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    क्या आप जानते हैं Tennis Balls क्यों पीले रंग की ही होती हैं? जानिए इसका पूरा इतिहास

    Updated: Sun, 13 Jul 2025 04:27 PM (IST)

    टेनिस जिसे लॉन टेनिस भी कहा जाता है की शुरुआत 1870 के दशक में हुई। पहले गेंदें सफेद या काली होती थीं। 1972 में इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन ने पीली गेंद को टीवी पर बेहतर दृश्यता के कारण आधिकारिक बना दिया। सर डेविड एटनबरो ने बीबीसी में रहते हुए विंबलडन को रंगीन टीवी पर दिखाने के दौरान इस रंग को अपनाने का सुझाव दिया क्योंकि पीली गेंद अधिक स्पष्ट दिखती थी।

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    Tennis Balls क्यों पीले रंग की होती हैं?

    स्पोर्ट्स डेस्क, नई दिल्ली। टेनिस का खेल (जिसे लॉन टेनिस कहा जाता है), उसकी शुरुआत 1870 के दशक में हुई थी। पहले इस खेल को रॉयल टेनिस या रियल टेनिस नाम से जाना जाता था। यह खेल सदियों से राजघरानों और अमीर लोगों के बीच खेला जा रहा था। इसमें दो या चार खिलाड़ी नेट के दोनों ओर खड़े होकर बॉल को एक-दूसरे की तरफ मारते थे।

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    फिर आया 1870 का दौर, जब इस खेल को थोड़ा आसान और आधुनिक बनाया गया ताकि आम लोग भी इसे खेल सकें। यहीं से जन्म हुआ लॉन टेनिस का। जिसकी गेंद हमेशा रबर की होती है, लेकिन क्या आपको पता है कि टेनिस की गेंद पीले रंग की ही क्यों होती हैं? आइए जानते हैं इसके इतिहास और दिलचस्प कहानी के बारे में।

    Tennis Balls क्यों पीले रंग की होती हैं?

    टेनिस की शुरुआत 1870 के दशक में हुई थी। उसी समय एक खास चीज ने इस खेल को बदलकर रख दिया और वो था 'India Rubber'। टेनिस बॉल की शुरुआत India Rubber से हुई, जिसे 1850 के दशक में चार्ल्स गुडइयर ने वल्कनाइजेशन तकनीक से तैयार किया था।

    शुरुआत में बॉल पूरी तरह रबर की होती थी। लेकिन टिकाऊपन और बेहतर खेलने के लिए उस पर फ्लैनल कपड़ा सिल दिया जाता था।

    बाद में बॉल को और बेहतर बनाने के लिए उसका कोर अंदर से खोखला कर दिया गया और उसमें गैस भर दी गई  ताकि बॉल ज्यादा उछले और हल्की हो।

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    पहले, कोर बनाने के लिए ‘क्लोवर-लीफ’ नाम की तकनीक इस्तेमाल होती थी. जिसमें रबर की शीट को तीन पत्तियों जैसे आकार में काटकर गोल आकार में जोड़ा जाता था।

    लेकिन जैसे-जैसे खेल में सटीकता की जरूरत बढ़ी, वैसे-वैसे तकनीक भी बदली। अब गेंद के दो आधा गोल हिस्से बनाकर उन्हें जोड़ा जाता है।

    बता दें कि टेनिस बॉलें सफेद या काली होती थीं। लेकिन 1972 में ITF (इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन) ने रिसर्च के आधार पर पाया कि पीली गेंद टीवी पर ज्यादा साफ दिखती है।

    इसलिए, नियमों में बदलाव कर दिया गया और पीली गेंद को आधिकारिक बना दिया गया। हालांकि Wimbledon जैसे बड़े टूर्नामेंट ने कुछ सालों तक सफेद बॉल का इस्तेमाल जारी रखा, लेकिन 1986 में उन्होंने भी पीली गेंद को अपना लिया।

    पीले रंग की गेंद लाने का आईडिया किसका था?

    टेनिस में पीले रंग की गेंद लाने के पीछे जो शख्स था, वो कोई और नहीं, बल्कि सर डेविड एटनबरो थे। उस वक्त वे बीबीसी में स्टूडियो कंट्रोलर के रूप में काम कर रहे थे और पहली बार विंबलडन को रंगीन टीवी पर दिखाने में शामिल थे। उन्होंने देखा कि पीली गेंद टीवी पर सफेद और काली गेंदों से ज़्यादा स्पष्ट दिखती है, इसलिए इस रंग को अपनाया गया।

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