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    Bihar election 2025 : घूंघट के पीछे छिपा राज, दरभंगा में महिलाओं की कतारें दे रहीं नया संकेत

    By Dharmendra SinghEdited By: Dharmendra Singh
    Updated: Thu, 06 Nov 2025 02:32 PM (IST)

    Bihar Vidhan Sabha Chunav: बिहार में 2025 के चुनावों को लेकर हलचल है। दरभंगा में घूंघट वाली महिलाओं की लंबी कतारें राजनीतिक जागरूकता का संकेत दे रही हैं। यह महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है, जो चुनाव में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

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    गौड़ाबौराम विधानसभा भवानीपुर में मतदान कर जाती घुघट में महिला। जागरण

    डिजिटल डेस्क, दरभंगा।  (Bihar Assembly Election 2025) दरभंगा जिले की दसों विधानसभा दरभंगा नगर, दरभंगा ग्रामीण, हायाघाट, जाले, बेनीपुर, अलीनगर, केवटी, सिंहवाड़ा, घनश्यामपुर और कुशेश्वरस्थान में मतदान के दौरान एक बात सबसे ज्यादा ध्यान खींच रही है। और वह है महिलाओं की बढ़ती और निर्णायक भागीदारी।

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    सुबह की हल्की धूप से लेकर दोपहर की तपिश तक, हर बूथ पर महिलाओं की कतारें लगातार लंबी होती दिखीं। साड़ी का पल्लू सिर पर डाले, बच्चा गोद में लिए या वृद्ध माता-पिता का हाथ थामे महिलाएं जिस दृढ़ता के साथ मतदान केंद्रों तक पहुंच रही हैं, वह इस बार चुनावी माहौल में एक अलग ही संकेत छोड़ रहा है।

    विशेष रूप से कुशेश्वरस्थान में यह तस्वीर और भी स्पष्ट दिखाई देती है। यहां गांवों की महिलाओं के चेहरे पर थकान नहीं, आत्मविश्वास है। जैसे वे जानती हों कि उनका यह कदम केवल वोट नहीं है आने वाले पांच साल की दिशा तय कर रहा है। राजनीतिक दलों की रणनीतियों और आंकड़ों से अलग, महिलाओं की यह भीड़ बता रही है कि इस चुनाव का असली फैसला कहीं और नहीं, वोटिंग लाइन में खड़ी इन महिलाओं की चुप्पी में लिखा जा रहा है।

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    87 जाले बूथ संख्या 128 ढरिया बेलवारा बूथ पर 97 वर्षीय राजकुमारी देवी ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

    बुज़ुर्ग कदमों में चुनाव की ताकत

    80-85 साल के दादियां छड़ी का सहारा लेकर बूथ तक पहुंचीं। धीमी चाल थी लेकिन इरादा तेज और स्पष्ट। उन्होंने कहा- 'जब तक सांस है, मतदान करते रहेंगे।'इनकी मौजूदगी युवा मतदाताओं को संदेश देती है। लोकतंत्र बूढ़ा नहीं होता, उसकी ताकत हमेशा नई रहती है।


    अब हम तय करेंगे किसको करना है वोट


    कई सालों तक घर में चुनाव में वोट देने जुड़ा फैसला ज्यादातर पुरुष ही तय करते थे। लेकिन इस बार तस्वीर बदली हुई दिखी। कई महिलाओं ने साफ कहा, हम आज खुद तय करेंगे कि किसे वोट देना है। यह बदलाव गांवों के छोटे-छोटे टोले और पक्की सड़कों से दूर बसे इलाकों में भी महसूस हो रहा है।

    अब खुलकर बोलतीं हैं महिला वोटर

    इसबार के विधानसभा चुनाव में खुलकर अपनी बात रख रही है। किसी महिला ने कहा कि उसे बच्चों के अच्छे स्कूल की जरूरत है। कोई बोली कि गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तो है, पर दवा की अच्छी व्यवस्था की उम्मीद है।


    घूंघट के अंदर से उठी आवाज

    सुबह सूरज की पहली किरण के साथ ही महिलाओं की कतारें बूथ के बाहर दिखाई दीं। सिर पर पल्लू था, पर कदमों में झिझक नहीं। गोद में बच्चा, हाथ में वोटर आईडी और चेहरे पर आत्मविश्वास झलकता दिखा। यह दृश्य बताता है कि अधिकार की समझ अब घर की दहलीज पार कर चुकी है। दरभंगा की महिलाएं अब सिर्फ दर्शक नहीं, बदलाव की साझेदार हैं।

    गांव से शहर तक एक ही मंजिल

    ग्रामीण इलाकों की मिट्टी सनी साड़ियां हों या शहर का सलीका भरा लिबास—दृश्य एक था। महिलाएं अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने आई थीं। कई ने खाना बनाने से पहले वोट डाला, कई ने बूढ़ी मां का सहारा पकड़ लिया। यह कतार सिर्फ वोटरों की नहीं, सोच की भी कतार थी। दरभंगा की सड़कों पर आज लोकतंत्र की असल पहचान दिखी।