Lord Shiva Third Eye: भगवान शिव की तीसरी आंख कैसे प्रकट हुई थी? जानें इसका रहस्य
भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी संकटों से छुटकारा मिलता है। मान्यता है कि महादेव के रौद्र स्वरूप में आने से पूरी पृथ्वी पर हाहाकार मच जाता है। जब भगवान शिव रौद्र स्वरूप धारण करते हैं तो उनकी तीसरी आंख खुलती है। भगवान शिव के तीसरे नेत्र में रहस्य छुपा हुआ है। चलिए आपको बताएंगे कि भगवान शिव की तीसरी आंख कैसे प्रकट हुई थी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Lord Shiva Third Eye: भगवान शिव त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें शंकर, महेश, नीलकंठ और गंगाधार समेत कई नामों से जाना जाता है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी संकटों से छुटकारा मिलता है। मान्यता है कि महादेव के रौद्र स्वरूप में आने से पूरी पृथ्वी पर हाहाकार मच जाता है। जब भगवान शिव रौद्र स्वरूप धारण करते हैं, तो उनकी तीसरी आंख खुलती है। भगवान शिव के तीसरे नेत्र में रहस्य छुपा हुआ है, जिसके बारे में शायद बहुत ही कम लोगों को जानकारी है। चलिए आपको बताएंगे कि भगवान शिव की तीसरी आंख कैसे प्रकट हुई थी?
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ऐसे मिली भगवान शिव को तीसरी आंख
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार हिमालय पर्वत पर भगवान शिव एक सभा का आयोजन कर रहे थे। उस दौरान वहां पर अचानक से मां पार्वती पहुंची और देवों के देव महादेव के दोनों नेत्र पर हाथ रख दिया। जैसे ही मां पार्वती ने भगवान की आंखें ढकी तो पूरी सृष्टि पर अंधेरा छा गया। इसके बाद हर तरफ हाहाकार मच गया।
पशु-पक्षी घबरा कर इधर ऊधर भागने लगे। यह दिशा भगवान शिव से देखी नहीं गई। ऐसे में उनके ललाट पर ज्योतिपुंज प्रकट हुआ। जो महादेव का तीसरा नेत्र बना। इसके बाद पूरी सृष्टि में रोशनी हुई। जब मां पार्वती ने भगवान शिव से तीसरे नेत्र के बारे में पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया कि उनके नेत्र जगत के पालनहार है। अगर वह तीसरा नेत्र प्रकट नहीं करते, तो सृष्टि का विनाश होना तय था।
तीनों काल को देख सकती है तीसरी आंख
भगवान महादेव की तीसरी आंख बेहद शक्तिशाली है। इस आंख के द्वारा वह भूत, भविष्य और वर्तमान को देख सकते हैं। आखिर यही वजह है कि भगवान शिव की तीसरी आंख को अधिक शक्तिशाली माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि वह तीसरी आंख से सबकुछ देख सकते हैं। जितना कि वह दोनों आंखों से नहीं देख सकते हैं।
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