चुनाव से पहले घमासान : एक सीट के लिए 10-10 उम्मीदवार...घर-घर जाकर समर्थन मांग रहे नेताजी को अपने ही घेर रहे
Bihar Politics विधानसभा चुनाव से पहले उम्मीदवारी को लेकर नेताओं में घमासान मचा है। भाजपा और राजद में सिटिंग विधायकों के टिकट कटवाने के लिए पार्टी के ही नेता पीछे पड़े हैं। नगर विधानसभा सीट पर भाजपा में कई दावेदार हैं तो कांग्रेस में सिटिंग विधायक के खिलाफ सवाल उठ रहे हैं। गायघाट सीट पर गठबंधन धर्म दांव पर है जहां पार्टी की वफादारी भी खतरे में है।

प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। Bihar Vidhan sabha Chunav: कहते हैं राजनीति में कुर्सी ही सबसे बड़ी नातेदारी होती है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले दलों में उम्मीदवारी को लेकर नेताओं की आपसी खींचतान कुछ यही कहानी बयां कर रही है।
अपनों से भी लड़ना होगा
मुजफ्फरपुर में चुनाव से पहले जो स्थिति बन रही, उससे तय है कि दल द्वारा चुने गए उम्मीदवार को प्रतिद्वंद्वियों के साथ अपनों से भी लड़ना होगा। खासकर, भाजपा और राजद में यह स्थिति अधिक बन रही है। सिटिंग का टिकट कट जाए, इसके लिए दल के दूसरे उम्मीदवार ही पीछे पड़े हैं।
दल के दूसरे नेता मजा ले रहे
विधायक को अगर जनता घेरती है तो अपने ही दल के दूसरे नेता इसका मजा ले रहे हैं। परोक्ष रूप से वह भी टांग खींच रहे। मामले को जिला से लेकर प्रदेश संगठन तक पहुंचाते हैं। साथ ही, वे क्षेत्र में उम्मीदवार के रूप में खुद को प्रस्तुत भी कर रहे।
घर-घर जाकर समर्थन मांग रहे
पहली बार यह दिख रहा कि पार्टी के नेता पिछले एक माह से घर-घर जाकर समर्थन मांग रहे हैं। जिले की कई सीटों का यही हाल है। एक सीट पर 10-10 नेताओं ने अपनी उम्मीदवारी घोषित कर दी है। यह तो तय है कि पार्टी से टिकट नहीं मिला तो इनमें से कई बागी भी बनेंगे।
भावी उम्मीदवारों की संख्या
मुजफ्फरपुर नगर विधानसभा सीट पर मारामारी अधिक है। समीकरण मुफीद होते हुए भी भाजपा ने पिछली बार यह सीट गंवा दी थी। सिटिंग सीट नहीं होने से पार्टी में भावी उम्मीदवारों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। रोज एक चेहरा खुद की उम्मीदवारी के साथ मैदान में आ रहा।
अंतिम पारी खेलने उतरेंगे सुरेश शर्मा
पूर्व मंत्री सुरेश कुमार शर्मा की पिछली पराजय और उम्र को देखते हुए उन्हें संभावनाएं भी दिख रहीं। हालांकि सुरेश शर्मा अब भी डटे हैं। वह कहते हैं, जो भी काम हुआ, वह उन्होंने ही किया। अंतिम पारी खेलने जरूर उतरेंगे।
कई और भी मैदान में
दूसरी ओर पूर्व जिलाध्यक्ष अपने कार्यकाल में जिले में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन का इनाम पार्टी से चाहते हैं। इसके अलावा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य डा. ममता रानी, महापौर निर्मला देवी, उपमहापौर डा. मोनालिसा, देवांशु किशोर, सावन पांडेय, देवीलाल समेत दर्जन भर नेता पार्टी में अपने-अपने गुट के सहारे हाथ-पैर मार रहे। अब जिनकी गोटी सेट हो जाए।
चुनाव कार्यालय तक खोल लिया
देवांशु किशोर ने तो बजाप्ता चुनाव कार्यालय तक खोल लिया है। इनमें से कई टिकट नहीं मिलने पर दूसरे दल या निर्दल ही ताल ठोंकते नजर आ जाएं तो आश्चर्य नहीं। इस सीट पर कांग्रेस की भी कुछ यही स्थिति है।
विधायक पर उठा रहे सवाल
सिटिंग विधायक बिजेंद्र चौधरी के खराब स्वास्थ्य और जनता से दूरी को लेकर उनकी पार्टी के नेता ही सवाल उठाते हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजय निषाद की मदद नहीं करने का पहले से आरोप है।
कांग्रेस में भी कई दावेदार
दूसरे संभावित नेता इन बातों को पार्टी आलाकमान तक पहुंचा चुके हैं, ताकि उनका रास्ता बन सके। कई साल से मेहनत कर रहे डा. गौरव वर्मा ने इस आशा से पिछले दिनों कांग्रेस में शामिल हुए हैं। वहीं एक बार सीट से मैदान में उतर चुके मयंक कुमार मुन्ना भी दावेदारी पेश कर हैं।
कांग्रेस की दो सीटों पर दावेदारी
जिलाध्यक्ष अरविंद कुमार मुकुल भी इस सीट और औराई में से एक मांग रहे। ऐसे में कभी उम्मीदवारी को तरसने वाली कांग्रेस के सामने भी कम चुनौती नहीं। अरविंद मुकुल कहते हैं, पार्टी का जनाधार बढ़ने से उम्मीदवारी का विकल्प बढ़ा है। मगर अनुशासन में रहकर ही उम्मीदवारी पर बात हो।
जनसुराज में भी घमासान
इसके अलावा पहली बार चुनाव में उतरने वाली जन सुराज में उम्मीदवारी पर कम घमासान नहीं। एसकेएमसीएच से सरकारी नौकरी छोड़ डा. एके दास ने उम्मीदवारी की दावेदारी दी तो वार्ड पार्षद संजय केजरीवाल भी ताल ठोंकने लगे।
पार्टी की वफादारी दाव पर
जिले की गायघाट सीट पर भी इसबार कम घमासान नहीं है। स्थिति यह है कि गठबंधन धर्म भी दाव पर है। जदयू से राजद आकर पहली बार जीत दर्ज करने वाले निरंजन राय के दल में ही कई विरोधी हैं। क्षेत्र के उनके विरोध को ये अपने लिए भुना रहे हैं।
कई नेता क्षेत्र ने सक्रियता बढ़ा दी
वोटर अधिकार यात्रा के दौरान उनके द्वारा माला पहनने से राहुल गांधी के इन्कार के वीडियो खूब प्रसारित किए जा रहे हैं। छींका टूटने की उम्मीद पाले कई नेता क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। वहीं दूसरी पार्टी के नेता की नजर भी है।
सांसद का खुलेआम एलान
यहां से भाजपा विधायक रहीं एवं वैशाली सांसद वीणा देवी ने खुलेआम कह दिया है कि एनडीए से सीट जिस दल को मिले, टिकट उनकी बेटी कोमली सिंह को ही मिलेगा। पिछले चुनाव में लोजपा उम्मीदवार के रूप में कोमल को 36 हजार वोट मिले थे।
और भी दावेदार
अब कोमल को जदयू से टिकट मिलता है तो कई बार यहां से विधायक रहे महेश्वर यादव के उत्तराधिकारी प्रभात किरण भी दूसरे दल से भाग्य आजमा सकते हैं। वहीं प्रभात को जदयू से सिंबल मिलता है तो कोमल भी दूसरा दरवाजा खटखटा सकती है। ऐसे में पार्टी की वफादारी भी दाव पर रहेगी।
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