जागरण संपादकीय: शराब नीति पर कठघरे में आप, कैग की रिपोर्ट से बेनकाब होंगे कई
आम आदमी पार्टी की ओर से यह जो आरोप लगाया गया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से आंबेडकर और भगत सिंह के फोटो हटाकर उनका अपमान किया गया वह झूठा तो साबित ही हुआ जनता को यह भी स्मरण हो आया कि यह अरविंद केजरीवाल ही थे जिन्होंने खुद को संविधानप्रेमी और क्रांतिकारी सिद्ध करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से महात्मा गांधी की फोटो हटा दी थी।
केजरीवाल सरकार की शराब नीति पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक अर्थात कैग की रिपोर्ट आम आदमी पार्टी को कठघरे में खड़ा करने वाली ही नहीं, बल्कि उसे बेनकाब करने वाली भी है। कैग की इस रिपोर्ट के अनुसार मनमानी शराब नीति से 2000 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व की क्षति हुई।
कैग ने केवल यही नहीं बताया है कि शराब नीति को मनमाने तरीके से तैयार और क्रियान्वित किया गया, बल्कि इस पर भी प्रकाश डाला है कि कैसे नियमों का उल्लंघन कर कुछ लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया और उसके चलते कहां कितना घाटा हुआ? कैग की रिपोर्ट एक तरह से उस बहुचर्चित शराब घोटाले की पुष्टि कर रही है, जिसमें अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को जेल जाना पड़ा था।
केजरीवाल और उनके साथियों ने इस घोटाले को छिपाने के जतन किए, इसका पता इससे चलता है कि कैग ने शराब नीति पर अपनी रिपोर्ट मार्च 2024 में ही सौंप दी थी, लेकिन उसे विधानसभा में पेश करने से इन्कार किया गया। कोई भी समझ सकता है कि ऐसा क्यों किया गया होगा?
समस्या केवल यह नहीं कि शराब नीति पर कैग की रिपोर्ट को विधानसभा में प्रस्तुत करने से बचा गया, बल्कि यह भी है कि अन्य मामलों पर भी उसकी रिपोर्टें दबा दी गईं।
कैग की एक नहीं, कुल 14 रिपोर्टें हैं, जिन्हें विधानसभा में पेश करने से मुंह मोड़ा गया। इनमें से एक रिपोर्ट कोविड काल में मुख्यमंत्री आवास की विलासितापूर्ण साज-सज्जा में अनाप-शनाप सरकारी व्यय की भी है।
इस सबसे यदि कुछ सिद्ध हो रहा है तो यही कि आम आदमी पार्टी ने नई तरह की राजनीति करने, स्वयं को कट्टर ईमानदार दिखाने और सुशासन के उच्च मानदंड स्थापित करने की जो बड़ी-बड़ी बातें की थीं और जिनसे प्रारंभ में लोग प्रभावित भी हुए थे, वे नितांत खोखली थीं। अब यह और अधिक आसानी से समझा जा सकता है कि पिछले दो दिनों से दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के विधायक हंगामा क्यों करने में लगे हुए हैं।
चूंकि यह हंगामा सतही और निरर्थक मुद्दों पर किया जा रहा, इसलिए यह अनुमान लगाना कठिन नहीं कि उसका एकमात्र उद्देश्य जनता का ध्यान भटकाना है, लेकिन अब ऐसी पैंतरेबाजी चलने वाली नहीं।
आम आदमी पार्टी की ओर से यह जो आरोप लगाया गया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से आंबेडकर और भगत सिंह के फोटो हटाकर उनका अपमान किया गया, वह झूठा तो साबित ही हुआ, जनता को यह भी स्मरण हो आया कि यह अरविंद केजरीवाल ही थे, जिन्होंने खुद को संविधानप्रेमी और क्रांतिकारी सिद्ध करने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से महात्मा गांधी की फोटो हटा दी थी। क्या आंबेडकर का नाम लेकर अपने को संविधान का रक्षक बताने वाले कैग की रिपोर्टों को दबाने को संविधानसम्मत कह सकते हैं?
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