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    दरभंगा के दियारे में सरपट दौड़ती राजनीति की गाड़ी पर भ्रष्टाचार का ब्रेक, बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा हावी

    Updated: Mon, 27 Oct 2025 12:40 PM (IST)

    दरभंगा के कुशेश्वरस्थान में चुनावी माहौल गर्म है। कभी दुर्गम रहे इस क्षेत्र में सड़कों का विकास हुआ है, जिससे लोगों को काफी सुविधा हुई है। किसान अपनी फसलें मंडियों तक आसानी से पहुंचा पा रहे हैं। हालांकि, विकास कार्यों में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। स्थानीय और बाहरी उम्मीदवार का मुद्दा भी छाया हुआ है, जिससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

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    कुशेश्वरस्थान में जनता के मुद्दे

    अरुण राय, कुशेश्वरस्थान (दरभंगा)। आमतौर पर शांत रहने वाला कुशेश्वरस्थान का दियारा इन दिनों गुलजार है। कुशेश्वरस्थान विधानसभा के इस क्षेत्र में छठ के पारंपरिक गीतों के साथ चुनावी चर्चा भी खूब है। यहां की सरपट सड़कों से होकर गुजरते लोगों को उन दिनों का भी स्मरण होता है, जब यहां सड़क नहीं थी।

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    कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड का पूरा इलाका नदी-नाले और उपधाराओं से घिरा दियारा था। जहां बरसात में नाव और बाढ़ उतरने के बाद खेतों की पगडंडियों पर बैलगाड़ी या पैदल ही सफर करना होता था।

    अब पड़ोसी जिले सहरसा, खगड़िया और समस्तीपुर के इलाकों में आने-जाने का रास्ता सुलभ हो गया है। इस विकास का प्रभाव जिले नौ अन्य सीटों पर भी दिख रहा है। हालांकि विकास कार्यों की इस गाड़ी पर भ्रष्टाचार का ब्रेक दिख रहा है।

    तिलकेश्वर गांव में चाय की दुकान पर राजनीतिक विशेषज्ञ की तरह एनडीए के समीकरण के साथ महागठबंधन के फार्मूले पर लोग अपनी बात रख रहे थे। दिलीप कुमार मुखिया कहते हैं, विकास के बीच जात-पात का बड़ा फैक्टर है।

    आप जान लीजिए कोई पार्टी या नेता, इससे विमुख नहीं है। पार्टियां जाति के साथ भरोसेमंद चेहरा खोजती हैं। इस क्षेत्र में विकास हुआ है। इसका सबसे बड़ा नमूना यही सड़क है। आप कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि इस दियारा क्षेत्र में कभी पक्की सड़क भी बनेगी। रामदेव यादव इसमें आगे जोड़ते हैं, अब हर गांव तक सड़क पहुंच चुकी है, जिससे किसान अपनी फसलों को मंडियों में बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं।

    गोलमा गांव में मिले रामकुमार राय बताते हैं, गांवों में अब पक्की नली-गली, नल का जल, शौचालय और 20 से 22 घंटे तक बिजली की सुविधा है, लेकिन भ्रष्टाचार पर अंकुश लगना बहुत जरूरी है। अनिल राय बताने लगे, कोसी नदी के कटाव से गांव दो हिस्सों में बंट गया था, लेकिन अब पुल और पक्की सड़क के निर्माण की स्वीकृति मिल गई है, जिससे राहत मिलेगी।

    तेगच्छा गांव के बमबम कुमार, बिनोद यादव का कहना था कि उजुआ से सिमरटोका तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2019 में सड़क निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन ठेकेदार काम अधूरा छोड़ गायब हो गया। अब ऐसा प्रतिनिधि आए, जो इन कार्यों को पूरा करा दे।

    गोलमा के प्रवीण राय, छोटकी कोनिया के रमाकांत मुखिया, उसरी के सीता राम राय सहित कई अन्य ने बताया कि पहले सड़क एवं पुल-पुलिया नहीं रहने से नाव के इंतजार में घंटों समय बर्बाद हो जाता था।

    बाहरी और स्थानीय का मुद्दा

    लोग विकास के नाम पर एनडीए के जदयू प्रत्याशी अतिरेक कुमार के पक्ष में वोट करने की बात करते हैं, लेकिन स्थानीय नहीं होने से विरोधी इसे मुद्दा बना रहे हैं। आइएनडीआइए समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार गणेश भारती दियारा क्षेत्र के निवासी हैं।

    इसलिए स्थानीय और बाहरी का मुद्दा बनाया जा रहा। हालांकि आइएनडीआइए के किसी दल का प्रत्याशी नहीं रहने से मतदाताओं में भ्रम की स्थिति है। इन दोनों गठबंधन के अतिरिक्त जनसुराज के शत्रुघ्न पासवान सहित कुल 10 प्रत्याशी हैं। लेकिन दोनों के अलावा अन्य का प्रभाव नहीं है।