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    बिहार चुनाव : विकास के लिए तरस रहे मुंगेर में जातिगत समीकरण हावी, जानिए... तीनों विधानसभाओं की स्थिति

    By Dilip Kumar ShuklaEdited By:
    Updated: Sun, 25 Oct 2020 07:10 AM (IST)

    Bihar Assembly Elections 2020 मुंगेर जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं। दो सीट पर जदयू और एक सीट पर राजद के विधायक हैं। मुंगेर विधानसभा राजद के कब्‍जे में है। तारापुर और जमालपुर पर जदयू के विधायक हैं। इस बार का चुनावी समीकरण कुछ इस प्रकार है।

    मुंगेर जिले में अभी एक सीट पर राजद और दो सीटों पर जदयू के विधायक हैं।

    मुंगेर [दिनकर]। Bihar Assembly Elections 2020 : बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की कर्मभूमि रही है मुंगेर। विकास के मुद्दे पर राजनीतिक रूप से सशक्त मुंगेर में बदलाव की बयार तो है लेकिन जातीय समीकरण की गोलबंदी में यहां कुछ भी संभव है। इसकी पहचान औद्योगिक नगरी के रूप में भी होती रही है। लेकिन आज मुंगेर विकास के मामले में हांफ रहा है।

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    भागलपुर से मुंगेर जाने के क्रम में एनएच 80 पर घोरघट बेली ब्रिज है। यहां वाहनों की कतार लगी है और ट्रैफिक वन वे है। यहां गोलेक मंडल मिलते हैं। उन्होंने बताया कि 2006 तब यहां पक्का पुल क्षतिग्रस्त हुआ था जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सड़क मार्ग से श्रावणी मेला का उद्घाटन करने जा रहे थे। उसके बाद बेली ब्रिज बना और वह भी टूटने की कगार पर है। पता नहीं कब यहां स्थायी पुल शुरू हो पाएगा।

    मुंगेर शहर जाने के क्रम में सड़कों का चौड़ीकरण हो रहा है। गणपत तिवारी कहते हैं कि अच्छा हुआ कि अभी गंगा नदी का सड़क पुल चालू नहीं हुआ है। नहीं तो पूरा इलाका जाम की चपेट में फंस जाता। इच्छाशक्ति की कमी के कारण कोई प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हो पाता है। मुंगेर के लोगों का दर्द है कि आश्वासनों के बावजूद आजतक मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं खुला। हालांकि मुख्यालय में विश्वविद्यालय तो 2018 में स्थापित हुआ है। शिक्षा का हब बनाने के लिए काफी कुछ करना बाकी है। 10 लाख लोगों को रोजगार देने एवं नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले, समान वेतन की घोषणा से कुछ लोग उत्साहित दिख रहे हैं।

    तारापुर विधानसभा क्षेत्र में धान की अच्छी खेती होती है। इसे धान का कटोरा भी कहा जाता है। मकवा के पास बहियार में अजय सिंह खड़े हैं। धान के कटोरा के सवाल पर उन्होंने कहा-'प्रकृति की मेहरबानी से इस फिर धान का कटोरा भर जाएगा। अगले साल क्या होगा, यह पता नहीं। क्षेत्र में सिंचाई की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। पुराने सिंचाई के साधनों को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।' जमालपुर के रेलनगरी की पहचान छिनती जा रही है। यहां भी किसी तारणहार का इंतजार है।

    रविंद्र कुमार की सुनें- 'जिले की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि यहां पर्यटन की असीम संभावना है। केवल भीम बांध को ही विकसित कर क्षेत्र में पर्यटकों को नहीं लुभाया जा सकता है। इसके साथ अन्य क्षेत्रों को चिन्हित कर विकसित करना होगा। इससे रोजगार का भी सृजन होगा।'

    मुंगेर : मुंगेर विधानसभा सीट राज्य की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है। यह ऐतिहासिक धरोहरों का शहर है। गंगा किनारे बसे इस शहर की योग विश्वविद्यालय एवं बंदूक कारखाना की वजह से अंतरराष्ट्रीय पहचान है। यहां चुनाव जाति समीकरण पर ही आकर टिक गया है। यादव, मुस्लिम तथा वैश्य जाति बहुल क्षेत्र होने की वजह से महागठबंधन और एनडीए दोनों से ही यादव जाति से प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा गया है।

