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    Code Of Conduct: क्या होती है आचार संहिता? कब और क्यों लागू होते हैं चुनावी नियम; पढ़ें सभी सवालों के जवाब

    By Shalini KumariEdited By: Shalini Kumari
    Updated: Mon, 09 Oct 2023 11:21 AM (IST)

    देश के पांच राज्यों- राजस्थान मध्य प्रदेश मिजोरम तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस राज्यों की चुनावी तारिखों का ऐलान करने के लिए चुनाव आयोग आज दोपहर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली है। इसके बाद से ही पांचों चुनावी राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी जिसका पालन करना सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य होगा।

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    चुनावी तारीखों की घोषणाओं के साथ लागू हो जाती है आचार संहिता

    ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। देश के पांच राज्यों में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने के पूरे आसार है। इन चुनावी राज्यों में राजस्थान, मध्य प्रदेश, मिजोरम, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। दरअसल, आज दोपहर 12 बजे चुनाव आयोग एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी, जिसमें वह इन राज्यों के चुनावी तारीखों की घोषणा करेगी।

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    फिलहाल, इन सभी चुनावी राज्यों में उथल-पुथल मची हुई है। सभी पार्टियां अपने वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश में जुटी है और लगातार घोषणाएं कर रही है। चुनाव आयोग द्वारा सभी राज्यों के चुनावी तारीखों के ऐलान होने के बाद से ही 'मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट' यानी 'आचार संहिता' लागू हो जाएगी, जिसके बाद कुछ बदलाव देखने को मिलेगा। हालांकि, बहुत ही कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि आखिर चुनाव आचार संहिता क्या है।

    इस खबर में हम आपको बताएंगे कि चुनावी आचार संहिता को कब और क्यों लागू किया जाता है। साथ ही बताएंगे कि आचार संहिता लागू होने के बाद पार्टियों को किन बातों का खास ख्याल रखना होता है और इसका उल्लंघन करने वालों को क्या खामियाजा भुगतना पड़ता है।

    Source of the news:

    चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट

    eci.gov.in/faqs/mcc/model-code-of-conduct-r15/

    अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

    स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा कुछ नियम बनाए जाते हैं। इन नियमों को आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान सभी पार्टियों, नेताओं और सरकारों को इन नियमों का खासतौर पर पालन करना होता है।

    आदर्श आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा चुनावी तारीखों की घोषणा के बाद से ही लागू हो जाती है और जब तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक रहती है।

    लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता पूरे देश में लागू हो जाती है। विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य स्तर पर आचार संहिता का पालन करना होता है और उपचुनाव के कोड केवल संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के क्षेत्र में लागू होगा।

    आदर्श आचार संहिता की मुख्य तौर पर यह बताया गया है कि चुनाव की प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों, उम्मीदवार और सत्ता में रहने वाले दलों को चुनाव प्रचार, बैठकें और जुलूस आयोजित करने, मतदान दिवस की गतिविधियों और कामकाज के दौरान अपना आचरण कैसा रखना है।

    चुनाव प्रचार के दौरान, कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो आपसी नफरत पैदा कर सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकता है। असत्यापित आरोपों या विरूपण के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए।

    चुनाव प्रचार के लिए धार्मिक स्थानों जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या अन्य पूजा स्थलों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए मंच के तौर पर नहीं किया जा सकता है।  इसके अलावा, वोट हासिल करने के लिए जाति या सांप्रदायिक भावनाओं की अपील नहीं की जा सकती है।

    आदर्श आचार संहिता किसी कानून के तहत नहीं बनी है। दरअसल, यह सभी राजनीतिक दलों की सहमति से बनाई और विकसित हुई है।

    सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के तहत बताया गया था कि पार्टियों और उम्मीदवारों को किन बातों का पालन करना होगा।

    साल 1962 के लोकसभा आम चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग ने इस संहिता को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में वितरित किया था।

    मतदान के दिन मतदान केंद्र के एक सौ मीटर की दूरी के भीतर वोट आदि के लिए प्रचार करना प्रतिबंधित होता है।

    कोड का पालन न करने से कानूनों और विनियमों का उल्लंघन होता है। इसके लिए शख्स या पार्टी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई या उसकी बर्खास्तगी भी हो सकती है।

