Doordarshan Journey: कुछ ऐसा है दूरदर्शन का सफरनामा, सुमित्रानंदन पंत ने दिया था नाम
दूरदर्शन का नाम सुनते ही आपके दिमाग में कुछ खास प्रोग्राम जरूर याद आते होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई थी। इस आर्टिकल में हम इस बारे में जानेंगे कि एक प्रोजेक्ट की तरह शुरू हुआ दूरदर्शन कैसे लोगों के दिलों पर छाया कैसे इसकी शुरुआत हुई और इसका सफर कैसा रहा। आइए जानते हैं दूरदर्शन की कहानी।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Doordarshan Journey: दूरदर्शन का नाम सुनते ही, कई लोगों के कानों में उसकी सिग्नेचर ट्यून गूंजने लगती होगी। एक समय था, जब लगभग हर घर में सिर्फ दूरदर्शन ( DD Indian Television) ही देखा जाता था। इसपर रामायण, कृषि दर्शन, महाभारत, आप और हम, शक्तिमान, जैसे कई ऐसे शोज प्रसारित हुए हैं, जिन्होंने लोगों के दिलो-दिमाग पर अमिट छाप छोड़ी है। हालांकि, इसकी शुरुआत कैसे हुई, इसके पीछे एक बेहद दिलचस्प कहानी है। दूरदर्शन जैसा आज नजर आता है, वैसा हमेशा से नहीं था। आइए जानते हैं क्या है दूरदर्शन की कहानी।
कैसे हुई थी दूरदर्शन की शुरुआत?
दूरदर्शन की शुरुआत साल 1959 एक पायलेट प्रोजेक्ट की तरह हुई थी। भारते के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने दिल्ली के आकाशवाणी स्टूडियो में इसे टेलिविजन इंडिया के नाम से शुरू किया था। इसे शुरू करने के लिए यूनेस्को ने 20 हजार डॉलर की सहयोग राशि और 180 फिलिप्स के टीवी सेट दिए थे। शुरुआत में दूरदर्शन पर तब रोज प्रसारण नहीं होता था बल्कि, हफ्ते में दो-तीन दिन ही प्रसारण होता था, वह भी आधे-आधे घंटे के लिए।
साल 1965 में पहली बार इस पर दैनिक एक घंटे का प्रसारण शुरू किया गया। इसके बाद इस पर ऐसा प्रोग्राम आया, जो देश में क्रांति ले आया। हम बात कर रहे हैं, कृषि दर्शन की, जिसकी शुरुआत साल 1966 में की गई। इस प्रोग्राम के साथ देश में हरित क्रांति की पहल हुई।
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किसने दिया दूरदर्शन नाम?
अभी तक दूरदर्शन की सेवाएं सिर्फ दिल्ली से ही दी जाती थी, लेकिन साल 1972 तक मुंबई में भी इसकी सेवाएं शुरू की गई। इसके बाद साल 1975 में चेन्नई, कलकत्ता, अमृतसर, जैसे बड़े शहरों में भी दूरदर्शन शुरू हुआ और इसी के साथ इसका नाम बदलकर दूरदर्शन रखा गया। दूरदर्शन नाम मशहूर कवि सुमित्रानंदन पंत ने दिया था। अभी तक दूरदर्शन और आकाशवाणी एक ही विभाग थे, लेकिन साल 1976 में आकाशवाणी और दूरदर्शन को अलग-अलग किया गया और दूरदर्शन को एक अलग विभाग बनाया गया।\
किसने बनाया दूरदर्शन का सिग्नेचर ट्यून?
साल 1976 में पंडित रविशंकर ने उस्ताद अहमद हुसैन खान के साथ मिलकर दूरदर्शन की सिग्नेचर ट्यून बनाई। इसका लोगो बनाने की जिम्मेदारी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन को सौंपी गई थी। वहां के छात्रों ने कई लोगो के डिजाइन पेश किए, जिसमें से देवाशीष भट्टाचार्य के डिजाइन को चुना गया और वह बना दूरदर्शन का लोगो।
पहली बार रंगीन प्रसारण…
पहले दूरदर्शन पर सभी प्रसारण सिर्फ ब्लैक एंड व्हाइट में दिखाए जाते थे, लेकिन साल 1982 में दिल्ली में 9वां एशियाई खेल का आयोजन हुआ और इसी समय दूरदर्शन पर पहली बार रंगीन प्रसारण हुआ। इसके बाद दूरदर्शन पर ऐसा शो आया, जिसके बाद बच्चे-बच्चे की जुबान पर इसका नाम छा गया। साल 1986 में रामायण का प्रसारण शुरू हुआ, जिसने लोकप्रियता के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए। इसे देखने के लिए गांवों में ऐसा मंजर देखने को मिलता था, कि जिनके घर में टीवी होता था, वहां रामायण देखने के लिए आस-पास के लोग इकट्ठा हो जाते थे।
24 घंटे चलने वाला न्यूज चैनल शुरू हुआ
अभी तक दूरदर्शन पर 24 घंटे प्रसारण नहीं हो रहा था, लेकिन साल 2003 में दूरदर्शन ने 24 घंटे चलने वाले समाचार चैनल की शुरुआत की। अभी दूरदर्शन के पास 6 नेशनल, 28 रीजनल और 1 इंटरनेशनल चैनल है। हाल ही में, दूरदर्शन का लोगो भी बदला है।
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