    मुंगेर सीट पर एनडीए एवं महागठबंधन के बीच मुकाबला होता रहा है। इस बार भी यहां फिर से महागठबंधन के राजद उम्मीदवार अविनाश कुमार विद्यार्थी एवं एनडीए के बीजेपी प्रत्याशी प्रणव कुमार के बीच मुकाबला है। 2015 में नजदीकी मुकाबले में राजद के विजय कुमार विजय की जीत हुई थी। वे लगभग चार हजार मतों के अंतर से चुनाव जीते थे।

    जमालपुर : विकास के कई मामलों में जमालपुर विधानसभा क्षेत्र अभी भी पिछड़ा है। यहां प्रत्याशियों को रेल कारखाना, पलायन, सिंचाई और रोजगार जैसे मतदाताओं के चुनावी मुद्दे से जूझना होगा। चार बार जमालपुर की जनता ने ग्रामीण कार्य मंत्री रहे जदयू प्रत्याशी शैलेश कुमार को जीत का सेहरा बांधा है। इस बार यहां मुकाबला कांटे की है। एनडीए से निवर्तमान जदयू विधायक शैलेश कुमार एवं महागठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. अजय कुमार सिंह में स्पष्ट लड़ाई दिख रही है। यह यादव तथा कुर्मी व धानुक बहुल क्षेत्र है। अगड़ी जाति का वोट यहां निर्णायक सिद्ध हो सकता है। महागठबंधन प्रत्याशी जहां भूमिहार जाति से आते हैं, तो लोजपा प्रत्याशी दुर्गेश सिंह राजपूत जाति से हैं। राजपूत जाति का वोट भी यहां अच्छा-खासा है। 2015 में मुकाबला जदयू के शैलेश कुमार एवं लोजपा प्रत्याशी रहे हिमांशु कुंवर के बीच हुआ था। शैलेश कुमार ने चौथी बार लोजपा प्रत्याशी को 15,476 मतों से पराजित किया था।  

    तारापुर : कुशवाहा बहुल क्षेत्रों में शुमार तारापुर में इस बार दो परंपरागत वर्चस्व वाले जातियों के बीच कांटे की लड़ाई दिख रही है। तारापुर विधानसभा क्षेत्र में कुशवाहा का इस कदर वर्चस्व है कि 2000 से लेकर 2015 तक हुए  पांच चुनावों में कुशवाहा बनाम कुशवाहा का ही मुकाबला हुआ। एक लंबे अंतराल के बाद फिर इस विधानसभा क्षेत्र में कुशवाहा और यादव आमने-सामने है। मतदाताओं का रुझान जातीय धुर्वीकरण का संकेत दे रहा है। राजद प्रत्याशी दिव्या प्रकाश के पक्ष में राजद के आधार मत एकजुट दिख रहे हैं। उनके पिता भारत सरकार के पूर्व मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव हैं। उनका भी क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है। दूसरी ओर वर्तमान विधायक डॉ. मेवालाल चौधरी का पसीना छूट रहा है। जनता उनसे कार्यों का हिसाब मांग रही है। इधर निर्दलीय प्रत्याशी राजेश मिश्रा संघर्ष को त्रिकोणात्मक बनाने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वे किसको कितना क्षति पहुंचा सकते हैं, यह 28 अक्टूबर को ही पता चल पाएगा।  

    2015 चुनाव एक नजर में :

    मुंगेर विधानसभा :

    विजय कुमार विजय :राजद - 77216 मत

    प्रणव कुमार: भाजपा -72851 मत

    जमालपुर विधानसभा :

    शैलेश कुमार : जदयू- 67273 मत

    हिमांशु कुमार : लोजपा- 51757मत

    तारापुर विधानसभा :

    डॉ.मेवालाल चौधरी : जदयू- 66411 मत

    शकुनी चौधरी : हम: 54464 मत