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    दैव आह्वान

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    Updated: Wed, 12 Dec 2012 03:05 AM (IST)

    जब हम मंदिरों या अपने घरों में किसी पूजा का आयोजन करते हैं या किसी प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान करते हैं तो उसमें विभिन्न देवी-देवताओं की आराधना करते हैं। उनका आह्वान करते हैं। क्या आप जानते हैं कि इस आह्वान का आध्यात्मिक व वैज्ञानिक आधार क्या है? देवताओं का आह्वान करने से किसी भक्त या साधक को क्या लाभ मिलता है?

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    दरअसल आह्वान का अर्थ होता है किसी को आमंत्रित करना। किसी को बुलाना या उनको अपने समक्ष उपस्थित होने की कामना करना। इस प्रकार आह्वान का अर्थ हुआ अपने आराध्य देवी-देवताओं को अपने पास बुलाने का प्रयास करना। देवी-देवताओं को बुलाने के प्रयास के तहत ही हम उनका आह्वान करते हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर देवी देवता रहते कहां हैं, जहां से हम उन्हें आमंत्रित करते हैं? हम उन्हें किसी स्थान विशेष पर बुलाते हैं? हमारे शास्त्रों में वर्णित तथ्यों के अनुसार देवी-देवता देवलोक में अथवा ऊपर किसी स्थान पर विश्राम कर रहे होते हैं और जब हम उनकी आराधना करते हैं, जब हम उनका आह्वान करते हैं तो वे अपने उस स्थान से उतरकर हमारे पास आ जाते हैं और हमारी आराधना स्वीकार कर हमें अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। हम किसी भी स्थान पर जहां कहीं भी जाएं, यदि उस स्थान पर परमात्मा का आह्वान करें, उन्हें अपने हृदय से पुकारें तो वहां पर परमात्मा उपस्थित हो जाते हैं। इसमें दो बातें हमारे सामने आती हैं। पहला तो यह कि देवी-देवता हमारे संकटों का वरण करते हैं, दूसरा यह कि जिस स्थान पर भी हम पूजा, अर्चना और वंदना आरंभ करते हैं, हो सकता है कि वह वहीं उसी स्थान पर निवास करते हों। इस संदर्भ में कुछ नहीं कहा जा सकता कि परमात्मा किसी मार्ग से हमारे पास आते हैं अथवा वे उसी वातावरण में मौजूद रहते हैं, क्योंकि परमात्मा तो सदैव हमारे आसपास ही हैं। बस हमें उन्हें मन से पुकारने की आवश्यकता है।

    [आचार्य सुदर्शन जी महाराज]

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