दिल्ली में बड़ी परियोजनाओं पर काम में देरी निराशाजनक है। वर्षो से काम अधूरा होने के कारण लोगों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है, जो गंभीर चिंता का विषय है। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2010 में राष्ट्रमंडल खेल को ध्यान में रखते हुए बनाई गईं कुछ परियोजनाएं आठ साल बाद भी पूरी नहीं हो पाईं हैं। सिग्नेचर ब्रिज और बारापुला फेज-2 ऐसी ही दो परियोजनाएं हैं। सिग्नेचर ब्रिज का ढांचागत काम यूं तो 94 फीसद पूरा हो चुका है, लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा इसके लिए धनराशि न जारी करने के कारण काम एक माह से ठप पड़ा है। निर्माण कार्य में जुटी कंपनी के कर्मचारी काम बंद कर मुंबई जा चुके हैं। एक माह बाद इसके लिए 36 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है, लेकिन काम पूरी तरह बंद हो जाने के बाद अब इसके शुरू होने में देरी होने की आशंका है।

सिग्नेचर ब्रिज और बारापुला फेज-2 इन दोनों परियोजनाओं को राष्ट्रमंडल खेल से पहले पूरा किया जाना था, लेकिन काम में देरी के कारण इन्हें राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर बनाई गई योजनाओं से हटा दिया गया और इसके बाद भी ये परियोजनाएं पूरी नहीं हो सकी हैं। सराय काले खां से एम्स तक सिग्नल फ्री करने की बारापुला फेज-2 परियोजना पर राष्ट्रमंडल खेलों के बाद काम शुरू हुआ, जिसे दिसंबर, 2016 में पूरा किया जाना था। विभिन्न कारणों से काम पिछड़ता रहा और इसकी समयसीमा मार्च 2017 फिर दिसंबर 2017 इसके बाद मार्च 2018 कर दी गई, लेकिन अब तक काम पूरा नहीं हो सका है। यह समयसीमा बढ़ाकर जून 2018 कर दी गई है। यह आधारभूत ढांचे से जुड़ीं परियोजनाओं में देरी की बानगी है और दिल्ली सरकार को कठघरे में खड़ा करती है। सरकार को हरसंभव प्रयास करना चाहिए कि अब जो समयसीमा तय की गई है, उसके अनुसार कार्य पूरा होना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय: दिल्ली ]