क्या है दवा की पत्ती पर बनी लाल रंग की लाइन का मतलब? सिर्फ डिजाइन या छिपा है कोई जरूरी संदेश
क्या आपने कभी गौर किया है कि कुछ दवाओं की पत्तियों के पीछे लाल रंग की स्ट्रिप बनी होती है। ये लाइन सिर्फ उस दवा की पैकेजिंग को अच्छा दिखाने के लिए नहीं है बल्कि इसके पीछे काफी गहरा मतलब छिपा है जिसके बारे में हर किसी को पता होना चाहिए।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आपने ध्यान दिया होगा कि कुछ दवाओं की पट्टी के पीछे लाल रंग की लाइन बनी होती है। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि ऐसा क्यों है? ऐसा हर दवा के पीछे तो नहीं होता, तो क्या ये सिर्फ पैकेजिंग का डिजाइन है या इस लाइन का कुछ मतलब (Red Line on Medicine Strip Meaning) भी है?
दरअसल, दवा की पत्ती के पीछे बनी लाल रंग की रेखा एक बेहद जरूरी संदेश देती है, लेकिन जानकारी न होने की वजह से लोग अक्सर इसे अनदेखा कर देते हैं। आइए जानें दवाओं के पीछे बनी इस लाल रंग का क्या मतलब है।
क्या है लाल लाइन का मतलब?
इस लाल पट्टी का सीधा और साफ मतलब है कि यह दवा केवल डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ही बेची या इस्तेमाल की जा सकती है। यह लाल रेखा फार्मासिस्ट के लिए यह एक सीधी चेतावनी है कि वे डॉक्टर के पर्चे के बिना लाल पट्टी वाली दवाइयां किसी भी ग्राहक को न बेचें। साथ ही, यह आम जनता को चेतावनी देता है कि वे डॉक्टर की सलाह या निर्देश के बिना इन दवाओं को खुद से न लें, न ही किसी और को दें, भले ही लक्षण समान क्यों न हों। ऐसा करने से सेहत को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।
You can prevent antibiotic resistance!
A RED LINE on the strip of medicines implies that the medicine should not be consumed without a doctor's prescription.#SwasthaBharat #AntibioticResistance pic.twitter.com/zo7SooaiN9
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) March 10, 2024
एंटीबायोटिक्स और रेजिस्टेंस
लाल लाइन मुख्य रूप से एंटीबायोटिक्स पर पाई जाती है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के खतरे को कम करना। दरअसल, लोग अक्सर बुखार या जुकाम जैसे हल्के-फुल्के इन्फेक्शन में भी डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक्स खरीद लेते हैं या डॉक्टर द्वारा बताए गए कोर्स को पूरा नहीं करते।
जब एंटीबायोटिक को गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाता है, तो शरीर के अंदर के बैक्टीरिया पूरी तरह से खत्म नहीं होते। जो बच जाते हैं, वे उस एंटीबायोटिक के खिलाफ रेजिस्टेंट बन जाते हैं। समय के साथ, ये रेजिस्टेंट बैक्टीरिया और मजबूत होकर 'सुपरबग्स' का रूप ले लेते हैं। इसके बाद, साधारण एंटीबायोटिक्स उन इन्फेक्शन पर काम करना बंद कर देते हैं, जिससे इलाज मुश्किल हो जाता है और कई बार मरीज की जान को भी खतरा हो सकता है।
दवाओं के पीछे बनी ये लाल लाइन एक तरह की वॉर्निंग है, जिस पर ध्यान देना जरूरी है। दवाओं के साथ की गई लापरवाही सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है।
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