छठ बाद कैसे साफ रहेगी यमुना? जल प्रवाह में आई कमी; कुछ दिन पहले ही हथनी कुंड बैराज से छोड़ा गया था पानी
हर साल छठ पूजा के दौरान यमुना के पानी को लेकर राजनीति होती है। इस बार दिल्ली और हरियाणा सरकार के सहयोग से यमुना में पहले से बेहतर पानी था, क्योंकि हथनी कुंड बैराज से अधिक पानी छोड़ा गया था। चुनौती यह है कि छठ पूजा के बाद भी यमुना को साफ रखा जाए, क्योंकि बैराज से पानी कम छोड़ा जा रहा है, जिससे प्रदूषण बढ़ने की आशंका है। सरकार का दावा है कि यमुना की सफाई के लिए उठाए गए कदमों से प्रदूषण कम हुआ है।
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यमुना नदी में पानी का प्रवाह अब कम होने लगा है।
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। प्रत्येक वर्ष छठ पूजा के समय यमुना के पानी को लेकर राजनीति होती है। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक- दूसरे पर दूषित यमुना के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। इस बार भी राजनीति हुई परंतु, श्रद्धालुओं को नदी के तट पर सूर्य भगवान को अर्घ्य देने का अवसर मिला।
दिल्ली सरकार व हरियाणा सरकार के बीच सामन्जस्य होने से इस बार पूर्व के वर्षों की तुलना में यमुना का पानी भी साफ था। इसके लिए हथनी कुंड बैराज से नदी अधिक पानी छोड़ा गया था। अब छठ पूजा के बाद इसी तरह से यमुना को साफ रखने की चुनौती है।
रेखा गुप्ता सरकार ने यमुना किनारे छठ पूजा पर लगे प्रतिबंध को हटाने के साथ ही इसके आयोजन में सहयोग दिया। लोगों को साफ पानी मिले इसके लिए हरियाणा के यमुना नगर स्थित हथनी कुंड बैराज से पूर्वी यमुना नहर और पश्चिमी यमुना नहर का पानी रोककर यमुना में डाला गया। 21 अक्टूबर से पहले यमुना में तीन हजार क्यूसेक से कम पानी छोड़ा जा रहा था।
उसके बाद यह बढ़कर साढ़े चार हजार क्यूसेक से लेकर 10 हजार क्यूसेक तक पहुंच गया था। इससे दिल्ली में यमुना के प्रदूषण में कमी आई है। कालिंदी कुंज में झाग की समस्या के समाधान के लिए पिछले कई दिनों से रसायन का छिड़काव किया जा रहा था। इससे पिछले वर्षों की तरह व्रतियों को जहरीले झाग में खड़ा होकर अर्घ्य नहीं देना पड़ा।
साफ पानी मिलने से श्रद्धालु खुश थे, लेकिन आने वाले दिनों में यमुना में प्रदूषण बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। क्योंकि, 26 अक्टूबर से ही हथनी कुंड बैराज से कम पानी छोडा़ जा रहा है। रविवार शाम को यह कम होकर चार सौ क्यूसेक तक रह गया था। उसके बाद कुछ वृद्धि हुई है।
सोमवार को चार सौ क्यूसेक से लेकर साढ़े तीन हजार क्यूसेक तक पानी छोड़ा गया। बाढ़ नियंत्रण एवं सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दोनों नहरों में भी अब पानी शुरू कर दिया गया है। इस कारण यमुना में कम पानी छोड़ा जा रहा है।
जल मंत्री प्रवेश वर्मा का कहना है कि पिछले सात माह में यमुना की सफाई के लिए उठाए गए कदमों से यमुना में प्रदूषण कम हुआ है। पिछले वर्ष अक्टूबर में असगरपुर में फेकल कोलीफार्म (मल मूत्र से प्रदूषण) प्रति 100 मिलीलीटर में 80 लाख सर्वाधिक संभावित संख्या (एमपीएन) था। इस बार 20 अक्टूबर को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लिए गए नमूने में यह कम होकर आठ हजार रह गया है। अन्य स्थानों पर भी प्रदूषण में कमी आई है।

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