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    चक दे फट्टे: कहां से आया यह जोशीला नारा और क्या है इसका असली मतलब?

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 09:41 PM (IST)

    आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा चक दे फट्टे!। यह एक ऐसा मुहावरा है जिसे सुनते ही मन में एक अलग-सा जोश और उत्साह भर जाता है। खासकर जब क्रिकेट मैच में चौका-छक्का लगता है या किसी गाने में यह सुनाई देता है तो हम सब झूम उठते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह फ्रेज आखिर आया कहां से है और इसका असली मतलब क्या है?

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    चक दे फट्टे: वीरता से भरी है इस नारे की कहानी (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। "चक दे फट्टे", एक ऐसा फेमस फ्रेज है जिसे हर किसी ने सुना जरूर होगा। चाहे कोई पंजाबी गाना हो, क्रिकेट मैच हो या फिर किसी फिल्म का जोशभरा सीन, यह नारा हर जगह गूंजता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस छोटे से वाक्य के पीछे एक बहुत ही दिलचस्प और वीरता से जुड़ी हुई कहानी छिपी हुई है (What Does Chak De Phatte Mean)?

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    जब शब्द बना था हथियार

    दरअसल, "चक दे फट्टे!" पंजाब के वीर योद्धाओं की बहादुरी से जुड़ा एक ऐतिहासिक नारा है। इसकी शुरुआत 18वीं सदी में हुई थी। उस समय, सिख योद्धा मुगलों के ठिकानों पर हमले करते थे। इन ठिकानों तक पहुंचने के लिए उन्हें कई नदियां और नहरें पार करनी पड़ती थीं। इसके लिए वे लकड़ी के बड़े-बड़े लट्ठों का इस्तेमाल करते थे, जिन्हें वे पुल की तरह बिछाकर रास्ता बनाते थे।

    हमले के बाद, जब ये योद्धा वापस लौटते थे, तो वे इन लट्ठों को अपने साथ उठा लेते थे। ऐसा वे इसलिए करते थे ताकि मुगल सेना उनका पीछा न कर सके। पंजाबी में 'उठाने' को 'चकना' कहते हैं और 'लट्ठों' को 'फट्टे' कहा जाता था। बस यहीं से यह प्रसिद्ध मुहावरा "चक दे फट्टे!" जन्म लिया। यह फ्रेज पंजाबियों के कभी हार न मानने वाले हौसले का प्रतीक बन गया।

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    'चक दे फट्टे' का असली मतलब

    पंजाबी भाषा में ‘चकना’ का अर्थ होता है- उठाना। और ‘फट्टे’ यानी लकड़ी के तख्त। ऐसे में, जब योद्धा कहते, “चक दे फट्टे!”, उसका सीधा अर्थ होता- “फट्टे उठा लो!”

    मगर यह सिर्फ एक काम करने की बात नहीं थी। यह एक संकेत था- जीत, होशियारी और बहादुरी का। यह आवाज सिर्फ आदेश नहीं थी, बल्कि एक जंग का नारा बन चुकी थी। इसने सिखों की लड़ाई की शैली को दर्शाया- तेज, साहसी और रणनीतिक।

    जोश और जज्बे का प्रतीक

    समय बीतता गया, लड़ाइयां इतिहास बनती गईं, मगर "चक दे फट्टे" नारा आज भी जिंदा है। फर्क बस इतना है कि अब यह तलवार के बजाय ताली के साथ आता है और रणभूमि की जगह स्टेडियम या मंच पर सुनाई देता है।

    आज यह वाक्य हौसले और जोश का प्रतीक बन चुका है। जब कोई पंजाबी गायक माइक पर “चक दे फट्टे!” बोलता है, तो हजारों लोग एक साथ झूम उठते हैं। जब कोई टीम मैदान में उतरती है, तो दर्शक इसी नारे से उन्हें उत्साहित करते हैं।

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