Bihar Election 2025: मगध में कुंद हो जाती है एनडीए की धार, मोदी-नीतीश और मांझी को लगाना होगा जोर
मगध में चुनावी माहौल गर्म है। प्रधानमंत्री मोदी समेत कई नेताओं ने चुनावी बिगुल फूंका है। मगध की 26 विधानसभा सीटों में से 18 पर महागठबंधन और 7 पर एनडीए के विधायक हैं। 2025 का चुनाव एनडीए के लिए चुनौती पूर्ण होगा। जीतनराम मांझी की पार्टी हम ने अच्छा प्रदर्शन किया है। औरंगाबाद और नवादा में एनडीए को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।

कमल नयन,गयाजी। मगध के प्रवेशद्वार से चुनावी बिगुल बजने के पूर्व ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने क्षेत्र में आकर अपनी-अपनी चुनावी दुंदुभी बजा दी है।
मगध के पांच जिले यथा औरंगाबाद, गया, जहानाबाद, अरवल और नवादा में इनकी आवाज कमोवेश पहुंची और इस माटी में चुनावी खुशबू सभी को एहसास होने लगा।
इन नेताओं के भ्रमण ने तो इतना साफ कर दिया था कि चुनाव निकट आ गया है। अभी घोषणा होने में भले ही कुछ दिवस और लगेंगे। लेकिन सभी पार्टियों ने भीतर ही भीतर अपनी पूरी तैयारी कर रखी है।
फिलहाल चुनावी आंकड़े यह बताते हैं कि इन पांच जिलों में 26 विधानसभा हैं। जिनमें 18 पर महागठबंधन और सात पर एनडीए के विधायक पदारूढ़ हैं।
एनडीए के विधायकों की प्रतिशत के तौर इतनी कम संख्या में होना यह दर्शाता है कि वर्ष 2025 का चुनाव एनडीए के सभी घटक दलों के लिए चुनौती के रूप में होगा, उन्हें जोर लगाने पड़ेंगे।
26 में 11 सीटों पर जदयू
जदयू ने मगध की 26 में से 11 सीटों पर चुनाव लड़कर एनडीए का नेतृत्व किया। जबकि भाजपा ने 10 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। भाजपा ने मगध प्रमंडल के चार जिलों की दस सीटों में तीन पर जीत हासिल की। लेकिन जहानाबाद में चुनाव नहीं लड़ा।
हालांकि मगध में लड़ी गई 11 सीटों में से एक भी सीट नहीं जीत पाई। यहां तक कि जगदीश शर्मा का गढ़ घोसी में भी उनके पुत्र राहुल भाकपा माले से पराजित हो गए। जदयू की स्थिति इस प्रमंडल में उप चुनाव के दौरान नवम्बर 24 में बेलागंज से मनोरमा देवी की जीत ने खाता खोला।
एनडीए में जीतनराम मांझी सबसे सफल
वैसे 2020 के चुनाव में एक भी सीट जदयू के खाते में नहीं थी। एनडीए में तो सफल पार्टी के रूप में जीतनराम मांझी की हम रही। जिसने गया, जहानाबाद, औरंगाबाद में अपनी उम्मीदवार पांच खड़े किए और तीन पर जीत हासिल कर ली।
2024 के उप चुनाव में भी इमामगंज सीट पर पुन: जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी पहली बार विधायक बनीं। उधर, महागठबंधन खेमे में औरंगाबाद की छह सीटों में चार राजद, दो कांग्रेस, नवादा की पांच सीटों में राजद तीन, कांग्रेस एक, जहानाबाद और अरवल में तीन पर राजद और दो पर माले तथा गया में राजद ने चार सीटों पर अपनी जीत दर्ज की थी।
औरंगाबाद में 2 सीट की उम्मीद
वर्ष 2025 का चुनाव कई मामलों में विशेष स्थान रखेगा। बदलाव के कई सीन आमने-सामने अभी से नजर आ रहे हैं। जहानाबाद जिले में एक उम्मीदवार सहयोगी पार्टी के मंच पर ही नजर आने लगे हैं। ऐसे में वहां की गणना भी बदल सकती है।
औरंगाबाद की स्थिति में इस बार एनडीए कुछ अच्छा कर सकता है। जहां एक भी सीट 2020 में हासिल नहीं हुई थी।
वैसे 2025 में कम से कम दो सीटों पर तो दावा किया ही जा सकता है। नवादा में भी कुछ स्थिति बदलेगी। टिकट के फेरबदल से यहां बहुत समीकरण बदल सकता है।
जीतनराम मांझी ने दिया आशीर्वाद
यह देखना है कि एनडीए एक सीट पर अभी बरकरार है। आगे की सीट बढ़ाने के लिए उसे मशक्कत करनी पड़ेगी। बात अब मगध के हृदय स्थली गयाजी की हो, जहां दस विधानसभा सीटों पर हम पार्टी तीन पर अपना वर्चस्व बनाए हुए है।
हाल-फिलहाल एनडीए के सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री एवं पार्टी के संरक्षक जीतनराम मांझी ने खुलकर अपने तीन सीट टिकारी, इमामगंज और बाराचट्टी में सीटिंग एमएलए को तो आशीर्वाद मानो दे ही दिया है।
सीट शेयरिंग में हम पार्टी को और सीट अगर एनडीए गठबंधन से मिलेगा तो जिले के दो-तीन विधानसभा क्षेत्र में उनके कंडिडेट अपना कैम्पेन चला रखे हैं।
उपचुनाव में जदयू का खाता खुला
जदयू ने पिछले उप चुनाव में बेलागंज से खाता खोला है। तो यह तय है कि जदयू इस बार और भी विधानसभा में अपना पंख जरूर फैलाएगा।
बीजेपी दो सीटों पर अभी काबिज है। एक सीट तो गया शहरी का है जो 35 सालों से डॉ. प्रेम कुमार के पास है। तो वजीरगंज की सीट भी बीरेन्द्र सिंह के जिम्मे है।
कुछ और विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा की नजर टिकी हुई है तो फिर हम और जदयू के साथ-साथ लोजपा को भी सीट शेयरिंग में भूलना नहीं होगा।
राजद की चार सीटों पर चर्चा करें तो सभी के उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्र में दमदार हैं। और सीट में बदलाव होगा या नहीं होगा यह तो कल बताएगा। लेकिन गया के सभी विधानसभा क्षेत्र में मगध की माटी की खुशबू लगभग सभी दल को थोड़ा-थोड़ा पहुंच जाएगी।
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