योगिता ने महिलाओं की सुरक्षा को बनाया जीवन का लक्ष्य
दुष्कर्म पीड़िताओं को इंसाफ दिलाने के लिए दिल्ली के साकेत इलाके की रहने वाली योगिता भयाना ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। 40 वर्षीय योगिता पिछले 13 सालों से लगातार समाजिक विकास महिला सशक्तिकरण व लैंगिक समानता के लिए अपनी आवाज उठा रही हैं। निर्भया मामलें में भी वह प्रमुख रूप से पैरोकार थी।
रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली
पीड़ित महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए दिल्ली के साकेत इलाके की रहने वाली योगिता भयाना ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। 40 वर्षीय योगिता 13 साल से लगातार सामाजिक विकास, महिला सशक्तीकरण व लैंगिक समानता के लिए आवाज उठा रही हैं। निर्भया मामले में भी वे प्रमुख रूप से पैरोकार थीं। योगिता उन तमाम महिलाओं के लिए प्रकाश की वह किरण हैं जो हिसक घटनाओं के बाद गुमसुम हो जाती हैं। वे महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए कभी जल्लाद बनने को तैयार हो जाती हैं तो कभी केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा के दिन को 'दुष्कर्म रोकथाम दिवस' घोषित करने की मांग करती हैं। योगिता के मुताबिक वे महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार की घटनाएं रोजाना सुनती थीं, लेकिन निर्भया जैसी वीभत्स घटना ने उनके मन पर इतना गहरा प्रभाव छोड़ा कि उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया।
रातोंरात छोड़ी थी एयरलाइंस की नौकरी
दिल्ली के मिरांडा हाउस कॉलेज से स्नातक करने के बाद योगिता ने आपदा प्रबंधन में परास्नातक का कोर्स किया। इसके बाद वे एयरलाइंस में कार्य करने लगीं। योगिता बीते दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि एक रात वे एयरलाइंस में नौकरी करने के बाद घर लौट रही थीं, लेकिन सफर के दौरान उन्होंने एक महिला के साथ हुए अपराध की खबर सुनी और घर पहुंचते ही नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने सामाजिक कार्यो को करने का संकल्प लिया। वैसे तो वे 2007 से महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवाज उठा रही हैं, लेकिन 2012 के बाद से उन्होंने खुद को पूरी तरह से समाज सुधार के कार्यो से जोड़ लिया है। वे पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा, शारीरिक उपचार और मनोवैज्ञानिक परामर्श भी देती हैं। महिलाओं के हक में आवाज उठाने के लिए उन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से सम्मानित भी किया गया है।
लड़कों को दे रही हैं सीख
योगिता बताती हैं कि अक्सर किसी लड़की के साथ कोई अनहोनी होती है तो उसके परिवार व अन्य लोग यही सोचते हैं कि लड़की की ही गलती होगी। उसे ही दोषी ठहरा देते हैं, वहीं वे लड़कों की गलती पर पर्दा डालते हैं। इसी सोच को बदलने के लिए उन्होंने एक ऐसे अभियान की शुरुआत की है जिसका नाम है 'लड़कों से बात करो'। इस अभियान में वे गांव-गांव जाकर सभी को एकत्रित करती हैं और पंचायत स्तर पर उन्हें जागरूक करती हैं। वे कहती हैं कि अगर हम अपने लड़कों को ही सीख दें तो देश के किसी भी कोने में लड़कियों के साथ हो रहे अपराध अपने आप ही घट जाएं।
महिला सशक्तीकरण के लिए छेड़े कई अभियान
योगिता दिल्ली विधिक सेवा के यौन शोषण बोर्ड की सदस्य भी हैं। इससे पूर्व में वे राष्ट्रीय महिला आयोग, उत्तराखंड राज्य महिला सशक्तीकरण परिषद व दिल्ली सरकार के रोगी कल्याण समिति में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुकी हैं। उन्होंने महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए कई अभियान छेड़ रखे हैं। साल 2007 में उन्होंने उत्थान नाम से एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसके जरिये वे आज भी हिसा की शिकार, तलाकशुदा, विधवा व अकेली महिलाओं को सशक्त करने के लिए हर संभव मदद करती हैं। 2014 में उन्होंने 'निर्भया वाक' का आयोजन किया था। इसके साथ ही वे महिला और बाल यौन शोषण के पीड़ितों और उनके परिवार को चिकित्सकीय व आर्थिक सहायता से लेकर केस दर्ज कराने में भी मदद करती हैं। वे देश भर में महिला सुरक्षा के लिए 'पीपल अगेंस्ट रेप्स इन इंडिया' नाम की मुहिम भी चला रही हैं। इसके जरिये बड़ी संख्या में दुष्कर्म पीड़िता व उनके स्वजन उनकी मदद से अपने केस लड़ रहे हैं।
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