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    Janmashtami 2023: जानिए, श्री कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली पर ही क्यों धारण किया गोवर्धन पर्वत

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Wed, 06 Sep 2023 11:41 AM (IST)

    Govardhan Parvat Story कई लोगों का मानना है कि इंद्र को घमंड तोड़ने के लिए भगवान ने गोवर्धन पर्वत को सबसे छोटी उंगली पर धारण किया ताकि इंद्र को यह पता चल सके कि उनके इस प्रकोप से बचने के लिए भगवान की सबसे छोटी उंगली ही काफी है। लेकिन इसके पीछे और भी कई कारण मिलते हैं। चलिए जानते हैं इस विषय में प्रचलित अन्य कथाओं के विषय में।

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    Krishna govardhan parvat story श्री कृष्ण ने सबसे छोटी उंगली पर ही क्यों उठाया गोवर्धन।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Shri Krishna Janmashtami 2023: जन्माष्टमी का पर्व श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। कई भक्त व्रत आदि करके भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बाल अवस्था में ऐसी कई लीलाएं की हैं जो अविस्मरणीय हैं। उन्ही में से एक है अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत धारण करना। पर क्या आप जानते हैं कि पर्वत को सबसे छोटी उंगली पर धारण करने के पीछे भी एक कारण छिपा हुआ है। आइए जानते हैं इसके विषय में।

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    यह भी है एक कारण

    भगवान कृष्ण 16 कलाओं से सम्पन्न माने जाते हैं। साथ ही वह हर कार्य को योग के द्वारा साध कर करते हैं। गोवर्धन को एक उंगली पर उठाने के पीछे भी भगवान श्री कृष्ण ने योग का ही सहारा लिया। दरअसल हमारे हाथ की उंगलियों में 5 तत्व पाए जाते हैं जो इस प्रकार है - अंगुष्ठा अग्नि, तर्जनी वायु, मध्यमा आकाश, अनामिका पृथ्वी व कनिष्ठा अंगुली जल तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। यही कारण है कि इंद्र के मूलाधार वर्षा का उत्तर भगवान श्री कृष्ण से जल तत्व से ही किया।

    और भी हैं प्रचलित कथाएं

    कई पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान श्री कृष्ण को गोवर्धन पर्वत उठाना था तो उन्होंने अपनी उंगलियों से पूछा कि वे किस पर पर्वत उठाएं। इस पर अंगूठा बोला, ‘‘मैं नर हूं। बाकी उंगलियां तो स्त्रियां हैं अत: आप पर्वत मुझ पर ही उठाएं।’’ फिर श्री कृष्ण ने तर्जनी उंगली से पूछा तो वह बोली, ‘‘किसी को अगर चुप कराना हो या कोई इशारा करना होता है तो मैं ही काम आती हूं, इसलिए आप सिर्फ मुझ पर ही पर्वत उठाएं।’’ जब श्री कृष्ण ने मध्यमा से पूछा तो वह बोली, ‘‘सबसे बड़ी होने के साथ-साथ मैं ताकत भी रखती हूं।

    अत:  आप पर्वत उठाने के लिए मेरा ही उपयोग करें। फिर मुरलीधर ने अनामिका उंगली से पूछा तो वह बोली, ‘‘सभी पवित्र कार्यों के लिए मेरा उपयोग किया जाता है। मंदिरों में देवी-देवताओं को मैं ही तिलक लगाती हूं, अत: आप मुझ पर ही पर्वत उठाएं।’’ अब बारी आई सबसे छोटी उंगली जिसे कनिष्ठा भी कहा जाता है। इस पर कनिष्ठा ने रोते हुए कहा कि में सबसे छोटी हूं और आप के हाथ की उंगली होने के अलावा मेरे पास कोई गुण नहीं है। छोटी उंगली की बात सुनकर श्री कृष्ण ने कहा कि मुझे विनम्रता सबसे प्रिय है। अगर कुछ पाना है तो विनम्र बनना पड़ेगा। तब श्री कृष्ण ने छोटी उंगली को सम्मान देते हुए उसी पर गोवर्धन पर्वत धारण किया।

    क्यों उठाना पड़ा पर्वत

    गोवर्धन पर्वत उठाने का कारण यह था कि मथुरा, गोकुल, वृंदावन आदि के लोगों को वह घनघोर बारिश से बचाना चाहते थे। यह बारिश इंद्र ने क्रोध में आकर करवाई थी। सभी लोगों ने इस पर्वत के नीचे इकट्ठा होकर अपनी जान बचाई। दरअसल भगवान श्री कृष्ण के कहने पर सभी नगरवासियों ने इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करना आरंभ कर दिया था। इंद्र देव को अपना की अनुभूति हुई जिस कारण क्रोध और अहंकार के चलते उन्होंने वृंदावन और आसपास के क्षेत्र में घनघोर वर्षा कर दी। इंद्र 7 दिनों तक पानी बरसाते रहें। तब भगवान ने अपनी कनिष्ठा पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सभी गांव वालों की जान बचाई।  

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'