    आचार संहिता लागू होने के बाद कोई भी मंत्री अपनी यात्रा को चुनावी प्रचार से नहीं जोड़ सकता है। इसके अलावा चुनाव प्रचार कार्य के दौरान आधिकारिक मशीनरी या कर्मियों का उपयोग भी नहीं करेंगे।

    आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के हित को बढ़ाने के लिए आधिकारिक विमान, वाहन आदि सहित किसी भी परिवहन का उपयोग नहीं किया जाएगा।

    आचार संहिता लागू हो जाने के बाद चुनाव के संचालन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी अधिकारियों/कर्मचारियों के स्थानांतरण और पदस्थापन पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाता है। यदि किसी अधिकारी का ट्रांसफर या प्रमोशन आवश्यक समझा जाता है, तो आयोग की अनुमति लेनी होती है।

    चुनावी तारीखों के ऐलान के बाद विशिष्ट क्षेत्र में ऐसी योजना का उद्घाटन/घोषणा प्रतिबंधित होती है।

    स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा कुछ नियम बनाए जाते हैं। इन नियमों को आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान सभी पार्टियों, नेताओं और सरकारों को इन नियमों का खासतौर पर पालन करना होता है।

    आदर्श आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा चुनावी तारीखों की घोषणा के बाद से ही लागू हो जाती है और जब तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक रहती है।

    लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता पूरे देश में लागू हो जाती है। विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य स्तर पर आचार संहिता का पालन करना होता है और उपचुनाव के कोड केवल संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के क्षेत्र में लागू होगा।

    आदर्श आचार संहिता की मुख्य तौर पर यह बताया गया है कि चुनाव की प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों, उम्मीदवार और सत्ता में रहने वाले दलों को चुनाव प्रचार, बैठकें और जुलूस आयोजित करने, मतदान दिवस की गतिविधियों और कामकाज के दौरान अपना आचरण कैसा रखना है।

    चुनाव प्रचार के दौरान, कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो आपसी नफरत पैदा कर सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकता है। असत्यापित आरोपों या विरूपण के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए।

    चुनाव प्रचार के लिए धार्मिक स्थानों जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या अन्य पूजा स्थलों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए मंच के तौर पर नहीं किया जा सकता है।  इसके अलावा, वोट हासिल करने के लिए जाति या सांप्रदायिक भावनाओं की अपील नहीं की जा सकती है।

    आदर्श आचार संहिता किसी कानून के तहत नहीं बनी है। दरअसल, यह सभी राजनीतिक दलों की सहमति से बनाई और विकसित हुई है।

    सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के तहत बताया गया था कि पार्टियों और उम्मीदवारों को किन बातों का पालन करना होगा।

    साल 1962 के लोकसभा आम चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग ने इस संहिता को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में वितरित किया था।

    मतदान के दिन मतदान केंद्र के एक सौ मीटर की दूरी के भीतर वोट आदि के लिए प्रचार करना प्रतिबंधित होता है।

    कोड का पालन न करने से कानूनों और विनियमों का उल्लंघन होता है। इसके लिए शख्स या पार्टी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई या उसकी बर्खास्तगी भी हो सकती है।

    आचार संहिता लागू होने के बाद कोई भी मंत्री अपनी यात्रा को चुनावी प्रचार से नहीं जोड़ सकता है। इसके अलावा चुनाव प्रचार कार्य के दौरान आधिकारिक मशीनरी या कर्मियों का उपयोग भी नहीं करेंगे।

    आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के हित को बढ़ाने के लिए आधिकारिक विमान, वाहन आदि सहित किसी भी परिवहन का उपयोग नहीं किया जाएगा।

    आचार संहिता लागू हो जाने के बाद चुनाव के संचालन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी अधिकारियों/कर्मचारियों के स्थानांतरण और पदस्थापन पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाता है। यदि किसी अधिकारी का ट्रांसफर या प्रमोशन आवश्यक समझा जाता है, तो आयोग की अनुमति लेनी होती है।

    चुनावी तारीखों के ऐलान के बाद विशिष्ट क्षेत्र में ऐसी योजना का उद्घाटन/घोषणा प्रतिबंधित होती है।