उचित फैसलापंजाब के खिलाड़ी कभी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपना लोहा मनवाते थे और ढेर सारा पदक जीतकर लाते थे। प्रदेश में खिलाड़ियों की कमी इस समय भी नहीं है लेकिन पहले जैसा प्रदर्शन देखने को नहीं मिल रहा है। शायद प्रदेश सरकार को भी इसका अहसास हो गया है, कदाचित इसीलिए वह प्राथमिक कक्षाओं से ही प्रतिभाओं को तलाशने और तराशने की बात कर रही है। सरकार की ओर से पहली कक्षा से खेल का पीरियड शुरू करने की तैयारी है। इसे उचित फैसला कहा जा सकता है क्योंकि प्रतिभाओं की पहचान करके उन्हें निखारने का खर्च यदि सरकार उठाएगी तो आर्थिक अभाव प्रतिभावान बच्चों के करियर में आड़े नहीं आएगा। बीते सप्ताह संपन्न हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में पंजाब के खिलाड़ियों की तुलना में हरियाणा के खिलाड़ियों का प्रदर्शन बहुत बेहतर रहा है। हरियाणा के 32 खिलाड़ियों ने जहां 22 पदक जीते वहीं पंजाब के 28 खिलाड़ियों ने मात्र पांच पदक जीते। इसमें भी मात्र एक गोल्ड है जबकि हरियाणा के खिलाड़ियों ने ज्यादा गोल्ड जीते हैं। इसकी कई वजहें हैं जिन पर प्रदेश सरकार को गंभीरता से सोचना होगा।

पहले तो खेल नीति को ही बेहतर करना होगा। खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देना बहुत जरूरी है। हरियाणा की ही बात करें तो वहां की सरकार गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ियों को डेढ़ करोड़ रुपये के साथ क्लास ए की नौकरी भी दे रही है जबकि पंजाब सरकार की ओर से ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है। वैसे भी यहां गोल्ड जीतने वाले को करोड़ तो क्या पचास लाख भी नहीं मिलते हैं जबकि उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र की सरकारें भी पचास लाख रुपये दे रही हैं। हरियाणा के खिलाड़ियों को तो आस्ट्रेलिया से लौटते ही पैसे मिल भी गए। प्रदेश सरकार को यह देखना होगा कि खिलाड़ियों का मनोबल न टूटने पाए। कई खिलाड़ी इसीलिए दूसरे प्रदेशों से खेल रहे हैं क्योंकि वहां उनको ज्यादा सुविधाएं मिल रही हैं। पंजाब में ही यदि उनको बेहतर सुविधाएं व अवसर मिले तो कोई कारण नहीं कि वे दूसरे राज्यों का रुख करें।

[ स्थानीय संपादकीय: पंजाब ]