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    Delimitation: कौन सी सीट महिलाओं के लिए होगी रिजर्व, कैसे और कौन करता है क्षेत्रों का परिसीमन; हर सवाल का जवाब

    By Mahen KhannaEdited By: Mahen Khanna
    Updated: Fri, 22 Sep 2023 05:20 PM (IST)

    What is Delimitation महिला आरक्षण का कानून बनने में देरी का सबसे बड़ा और अहम कारण परिसीमन है। देश की जनगणना के बाद परिसीमन होगा जिसके चलते इसमें देरी होगी। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं का तो यह भी आरोप है कि इस बिल को कानून बनने में वर्ष 2029 के बाद भी समय लग सकता है। ऐसा क्यों आइए जानते हैं...

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    what is Delimitation परिसीमन के बारे में जानें।

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। महिला आरक्षण विधेयक संसद से पास हो गया है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से इस विधेयक को बंपर सहमति मिली है। लोकसभा में इस बिल पर 454 मत पक्ष में पड़े तो वहीं 2 वोट बिल के विरोध में पड़े। वहीं, राज्यसभा से ये बिल पास होने के बाद भी अभी लागू नहीं होगा। ऐसा क्यों आइए जानते हैं...

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    परिसीमन है कारण

    महिला आरक्षण का कानून बनने में देरी का सबसे बड़ा और अहम कारण परिसीमन है। देश की जनगणना के बाद परिसीमन होगा, जिसके चलते इसमें देरी होगी। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेताओं का तो यह भी आरोप है कि इस बिल को कानून बनने में वर्ष 2029 के बाद भी समय लग सकता है।

    सरकार की मानें तो इसे वर्ष 2029 तक लागू किया जा सकता है। हालांकि, इसमें कई पेंच हैं। संसद में अमित शाह के एक बयान के अनुसार, अगर 2024 के चुनाव के बाद नवनियुक्त सरकार जल्द ही जनगणना शुरू करा देती है, तो आंकड़े सामने आने में केवल दो साल लगेंगे। 

    निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या को छेड़ने पर रोक

    देश में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या को बढ़ाने या घटाने पर संसद द्वारा साल 2026 तक रोक लग रखी है, इसका अर्थ है कि जनगणना के तुरंत बाद परिसीमन आयोग का गठन किया जा सकता है। परिसीमन में आमतौर पर तीन-चार साल लगते हैं, लेकिन इसे भी दो साल में अंजाम दिया जा सकता है। 

    परिसीमन क्या है?

    परिसीमन का अर्थ (what is Delimitation) है निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण करना। परिसीमन के लिए एक आयोग का गठन किया जाता है, जिसे परिसीमन आयोग (delimitation commission) कहा जाता है। ये आयोग किसी भी निर्वाचन क्षेत्र की सीमा घटा भी सकता है और बढ़ा भी सकता है।

    संविधान के अनुसार, आयोग के आदेश अंतिम होते हैं और कोई भी कोर्ट इस पर सवाल नहीं उठा सकता है, क्योंकि इससे चुनाव अनिश्चितकाल के लिए रुक सकता है।

    इसी तरह लोकसभा या राज्य विधानसभा भी आयोग के आदेशों में कोई संशोधन नहीं कर सकते।

    परिसीमन की जरूरत क्यों?

    • परिसीमन की जरूरत इसलिए होती है क्योंकि जब भी 10 सालों बाद जनगणना होती है तो जनसंख्या को एक समान करने के लिए और लोगों को समान प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए निर्वाचन क्षेत्र को छोटा या बड़ा करना पड़ता है।
    • क्षेत्रों का उचित विभाजन होना इसलिए भी जरूरी होता है ताकि किसी भी चुनाव में राजनीतिक दल को दूसरों पर बढ़त न मिले।
    • एक वोट एक मूल्य के सिद्धांत का पालन करना भी इसकी जरूरत होती।

    परिसीमन आयोग की नियुक्ति कौन करता है?

    परिसीमन आयोग की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं और यह चुनाव आयोग के सहयोग से काम करता है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज, मुख्य चुनाव आयुक्त और संबंधित राज्यों के चुनाव आयुक्त होते हैं।

    पहले कब-कब हुआ परिसीमन?

    पहले बार परिसीमन का कार्य राष्ट्रपति द्वारा चुनाव आयोग की मदद से 1950-51 में किया गया था। परिसीमन आयोग अधिनियम 1952 में बनाया गया था। परिसीमन आयोग अभी तक 1952, 1962, 1972 और 2002 के अधिनियमों के तहत केवल चार बार स्थापित किए गए हैं।

    सीट को कैसे किया जाता है आरक्षित

    बता दें कि अभी तक लोकसभा की कुछ सीटों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित किया गया है। अब महिला आरक्षण बिल लागू होने से महिलाओं को भी 33 फीसद आरक्षण मिलेगा।

    अब तक मतगणना के बाद क्षेत्रों में अनुसूचित जातियों के लोगों की संख्या के आधार पर ही आरक्षण दिया जाता है। माना जा रहा है कि महिला आरक्षण पर भी यही फॉर्मूला अपनाया जा सकता है।

    नोट: यह खबर चुनाव आयोग की वेबसाइट से मिली जानकारी के आधार पर बनाई गई है।