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    Bihar Chunav: बिहार की इस सीट पर चार बार निर्दलीय प्रत्याशी मार चुके हैं बाजी, एक ने लगाई थी हैट्रिक

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 05:41 PM (IST)

    अरवल जिले में दूसरे चरण का चुनाव 11 नवंबर को होना है। अरवल और कुर्था विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी माहौल गरमा गया है। अरवल सीट से भाकपा माले और कुर्था से राजद के विधायक हैं। अरवल में 2020 में महानंद सिंह ने भाजपा के दीपक शर्मा को हराया था। अरवल में निर्दलीय प्रत्याशियों ने चार बार जीत दर्ज की है, जिनमें से एक ने हैट्रिक भी लगाई थी।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    धीरज, अरवल। अरवल जिले में दूसरे चरण में 11 नवंबर को चुनाव होना है। जिले के दोनों विधानसभा अरवल व कुर्था में चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है। अरवल सीट से मौजूदा समय में भाकपा माले और कुर्था से राजद के विधायक हैं।

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    अरवल में 2020 के चुनाव में महानंद सिंह ने भाजपा प्रत्याशी दीपक शर्मा को मात दी थी। 1952 से 2020 के बीच हुए 17 विस चुनावों में अरवल सीट से चार बार निर्दलीय प्रत्याशी अपना झंडा गाड़ चुके हैं, जिनमें एक प्रत्याशी ने हैट्रिक लगाई थी।

    1952 के पहले चुनाव में भी निर्दलीय प्रत्याशी चंद्रभूषण प्रसाद सिंह दूसरे नंबर पर रहे थे। 1972 में पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार रंग बहादुर सिंह ने जीत हासिल की थी, उन्होंने भाकपा माले को हराया था।

    1980, 1985 और 1990 में निर्दलीय उम्मीदवार कृष्णानंदन प्रसाद ने लगातार जीत हासिल कर हैट्रिक लगाई थी। लगातार तीन बार की जीत का रिकॉर्ड अरवल विधानसभा में आज तक नहीं टूट पाया है। कुर्था विधानसभा में एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी।

    अरवल विधानसभा सीट से पहला चुनाव 1952 में हुआ था। 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के गुदानी सिंह ने जीत हासिल की थी। 1957 व 1962 में कांग्रेस से बुधन मेहता ने सफलता हासिल की थी। 1967 व 1969 में भाकपा के शाह जोहैर विधायक बने थे।

    1972 में निर्दलीय उम्मीदवार रंग बहादुर सिंह ने भाकपा को हराया था। 1977 में जनता पार्टी के बनेश्वर प्रसाद सिंह विजय हुए थे। 1980, 1985 व 1990 में निर्दलीय उम्मीदवार कृष्णानंदन प्रसाद ने लगातार तीन बार जीत हासिल कर हैट्रिक लगाई थी।

    1995 में जनता दल से रवींद्र सिंह कुशवाहा विधायक निर्वाचित हुए थे। 2000 में राजद से अखिलेश प्रसाद सिंह जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 2005 में दो बार हुए विस चुनाव में लोजपा से दुलारचंद सिंह ने जीत हासिल की थी।

    2010 में यहां भाजपा की पहली जीत हुई थी। भाजपा के चितरंजन कुमार ने भाकपा (माले) के महानंद सिंह को हराया था। 2015 में राजद की वापसी हुई, रवींद्र सिंह कुशवाहा ने भाजपा के चितरंजन कुमार को हराकर दोबारा जीत दर्ज की थी। 2020 में भाकपा (माले) के महानंद सिंह भाजपा के दीपक कुमार शर्मा को हराकर विधायक बने।

    कुर्था विधानसभा में राजद को मिली सर्वाधिक जीत

    कुर्था विधानसभा में 1952 के पहले विस चुनाव में भारतीय सोशलिस्ट पार्टी के रामचरण सिंह यादव विधायक बने थे। 1957 में कांग्रेस से कामेश्वर शर्मा व 1962 में दोबारा रामचरण सिंह यादव प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से विजय हुए थे।

    1976 व 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से जगदेव प्रसाद दो बार विधायक निर्वाचित हुए। 1972 में कांग्रेस से रामाश्रय प्रसाद सिंह, 1977 में शोषित समाज दल से नागमणि ने जीत हासिल की थी।

    1980 में जनता पार्टी से सहदेव प्रसाद यादव, 1985 में नागमणि निर्दलीय विजय हुए। 1990 में जनता दल से मुंद्रिका सिंह यादव और 1995 में जनता दल से दोबारा सहदेव प्रसाद यादव विधायक निर्वाचित हुए।

    वर्ष 2000 में राजद से शिव वचन यादव। 2005 में दो बार हुए विस चुनाव में लोजपा से सुचित्रा सिंह विधायक निर्वाचित हुईं। 2010 व 2015 में जदयू सत्यदेव सिंह विधायक बने। 2020 में राजद से बागी कुमार वर्मा विधायक बने।