Bihar Chunav: स्टार बने उम्मीदवार, कलाकारों में बढ़ी माननीय बनने की चाहत
बिहार विधानसभा चुनाव में मनोरंजन जगत के कई सितारे अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर रहे हैं। भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव, गायक रितेश पांडेय और मैथिली ठाकुर जैसे कलाकार चुनावी मैदान में हैं। कुछ कलाकार प्रचार में जुटे हैं, तो कुछ पर्दे के पीछे रणनीति बना रहे हैं। स्थानीय कलाकारों के साथ जनता का भावनात्मक जुड़ाव उन्हें राजनीति में सफलता दिला सकता है।

खेसारी लाल यादव, रितेश पांडेय व मैथिली ठाकुर। जागरण आर्काइव
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव इस बार न सिर्फ राजनीतिक दलों के लिए, बल्कि मनोरंजन जगत के कलाकारों के लिए भी एक बड़ा मंच बन गया है। फिल्मों और संगीत की दुनिया में नाम कमा चुके कई कलाकार अब जनता की सेवा और राजनीति में अपनी नई पहचान बनाने की कोशिश में जुटे हैं। मानो अब उनके गीतों और संवादों की जगह भाषणों और वादों ने ले ली हो।
इस चुनाव में भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव, लोकप्रिय गायक रितेश पांडेय और लोकगायिका मैथिली ठाकुर ने बतौर उम्मीदवार मैदान में उतरकर सुर्खियां बटोरी हैं। खेसारी लाल यादव ने अपने करियर की शुरुआत भोजपुरी फिल्मों से की थी और अब राजद के टिकट पर जनता की सेवा को नया मंच मान रहे हैं। वहीं रितेश पांडेय जनसुराज का उम्मीदवार बनकर वोट मांग रहे हैं। चुनावी सभाओं में अपने गीतों के जरिए जनसंपर्क कर रहे हैं। मैथिली ठाकुर भाजपा की उम्मीदवार हैं। उनकी सभाओं में गीत भी गूंजते हैं। भोजपुरी अभिनेत्री सीमा सिंह भी मैदान में उतरी थीं, हालांकि उनका सफर अधूरा रह गया।
इनके अलावा, पहले से राजनीति में सक्रिय कलाकार जैसे मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, पवन सिंह भी इस बार चुनावी माहौल में सक्रिय हैं। कुछ प्रचार में जुटे हैं तो कुछ पर्दे के पीछे रणनीति बना रहे हैं। भोजपुरी सिनेमा से जुड़े ये चेहरे गांव-गांव तक लोकप्रिय हैं और उनकी यही जनस्वीकार्यता राजनीतिक दलों के लिए बड़ी पूंजी साबित हो रही है।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब कलाकारों ने राजनीति की राह पकड़ी हो। पिछले चुनावों में भी बालीवुड के सितारे बिहार की राजनीति में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके हैं। शत्रुघ्न सिन्हा, राज बब्बर, हेमा मालिनी, शेखर सुमन, कुणाल सिंह जैसे कलाकार राजनीति में सक्रिय रहे हैं। मगर अब परिदृश्य बदल गया है, अब मतदाता बालीवुड की बजाय स्थानीय कलाकारों के साथ भावनात्मक रूप से अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार की राजनीति में भाषा और संस्कृति की भूमिका बहुत गहरी है। भोजपुरी और मैथिली कलाकारों का जनता से जुड़ाव, उनकी लोकप्रियता और सादगी उन्हें राजनीति में सफलता का मजबूत आधार दे सकती है। कुल मिलाकर, बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कलाकारों में “माननीय” बनने की होड़ साफ नजर आ रही है। मंच, गीत और कैमरे से आगे बढ़कर ये सितारे अब जनता के बीच अपने नए किरदार में हैं, जनसेवक के रूप में। यह देखना दिलचस्प होगा कि परदे पर तालियां बटोरने वाले ये कलाकार क्या जनता के दिल और वोट भी जीत पाएंगे।

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