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    लॉयर, एडवोकेट और बैरिस्टर: क्या आपको पता है इन तीनों का अंतर? ज्यादातर लोग रहते हैं कन्फ्यूज

    अक्सर जब हम कानून की दुनिया की बात करते हैं तो हमारे सामने कुछ शब्द आते हैं जैसे- लॉयर एडवोकेट और बैरिस्टर। सुनने में ये तीनों एक जैसे लगते हैं और यही वजह है कि कई लोग इनमें अंतर नहीं कर पाते। क्या आप भी उनमें से एक हैं? तो चलिए आज इस कन्फ्यूजन को दूर करते हैं और समझते हैं कि आखिर इन तीनों में क्या फर्क है।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Tue, 06 May 2025 12:59 PM (IST)
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    लॉयर, एडवोकेट और बैरिस्टर में क्या आप भी होते हैं कन्फ्यूज? (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अगर आपसे कोई पूछे कि लॉयर, एडवोकेट और बैरिस्टर में क्या फर्क है (Lawyer, Advocate and Barrister Difference), तो क्या आप बिना झिझक जवाब दे पाएंगे? दरअसल, ज्यादातर लोग इन शब्दों को एक ही समझते हैं और सोचते हैं कि ये सब वकील के ही दूसरे नाम हैं, लेकिन हकीकत इससे थोड़ी अलग और दिलचस्प है। आइए, इस आर्टिकल में जानते हैं कि इन तीनों में आखिर क्या अंतर है (Legal Professionals Difference) और क्यों यह जानना जरूरी है।

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    1) लॉयर (Lawyer)

    'लॉयर' एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल उन सभी लोगों के लिए किया जाता है जिन्होंने कानून की पढ़ाई की है यानी जिन्होंने एलएल.बी (LLB) की डिग्री हासिल की है। चाहे वह अदालत में केस लड़े या न लड़े, अगर किसी ने कानून की पढ़ाई की है तो वह 'लॉयर' कहलाता है।

    उदाहरण: कोई व्यक्ति LLB की डिग्री लेने के बाद किसी कंपनी में लीगल एडवाइजर बन जाता है, तो वह 'लॉयर' है, भले ही वो कोर्ट में केस न लड़े।

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    2) एडवोकेट (Advocate)

    जब कोई लॉयर, बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करवा लेता है और उसे केस लड़ने की अनुमति मिल जाती है, तो वह 'एडवोकेट' बन जाता है।

    एडवोकेट कौन होता है?

    • जिसने कानून की पढ़ाई पूरी कर ली हो
    • जिसने बार काउंसिल ऑफ इंडिया में नामांकन किया हो
    • जो अदालत में अपने क्लाइंट की ओर से दलील दे सकता हो

    सीधी भाषा में कहें तो, हर एडवोकेट एक लॉयर होता है, लेकिन हर लॉयर जरूरी नहीं कि एडवोकेट भी हो।

    3) बैरिस्टर (Barrister)

    'बैरिस्टर' शब्द ब्रिटिश लीगल सिस्टम से आया है। जब कोई भारतीय छात्र इंग्लैंड जाकर कानून की पढ़ाई (विशेषतः ‘बार एट लॉ’) करता है, तो उसे 'बैरिस्टर' कहा जाता है। हम सभी जानते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए 19 साल की उम्र में भारत से लंदन चले गए थे। यानी लॉयर और बैरिस्टर एक ही होते हैं, मगर इन दोनों नामों में भारत और इंग्लैंड का फर्क होता है।

    बैरिस्टर बनने के लिए:

    • इंग्लैंड की किसी इनर टेम्पल, मिडल टेम्पल, ग्रेज इन या लिंकन इन से प्रशिक्षण लेना होता है
    • वहां की बार काउंसिल से मान्यता लेनी होती है
    • भारत में आज भी कई वरिष्ठ वकीलों के नाम के आगे 'बैरिस्टर' लिखा होता है, क्योंकि उन्होंने इंग्लैंड से शिक्षा ली होती है।

    क्यों कन्फ्यूज रहते हैं लोग?

    लोग इन तीनों नामों को लेकर इसलिए कन्फ्यूज रहते हैं, क्योंकि आम बोलचाल में इन शब्दों को आपस में मिला देते हैं। कई बार फिल्में और टीवी शो भी इनका गलत इस्तेमाल करते हैं, जिससे भ्रम और बढ़ जाता है, लेकिन जब आप इनके मूल अर्थ को समझते हैं, तो फर्क साफ हो जाता है।

    लॉयर, एडवोकेट और बैरिस्टर- ये तीनों शब्द एक जैसे जरूर लगते हैं, लेकिन इनके पीछे की कहानी और भूमिका अलग-अलग है।

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