यह केवल पश्चिम एशिया ही नहीं, बल्कि विश्व शांति के लिए एक शुभ संकेत है कि इजरायल और फलस्तीनी संगठन हमास के बीच समझौता हो गया। इस समझौते के तहत हमास उन बंधकों को छोड़ेगा जिन्हें उसने सात अक्टूबर 2023 के एक भीषण हमले में इजरायल में घुसकर अपहृत कर लिया था।

इसके बदले इजरायल फलस्तीनी कैदियों को छोड़ने के साथ गाजा पट्टी से पीछे हटेगा और अपनी सैन्य कार्रवाई रोकेगा। इस समझौते के तीन चरण हैं। समझौता पूरी तरह तभी लागू हो पाएगा जब पहले और दूसरे चरण को पूरा करने में सफलता मिलेगी।

देखना यह है कि ऐसा हो पाता है या नहीं। समझौते के पूरा होने और उसके कायम रहने के आसार इसलिए कम हैं, क्योंकि एक ओर जहां यह दिख रहा है कि हमास इजरायल को नष्ट करने की अपनी सनक का परित्याग नहीं करने वाला। वहीं दूसरी ओर इजरायल सरकार यह मानती है कि हमास के खात्मे के बगैर शांति संभव नहीं।

इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि दोनों पक्षों के बीच यह समझौता पहले भी हो सकता था यदि हमास बंधकों को छोड़ने पर राजी हो जाता, लेकिन वह इजरायल पर कठोर शर्तें थोपता रहा। हमास की इस जिद के चलते गाजा पट्टी के 46,000 से अधिक लोग मारे गए और लाखों को पलायन के लिए विवश होना पड़ा।

यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि यह समझौता इसीलिए हो सका, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं और वह हर हाल में दोनों पक्षों के बीच समझौता होते देखना चाहते थे। अच्छा होता कि ऐसी ही प्रतिबद्धता राष्ट्रपति जो बाइडन दिखाते। वह शांति और समझौते की बात तो करते रहे, लेकिन न तो हमास पर दबाव बना सके और न ही उसे समर्थन देने वाले कतर पर।

बाइडन इजरायल पर भी इसके लिए कोई दबाव नहीं बना सके कि वह ईंट का जवाब पत्थर से देने की अपनी नीति छोड़े और अपनी सैन्य कार्रवाई में आम लोगों को निशाना न बनाए। इसके स्थान पर वह इजरायल को हर तरह की सैन्य सहायता देते रहे। इसका परिणाम यह हुआ कि इजरायल यह जानते हुए भी गाजा पर अंधाधुंध हमले करता रहा कि वह इस तरह हमास को समाप्त नहीं कर सकता।

निश्चित रूप से पिछले 15 महीनों में गाजा में जो तबाही हुई, उसके लिए हमास ही अधिक जिम्मेदार है। यदि उसने इजरायल में घुसकर आतंकी हमले को अंजाम नहीं दिया होता तो संभवतः इतना अधिक विनाश नहीं हुआ होता।

चिंताजनक यह है कि समझौते के बाद भी हमास और इजरायल के बीच अविश्वास दिख रहा है। यह स्थिति कभी भी समझौते के भंग होने का कारण बन सकती है। इसलिए यह आवश्यक है कि सभी पक्ष यह सुनिश्चित करें कि ऐसा न होने पाए।