Bihar Elections 2025: एनडीए में सभी दलों की सीटें घटीं, महागठबंधन में वामदल और वीआइपी फायदे में
बिहार चुनाव 2025 को लेकर एनडीए और महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर मंथन चल रहा है। एनडीए में भाजपा समेत सभी दलों की सीटें घटी हैं, जिसका कारण आपसी तालमेल की कमी है। वहीं, महागठबंधन में वामदल और वीआईपी को फायदा हुआ है। दोनों गठबंधनों को अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा।

कुमार रजत, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण का नामांकन पूरा हो चुका है। सीटों की मारामारी के बीच यह देखना दिलचस्प है कि एनडीए में सभी पांचों दलों की सीटें पिछले चुनाव के मुकाबले कम हुई हैं। वहीं महागठबंधन के घटक दलों ने सीट छोड़ने में अपेक्षाकृत कम दिलचस्पी दिखाई है। भाकपा-माले और सीपीआइ जैसे दल तो पिछले चुनाव से भी अधिक सीटों पर लड़ रहे हैं। एनडीए से महागठबंधन में आकर वीआइपी भी पिछली बार से चार अधिक सीटों पर चुनाव लड़ रहा है।
नए दलों की दोनों गठबंधन में हुई आमद
राज्य के दोनों ही प्रमुख गठबंधनों में इस विधानसभा चुनाव में नए दल की आमद हुई है। एनडीए ने चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रा) के लिए जगह बनाई है, तो महागठबंधन ने मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी के लिए। पिछले चुनाव में एनडीए की ओर से जदयू को 115 जबकि भाजपा को 110 सीटें लड़ने के लिए मिली थीं। इस बार जदयू की 14 सीटें जबकि भाजपा की नौ सीटें कम हुई हैं। दोनों ही दल 101-101 सीटों पर लड़ रहे हैं। एनडीए में रहते हुए जीतन राम मांझी की हम को पिछली दफा सात सीटें मिली थीं जो इस बार घटकर छह हो गई हैं। लोजपा (रा) ने एनडीए से अलग हटकर 134 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस बार एनडीए में वापसी होने पर उसे 29 सीटें मिली हैं। उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो को इस बार एनडीए में छह सीटें मिली हैं। पिछली दफे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नाम से कुशवाहा ने दोनों गठबंधनों से अलग ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम, बसपा आदि दलों के साथ मिलकर ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट बनाया था जिसमें उसे 104 सीटें लड़ने के लिए दी गई थीं।
महागठबंधन में कांग्रेस ने बलिदान की नौ सीटैं
महागठबंधन में सीटों को लेकर लंबी तनातनी के बाद जो अंतिम सूची आई है, उसमें राजद को पिछले चुनाव से महज एक सीट कम दी गई है। पिछली बार राजद 144 सीटों पर लड़ा था जबकि इस बार 143 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की सूची राजद ने जारी की है। महागठबंधन के बाकी पांच दलों के लिए शेष 100 सीटें छोड़ी गई जिसका खामियाजा यह हुआ कि 243 की जगह 254 पर महागठबंधन के उम्मीदवार मैदान में हैं। करीब एक दर्जन सीटों पर आपस में ही दोस्ताना मुकाबले की िस्थति बनी हुई है। महागठबंधन में सीटें छोड़ने के मामले में कांग्रेस ने ही सबसे अधिक नौ सीटों का बलिदान किया है। पिछली बार कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि इस बार हिस्से में 61 सीटें आई हैं।2020 के विधानसभा चुनाव में वाम दलों (भाकपा-माले, सीपीआइ और सीपीएम) को लड़ने के लिए 29 सीटें मिली थीं। इस बार भाकपा-माले ने 19 के बदले 20, सीपीआइ ने छह के बदले नौ जबकि सीपीएम ने चार के बदले छह सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। इस कारण वाम दलों की सीटें भी 29 से बढ़कर 35 हो गई हैं। एनडीए में रहते हुए वीआइपी को पिछली दफा 11 सीटें मिली थीं जबकि इस बार महागठबंधन में रहते हुए उसे लड़ने के लिए 15 सीटें मिली हैं।सी
सीटों का विश्लेषण
एनडीए : 2025 : 2020
भाजपा : 101 - 110
जदयू : 101 - 115
लोजपा : 29 - 134 (एनडीए से अलग)
हम : 06 - 07
रालोमो : 06 -104 (पुरानी पार्टी रालोसपा ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट में)
महागठबंधन : 2025 - 2020
राजद : 143 - 144
कांग्रेस : 61 - 70
भाकपा-माले : 20 - 19
वीआइपी : 15 - 11 (एनडीए के साथ)
सीपीआइ : 09 - 06
सीपीएम : 06 - 04
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