मतदाताओं की नाराजगी का डर या फिर कुछ और.. चकाई में 'पंचायत प्रतिनिधि' क्यों हैं उम्मीदवारों से ज्यादा परेशान?
चंद्रमंडी (जमुई) से खबर है कि बिहार विधानसभा चुनाव में पंचायत प्रतिनिधियों को उम्मीदवारों से उम्मीदें तो हैं, पर वे 2026 के पंचायत चुनाव को लेकर चिंतित हैं। किसी एक पक्ष में जाने से वोटर की नाराजगी का डर है। चकाई के कई प्रतिनिधि अंडरग्राउंड हो गए हैं, कुछ औपचारिक समर्थन दे रहे हैं। उन्हें 2026 के चुनाव में नुकसान का डर सता रहा है।

डिजिटल डेस्क, चंद्रमंडी(जमुई)। बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों को पंचायत प्रतिनिधियों से काफी उम्मीदें रहती है। यहां स्थितियां विपरीत है। पंचायत प्रतिनिधियों को इस चुनाव से ज्यादा 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव की चिंता सता रही है, क्योंकि किसी एक पक्ष के उम्मीदवार के पक्ष में खुलकर जाने से एक पक्ष के वोटर की संभावित नाराजगी से प्रतिनिधियों की सांसें फूल रही हैं।
यही वजह है कि ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर की नीति अपनाते हुए चकाई के अधिकांश पंचायत प्रतिनिधि अंडरग्राउंड हो गए हैं, जबकि चंद प्रतिनिधि सिर्फ सामने पटल पर रहकर औपचारिकता निभा रहे हैं। सिर्फ मुखिया ही नहीं, पंचायत समिति सरपंच और वार्ड तक के प्रतिनिधि भी काफी संभल-संभलकर उम्मीदवारों के पक्ष में काम कर रहे हैं, जिसकी भनक विभिन्न दलों के प्रत्याशी और उनके समर्थकों को भी लग गई है।
सब कुछ जानबूझकर भी उम्मीदवार मौन बने हुए हैं। अगर दो-तीन पंचायत प्रतिनिधियों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश प्रतिनिधि पूरी तरह मौन हो गए हैं। अभी से ही उन्हें आने वाले 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर होने वाले नफा-नुकसान का डर सताने लगा है।
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पिछले कई विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार के लिए खुलकर बैटिंग करने वाले दो-तीन पंचायत प्रतिनिधि तो बिल्कुल चुनावी परिदृश्य से दूर हैं। नॉमिनेशन के बाद उनको कहीं क्षेत्र में देखा नहीं जा रहा है, जबकि तीन-चार पंचायत प्रतिनिधि किसी तरह अपनी इज्जत बचाने के लिए अकेले बाइक से घूम रहे हैं। स्थिति यह है कि जो भी पंचायत प्रतिनिधि अपने उम्मीदवार के समर्थन में घूम रहे हैं, उनको भी दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
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