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    बगहा विधान सभा: चुनावी हलचल के बीच बगहा को जिला बनाने की आवाज तेज

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 02:46 PM (IST)

    विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही बगहा को राजस्व जिला बनाने की मांग फिर से तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार आश्वासन दिया, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के कारण बगहा जिला नहीं बन पाया है। लोगों को जिला मुख्यालय जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। इस बार जनता वादों पर नहीं, बल्कि काम पर भरोसा करने को तैयार है।

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    चुनावी हलचल के बीच बगहा को जिला बनाने की आवाज तेज


    विनोद राव, बगहा। विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच बगहा को राजस्व जिला बनाने की मांग एक बार फिर से प्रमुखता से उठ रही है। यह मुद्दा बीते कई वर्षों से यहां की जनता की पहली प्राथमिकता है। हर चुनाव में इसे राजनीतिक दलों द्वारा जोरशोर से उठाया जाता है, लेकिन चुनाव खत्म होते ही यह मांग ठंडे बस्ते में चली जाती है।

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    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले पांच वर्षों में आठ से अधिक बार वाल्मीकिनगर की यात्रा कर चुके हैं और हर बार बगहा को जिला बनाने का आश्वासन जनता को दिया है। इसके बावजूद अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। स्थानीय लोगों का मानना है कि नेताओं द्वारा यह मुद्दा केवल चुनावी लाभ के लिए उठाया जाता है।

    जनप्रतिनिधियों की सुस्ती से जनता नाराज

    जनता का यह भी आरोप है कि यहां के जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता और आपसी तालमेल की कमी के कारण बगहा आज तक जिला नहीं बन सका। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री सतीश चंद्र दुबे, वाल्मीकिनगर सांसद सुनील कुमार, बगहा विधायक राम सिंह, रामनगर विधायक भागीरथी देवी व वाल्मीकिनगर विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह आज तक इस मुद्दे को लेकर एकजुट होकर मुख्यमंत्री से नहीं मिले।

    हालांकि विधानसभा में इस मुद्दे को कई बार उठाया गया, लेकिन वह महज औपचारिकता बनकर रह गया। एनडीए सरकार के लंबे कार्यकाल के बावजूद बगहा को जिला बनाने की मांग को लगातार नजरअंदाज किया गया है। जनता अब सिर्फ आश्वासन नहीं, बल्कि ठोस निर्णय चाहती है।

    जिला मुख्यालय की दूरी 75 किलोमीटर

    बगहा अनुमंडल के अंतर्गत आने वाले सात प्रखंड बगहा एक, बगहा दो, रामनगर, ठकराहा, भितहा, मधुबनी और पिपरासी के लोगों को जिला मुख्यालय बेतिया पहुंचने के लिए 75 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ती है।

    इन क्षेत्रों में जिला स्तर की सुविधाओं की भारी कमी है। स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर केवल अनुमंडलीय अस्पताल है, जहां चिकित्सकों की संख्या कम है और जरूरी संसाधनों की भी कमी रहती है। प्रशासनिक कार्यों के लिए लोगों को बार-बार दूरदराज के जिलों का रुख करना पड़ता है, जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती है।

    इस बार चुनावी माहौल में जनता का रुख स्पष्ट है। बगहा को जिला बनाए बिना वोट की अपेक्षा करना आसान नहीं होगा। जनता अब जागरूक हो चुकी है और सिर्फ वादों पर भरोसा नहीं करेगी। बगहा को जिला बनाने का मुद्दा इस बार भी चुनावी रणभूमि में छाया रहेगा, लेकिन जनता इस बार केवल वादा नहीं, कार्यान्वयन की मांग कर रही है।

    सुशासन बाबू ने जब मुख्यमंत्री बनने से पहली बार अपनी न्याय यात्रा की शुरुआत बगहा से की थी तब उन्होंने यह वादा किया था कि मुख्यमंत्री बनते ही बगहा को राजस्व जिला घोषित करेंगे। 2005 से 2025 हो गए लेकिन मुख्यमंत्री ने अपना वादा पूरा नहीं किया। बगहा का जो क्षेत्रफल और आबादी है उस लिहाज से बगहा को जिला अब तक बन जाना चाहिए था। प्रशासनिक कार्यों के लिए लोगों को आज भी लंबी यात्रा करके बेतिया तक का सफर करना अन्याय नहीं तो और क्या है? सरकार जिनकी भी बने, सर्वप्रथम बगहा पुलिस जिला को राजस्व जिला बनाना आगामी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। - सौरभ के.स्वतंत्र, शिक्षाविद्, बगहा

    पिछले कई वर्षों से सरकार के द्वारा बगहा जिले को बनाने के लिए आश्वासन ही मिला है। इसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता साफ झलक रही है। इस बार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बगहा को जिला बनाना होना चाहिए जो कोई स्थानीय प्रतिनिधि हैं इसके बारे में सोच सकता है। -आकाश कुमार, बगहा 

    बगहा जिला न बनना क्षेत्र के लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। वर्षों से बगहा जिला बनाने की मांग की जा रही थी, लेकिन सरकार ने फिर अनदेखी कर दी। बगहा की आबादी, भौगोलिक विस्तार और सीमावर्ती स्थिति को देखते हुए इसे जिला बनाया जाना चाहिए था। सरकार को जनभावना का सम्मान करना चाहिए। -गोलू सिंह, युवा, बगहा

    बगहा के विकास के लिए राजस्व जिला बनाना आवश्यक है। जब जब चुनाव का समय आता है , विभिन्न प्रत्याशियों द्वारा जनता को झूठे आश्वासन दिया जाता रहा है। विकास का ढिंढोरा पीटने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपने कार्य काल के दो दशक बीत जाने के बाद भी वादा पूरे नहीं कर सके। -राजेंद्र कुमार सिंह, हरदी नदवा