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    एक अनार सौ बीमार... बिहार चुनाव में टिकट बंटवारे पर घमासान, रूठे ऐसे की मानते ही नहीं

    By Alok ShahiEdited By: Alok Shahi
    Updated: Thu, 16 Oct 2025 06:37 PM (IST)

    Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच भागलपुर जिले की सियासत इस वक्त बागियों की बतकही से गर्म है। टिकट बंटवारे के बाद एकबारगी नाराज नेताओं की फेहरिस्त लगातार लंबी होती जा रही है। किसी को टिकट नहीं मिला, तो किसी की उम्मीदों पर जाने-अनजाने ताला लग गया। नतीजा यह कि अब बगावत का बिगुल कई विधानसभा क्षेत्रों में एक साथ बजने लगा है। कई बागियों ने तो निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा तक कर दी है। वे किसी सूरत में मानने को तैयार नहीं हैं।

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    Bihar Chunav 2025: बिहार चुनाव 2025 में भागलपुर में बागियों की भरमार, एक अनार सौ बीमार, मनाने कोई नहीं जाएगा।

    संजय सिंह, भागलपुर। Bihar Chunav 2025 बिहार चुनाव 2025 के बीच भागलपुर जिले की सियासत इस वक्त बागियों से गर्म है। टिकट बंटवारे के बाद नाराज नेताओं की फेहरिस्त लगातार लंबी होती जा रही है। किसी को टिकट नहीं मिला तो किसी को उम्मीदों पर ताला लग गया। नतीजा यह कि अब बगावत का बिगुल कई विधानसभा क्षेत्रों में एक साथ बज उठा है।

    भाजपा की शुरुआत पीरपैंती से हुई, जहां मौजूदा विधायक ललन पासवान का टिकट काटकर पार्टी ने मुरारी पासवान को उम्मीदवार बना दिया। टिकट कटते ही ललन पासवान खुले तौर पर बागी हो गए और समर्थकों के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।
    इसी तरह कहलगांव से भाजपा के विधायक पवन यादव का टिकट भी कट गया। यह सीट गठबंधन के तहत जदयू को चली गई। पवन यादव भी नाराज होकर बगावत की राह पर हैं।

    भाजपा के भीतर भागलपुर सीट पर भी असंतोष उभर कर सामने आया है। इस सीट से टिकट के प्रबल दावेदार अर्जित चौबे और डॉ. प्रीति शेखर दोनों को किनारे कर दिया गया। भाजपा ने यहाँ से रोहित पांडेय पर भरोसा जताया है। टिकट बंटवारे के इस फैसले के बाद अर्जित चौबे और प्रीति शेखर दोनों ही गुटों में नाराजगी खुलकर सामने आ गई है। कहा जा रहा है कि दोनों ही नेता अब निर्दलीय रास्ता अपनाने पर विचार कर रहे हैं।

    लोजपा (रामविलास) में भी टिकट को लेकर घमासान है। नाथनगर से लोजपा ने मिथुन यादव को टिकट दिया है, जबकि लंबे समय से सक्रिय और टिकट की दौड़ में रहे अमर कुशवाहा को नजरअंदाज कर दिया गया। अब अमर कुशवाहा भी बागी मोड में आ चुके हैं और स्वतंत्र रूप से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।

    जदयू में भी हालात कुछ बेहतर नहीं हैं। गोपालपुर विधानसभा से टिकट की दावेदार अपर्णा कुमारी को पार्टी ने मौका नहीं दिया, जबकि सांसद अजय मंडल उनके पक्ष में पूरी तरह से सक्रिय थे। टिकट न मिलने से नाराज होकर अपर्णा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। बताया जाता है कि अपर्णा को टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर सांसद अजय मंडल ने भी मुख्यमंत्री को अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी है।

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    उधर, पूर्व विधायक गोपाल मंडल का टिकट भी काट दिया गया। टिकट कटते ही उन्होंने बागी तेवर अख्तियार कर लिए हैं और अपने क्षेत्र में समर्थकों के साथ चुनावी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। कुल मिलाकर भागलपुर की राजनीति में इन दिनों एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति बन गई है।

    भाजपा, जदयू और लोजपा तीनों दलों में टिकट से वंचित नेताओं की बगावत खुलकर सामने आ रही है। किसी को मनाने की कोशिश अब तक नहीं दिख रही। पार्टी के अंदर का यह असंतोष आने वाले दिनों में बड़े समीकरण बदल सकता है।भागलपुर की कई सीटों पर मुकाबला बहुकोणीय हो जाएगा।