला बूथ पर लालटेन ज्यादा मिलेगा।
इसी तरह राघोपुर में भी वोटरों की गोलबंदी जाति के आधार पर समझाई जाती है। ऋषि कहते हैं, फतेहपुर राजपूत तो हैबतपुर साहू टोला है, यहां से एनडीए को अधिक वोट मिलता है।
हिम्मतपुर, सैदाबाद में यादव ज्यादा है, तो महागठबंधन को समर्थन अधिक दिखेगा।

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