पटना डिवीजन की 43 सीटों पर किसका होगा दबदबा? NDA और महागठबंधन में जमकर होगी वोटों की सेंधमारी
पटना प्रमंडल में 43 विधानसभा सीटें हैं जहाँ राजग और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला होता है। मगध में राजग और शाहाबाद में महागठबंधन का दबदबा रहा है। जदयू की भूमिका अहम है खासकर नालंदा में। लोजपा (रामविलास) के साथ आने से राजग को फायदा हो सकता है। बक्सर में भाजपा वापसी की कोशिश कर रही है जबकि कैमूर और रोहतास में महागठबंधन मजबूत है।

जयशंकर बिहारी,पटना। पटना प्रमंडल में पटना सहित नालंदा, भोजपुर, बक्सर, भभुआ और रोहतास जिलों के विधानसभा क्षेत्र आते हैं। राज्य की 43 (17.61 प्रतिशत) विधानसभा सीटें इस प्रमंडल में हैं। यह राज्य का एकमात्र ऐसा प्रमंडल है, जिसमें पूर्ण शहरी व पूर्ण ग्रामीण विस क्षेत्र तो हैं ही, आधारभूत संरचनाओं का विकास भी सर्वाधिक है। जाति व दल आधारित गोलबंदी, सत्ता का प्रतिकार व साथ, ये सारे रंग ज्यादा ही चटख हैं।
गत दो चुनावों से मगध क्षेत्र के पटना और नालंदा में राजग तो शाहाबाद के चारों जिलों में महागठबंधन का दबदबा है। नालंदा में जदयू जिसके साथ रहा, पलड़ा उसी का भारी रहा। 2020 में जदयू राजग का हिस्सा रहा, बावजूद लोजपा के प्रत्याशियों ने शाहाबाद की छह सीटों पर जदयू प्रत्याशियों की हार तय कर दी।
लोजपा (रामविलास) को मिलेगा लाभ
इस बार लोजपा (रामविलास) के राजग का हिस्सा होने का लाभ कुछ सीटों पर मिल सकता है। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और भोजपुरी गायक सह अभिनेता पवन सिंह का मिलन राजग को कितना लाभ पहुंचाता है, यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन कार्यकर्ता इसका स्वागत कर रहे हैं।
बक्सर में 2015 से पहले वाली स्थिति प्राप्त करने के लिए भाजपा हर जुगत लगा रही है। गत वर्ष लोकसभा चुनाव में मैदान में निर्दलीय उतरे पूर्व आइपीएस आनंद मिश्रा जनसुराज से भाजपा में आ गए हैं। बक्सर में गत दोनों विधानसभा चुनाव में चारों सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी जीते।
कैमूर जिले की चारों सीटों पर 2015 में कमल
कैमूर जिले की चारों सीटों पर 2015 में कमल खिला था, लेकिन 2020 में चारों सीट हार गए। तीन पर राजद तो एक पर बसपा के जमा खां जीते। जमा खां बाद में जदयू से जुड़ गए। वह नीतीश कैबिनेट में मंत्री भी हैं।
रोहतास जिले में राजग को महागठबंधन की मजबूत काट ढूंढनी होगी। गत चुनाव में सातों सीटों पर महागबंधन के प्रत्याशी जीते थे। भोजपुर की बात करें तो गत चुनाव में जिले की सात सीटों में केवल दो ही राजग के पाले में आईं।
2015 में राजग का यहां खाता भी नहीं खुला था। गत दो चुनावों का परिदृश्य यह रहा है कि शाहाबाद क्षेत्र में महागठबंधन राजग के कोर वोट में सेंधमारी करने में सफल रहा है।
अनंत सिंह और सिद्धार्थ के प्रभाव का भी होगा आकलन
मोकामा से गत उपचुनाव में बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी राजद के सिंबल पर जीती थीं। इस बार अनंत सिंह स्वयं ही जदयू के टिकट पर मैदान में उतरने का संकेत दे रहे हैं। बिक्रम से कांग्रेस के विधायक सिद्धार्थ सौरभ भाजपा के संपर्क में हैं। यह चुनाव इन दोनों नेताओं का व्यक्तिगत प्रभाव तय करेगा।
पटना की चारों शहरी विधानसभा सीटें कई बार से भाजपा के हिस्से में है। 2015 में भाजपा ने जहां पटना जिले की आधी सात सीटें प्राप्त की थी तो गत चुनाव में पांच पर सिमट गई। जदयू का खाता भी नहीं खुला।
गत चुनाव में 14 में से नौ सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी जीते। फुलवारीशरीफ से विधायक रहे श्याम रजक राजद छोड़कर जदयू में आ गए हैं। यह सीट अभी भाकपा माले के पास है। यहां रोचक चुनाव की संभावना जताई जा रही है।
दो चुनाव से जदयू पांच सीटों पर कायम
नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला होने के साथ-साथ जदयू का गढ़ है। यहां की सात में से पांच सीटों पर दोनों चुनाव में जदयू के प्रत्याशी जीते हैं। भाजपा और राजद दोनों ने चुनाव में एक-एक सीट क्रमश: बिहारशरीफ व इस्लामपुर अपने नाम की है।
गत चुनाव में हिलसा से राजद प्रत्याशी शक्ति सिंह यादव केवल 12 वोट से हारे थे। नालंदा की सात सीटों को लेकर राजग आश्वस्त है।
मगध क्षेत्र की सीटें
पटना जिला : मोकामा, बाढ़, बख्तियारपुर, फतुहा, पटना साहिब, कुम्हरार, बांकीपुर, दीघा, फुलवारीशरीफ (अजा), दानापुर, मनेर, बिक्रम, पालीगंज और मसौढ़ी (अजा)।
नालंदा जिला : अस्थावां, बिहारशरीफ, नालंदा, राजगीर (अजा), इस्लामपुर, हिलसा व हरनौत।
शाहाबाद क्षेत्र की सीटें
- भोजपुर : संदेश, बड़हरा, आरा, अगिआंव (अजा), तरारी, जगदीशपुर और शाहपुर।
- बक्सर : ब्रह्मपुर, बक्सर, डुमरांव व राजपुर (अजा)।
- भभुआ : रामगढ़, मोहनियां (अजा), भभुआ व चैनपुर।
- रोहतास : सासाराम (अजा), चेनारी (अजा), करगहर, नोखा, काराकाट व डेहरी।
चुनावी वर्ष | एनडीए | महागठबंधन | अन्य |
---|---|---|---|
2020 | 13 | 29 | 1 |
2015 | 13 | 29 | 1 |
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