Bihar Election 2025: दल बदले, क्षेत्र बदले, फिर भी दिग्गजों का दो दशक से चुनावी महासमर में दबदबा
पटना से बिहार की राजनीति में कई दिग्गज नेता दो दशकों से चुनावी मैदान में जमे हुए हैं। इन नेताओं ने पार्टियाँ बदलीं और गठबंधन किए। कुछ ने आलोचना के बाद भी साथ मिलकर काम किया। अख्तरुल ईमान भूदेव चौधरी और श्याम रजक जैसे कई नेताओं ने अलग-अलग पार्टियों से चुनाव जीते। कुछ नेता जैसे बिजेंद्र प्रसाद यादव इतने वर्षों में अपनी सीटों पर अपनी पकड़ बनाए हुए हैं।

भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। दल बदले और कभी क्षेत्र भी बदल लिए पर दो दशक से हार-जीत के साथ लगातार चुनावी महासमर में बड़ी संख्या में टिके हैं दिग्गज। स्थिति यह रही कि किसी चुनाव में जिसे खूब कोसा, जी भर के आलोचना की पर बाद के चुनाव में जिसे कोसा उसी के साथ गलबहियां की। वैसे कई प्रत्याशी ऐसे भी हैं जो महासमर में लगातार जमे हैं।
जिन्हें खूब कोसा पर बाद में उसी के साथ करने लगे जिंदाबाद
जिन्हें खूब कोसा पर बाद में उसी के साथ करने लगे जिंदाबाद की श्रेणी में कई पुराने दलीय प्रत्याशी शामिल हैं। इन दिनों एआईएमआईएम के विधायक अख्तरउल ईमान की खूब चर्चा है। वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में वह राजद के प्रत्याशी के रूप में ही चुनाव जीते थे।
राजद विधायक भूदेव चौधरी 2005 में जदयू के टिकट पर बांका के धोरैया से चुनाव जीते थे। वर्ष 2005 में फुलवारीशरीफ विधानसभा क्षेत्र से श्याम रजक राजद प्रत्याशी के रूप में सफलता पायी थी और 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें जदयू प्रत्याशी के रूप में सफलता मिली थी।
उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा अपने झंझारपुर सीट से 2005 में जदयू की टिकट पर जीते और 2015 में उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की। मंत्री नीरज सिंह बबलू भी 2005 में जदयू विधायक बने और 2015 में भाजपा विधायक हो गए।
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने 2005 का विधानसभा चुनाव जंदाहा विधानसभा क्षेत्र से राजद की टिकट पर लड़ा था। वहीं 2015 के चुनाव में वह महनार से जदयू के टिकट पर चुनाव जीत गए।
सबसे दिलचस्प मामला सारण जिले के परसा विधानसभा क्षेत्र का है। वर्ष 2015 के चुनाव में उन्होंने परसा से राजद के टिकट पर चुनाव जीता और उसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू प्रत्याशी के रूप में चुनाव हार गए। राजद प्रत्याशी छोटेलाल राय ने उन्हें पराजित किया। छोटे लाल राय ने एक समय लोजपा प्रत्याशी के रूप में वहां से जीत हासिल की थी।
राजपुर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संतोष कुमार निराला को जदयू का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। वर्ष 2015 में उन्होंने राजपुर से जदयू प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। वर्ष 2005 का विधानसभा चुनाव उन्होंने राजपुर से बसपा प्रत्याशी के रूप मे लड़ा था।
वर्ष 2005 में महेश्वर हजारी ने वारिसनगर से लोजपा प्रत्याशी रहते हुए चुनाव जीत कर आए थे पर 2015 का चुनाव उन्होंने कल्याणपुर से जदयू प्रत्याशी के रूप में जीता। रुपौली से जदयू की टिकट पर जीतने वाली बीमा भारती ने 2005 का विधानसभा चुनाव राजद प्रत्याशी के रूप में लड़ा था।
अभी रुपौली से एक समय लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले शंकर सिंह विधायक हैं। भाजपा विधायक पवन जायसवाल ने भी 2005 का विधानसभा चुनाव ढाका विधानसभा क्षेत्र से लोजपा की टिकट पर लड़ा था।
हवा के रूख का इन पर नहीं असर दिखा
हवा के रूख का जिन पर कोई असर नहीं पड़ा उनमें बिजेंद्र प्रसाद यादव, नरेंद्र नारायण यादव, हरिनारायण सिंह, श्रवण कुमार व गोपाल मंडल का नाम लिया जा सकता है। दो दशक से अपनी सीट पर इन्हें चुनौती तो मिली पर जीत भी इनके खाते में ही रही।
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