दो आने से शुरू रजिस्टर्ड डाक का सफर 171 साल बाद थमा, आज से करें स्पीड पोस्ट
डाक विभाग ने रजिस्टर्ड डाक सेवा को स्पीड पोस्ट में विलय करने का निर्णय लिया है। 1854 में शुरू हुई यह सेवा 1 सितंबर 2025 से समाप्त हो जाएगी। ऑनलाइन सेवाओं और स्पीड पोस्ट की बढ़ती लोकप्रियता के कारण रजिस्टर्ड डाक की उपयोगिता कम हो गई थी। अब ग्राहकों को केवल स्पीड पोस्ट सेवा ही मिलेगी जिससे समय की बचत होगी।

गजेंद्र पांडेय, ग्रेटर नोएडा। आगामी पीढ़ी के लिए रजिस्टर्ड डाक का इतिहास किताब के पन्नों में मिलेगा। वर्तमान पीढ़ी रजिस्टर्ड डाक सेवा का लाभ लेने वाली अंतिम पीढ़ी होगी। 171 वर्ष पहले देश में दो आने से शुरू हुआ रजिस्टर्ड डाक का सफर एक सितंबर 2025 को थम जाएगा।
रजिस्टर्ड डाक का सोमवार से स्पीड पोस्ट सेवा में विलय हो जाएगा। अब ग्राहकों को सिर्फ स्पीड पोस्ट सेवा मिलेगी। 39 साल पहले शुरू हुई स्पीड पोस्ट सेवा, फिर ईमेल, वाटसअप से संदेश समेत तमाम ऑनलाइन सुविधाओं ने रजिस्टर्ड डाक की उपयोगिता कम कर दी। इसके चलते विभाग ने यह बदलाव किया है।
कब शुरू हुई थी रजिस्टर्ड डाक सेवा?
भारत में रजिस्टर्ड डाक सेवा वर्ष 1854 से शुरू हुई थी। उत्तर प्रदेश में करीब 17000 और देशभर के डाकघरों की संख्या लगभग 1.56 लाख है। गौतमबुद्धनगर की बात करें तो शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में 123 डाक घर संचालित हैं। जबकि अंग्रेजों द्वारा सेवा डाक, विशेषकर सरकारी, कानूनी और वित्तीय दस्तावेजों को भेजने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
करीब 130 साल देश में रजिस्टर्ड डाक की उपयोगिता रही। गांवों में अपने घरों से दूर दराज रहने वाले लोगों के पास रजिस्टर्ड डाक ही स्वजन तक संदेश भेजने का एक मात्र जरिया रहता था। गांवों में डाक पहुंचने पर तमाम ग्रामीण एकत्र हो जाते थे। सब लोग डाक से अपनों के आए संदेश को एक साथ बैठकर पढा करते थे।
देश में 1986 में स्पीड पोस्ट सेवा शुरू हुई। जो काफी उपयोगी साबित हुई। इसमें 72 घंटे के अंदर देश के किसी भी कोने मेंं डाक पहुंचा दी जाती है। जबकि रजिस्टर्ड डाक की समय सीमा आठ से दस दिन या इससे अधिक भी हो सकती है।
इसके बाद ईमेल, फैक्स व मैसेज आदि की ऑनलाइन सुविधा शुरू हुई। इन सुविधाओं से रजिस्टर्ड डाक की उपयोगिता को बेहद कम कर दिया है। इसी के चलते विभाग ने रजिस्टर्ड डाक सेवा को स्पीड पोस्ट में विलय कर दिया है।
रजिस्टर्ड डाक में स्पीड पोस्ट सेवा महंगी है, पर समय की बचत
डाक विभाग ने रजिस्टर्ड डाक को स्पीड पोस्ट से विलय कर दिया है। फिलहाल ग्राहकों को यह बदलाव रजिस्टर्ड डाक से महंगा पड़ेगा, लेकिन समय की बचत होगी। रजिस्टर्ड डाक में देश के किसी भी कोने में चिट्ठी आदि पहुंचाने के लिए ग्राहक को 17 रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क और प्रति 20 ग्राम वजन के लिए पांच रुपये यानी 22 रुपये ही देने पड़ते थे। जबकि स्पीड पोस्ट में 200 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 20 से लेकर 50 ग्राम तक के लिए 41.30 रुपये शुल्क देना पड़ेगा। वजन बढ़ने के साथ शुल्क भी बढ़ता जाएगा।
इस तरह बढ़ता रहा रजिस्टर्ड डाक सेवा का शुल्क
1854 में दो आने से शुरू रजिस्टर्ड डाक के शुल्क में 1947 के बाद कई बार संशोधन किए गए। 1975 में 1.25 रुपये, 1990 में 10 रुपये और अब वर्ष 2025 में प्रति 20 ग्राम का शुल्क 22.25 पैसे तक पहुंच गया है।
रजिस्टर्ड डाक को पहले रेल, सड़क और जलमार्ग से भेजा जाता रहा। हवाई डाक की शुरुआत के बाद भी अधिकतर रजिस्टर्ड पत्रों को सतही मार्ग से ही भेजा गया ताकि सुरक्षा और लेखा-जोखा बनाए रखा जा सके।
इसलिए सेवा में हुआ बदलाव
डाक विभाग के अधिकारियों का मानना है कि रजिस्टर्ड डाक की उपयोगिता तेजी से कम हुई है। इसका कारण लोग अब ऑनलाइन प्लेटफार्म का उपयोग करते हैं। वाट्सअप और ईमेल के चलते अब पत्र लिखना या भेजना भी बेहद कम हो गया है। इसके अलावा प्राईवेट कूरियर और ई-कामर्स लाजिस्टिक्स से भी रजिस्टर्ड डाक का मुकाबला बढ़ गया है।
रजिस्टर्ड डाक सेवा बंद नहीं की गई है, बल्कि स्पीड पोस्ट सेवा में विलय की गई है। रोजाना कितनी रजिस्ट्री होती हैं, फिलहाल बता पाना संभव नहीं है।
भू सिंह मीणा, डाक अधीक्षक, गौतमबुद्धनगर
आमजन की सुविधाओं के लिए विभाग में समय-समय पर छोटे-मोटे बदलाव होते रहते हैं। अब लोगों की चिट्ठी आदि संबंधित स्थानों तक जल्द पहुंचें, इसलिए रजिस्टर्ड डाक का स्पीड पोस्ट में विलय कर दिया गया है। एक सितंबर से सभी डाकघरों में लोगों को स्पीड पोस्ट की सेवाएं ही मिलेंगी।
प्रणव कुमार, चीफ पोस्ट मास्टर जनरल, मुख्यालय डाक विभाग, लखनऊ
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