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    यमुना सफाई पर उड़े 6,856 करोड़ पर सुधार जीरो: CSE की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, नई 5-सूत्रीय योजना का सुझाव

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 12:03 PM (IST)

    सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना नदी की सफाई पर 6,856 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ है। सीएसई ने यमुना को साफ करने के लिए औद्योगिक कचरा प्रबंधन, सीवेज ट्रीटमेंट, वृक्षारोपण, जल संरक्षण और जन जागरूकता सहित 5-सूत्रीय योजना का सुझाव दिया है। यमुना की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए, सीएसई ने सरकार से तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है।

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    छह साल में यमुना सफाई पर खर्च हुए 6000 करोड़ से अधिक।

    जागरण संवाददाता, (संजीव गुप्ता) नई दिल्ली। सेंटर फार साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) का कहना है कि यमुना को साफ करना संभव है, लेकिन इसके लिए एक नई योजना और अलग तरह की कार्रवाई की जरूरत है। कारण, मौजूदा प्रयास पर्याप्त परिणाम नहीं दे रहे हैं। सीएसई के अनुसार इसके लिए प्रभावी योजनाओं और क्रियान्वयन के साथ-साथ आम जनता को भी शामिल करने की आवश्यकता है।

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    सीएसई द्वारा जारी आकलन 'यमुना : नदी की सफाई का एजेंडा' में सामने आया है कि यमुना की सफाई को लेकर 2017 से 2022 के बीच 6856 करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए हैं, लेकिन स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। इस आकलन के मुताबिक यमुना नदी की सफाई के लिए केवल पैसे से काम नहीं चलेगा, बल्कि योजना में बड़े बदलाव की जरूरत है।

    बताया गया है कि दिल्ली में यमुना के प्रदूषण का 84 प्रतिशत हिस्सा केवल नजफगढ़ और शाहदरा नालों से आता है और इंटरसेप्टर ड्रेन योजना उनके लिए काम नहीं कर रही है।

    आकलन में सामने आया कि दिल्ली में 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) हैं जो उत्पन्न सीवेज के 80 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्से का उपचार कर सकते हैं, लेकिन अभी भी प्रदूषण की समस्या है। मल निकासी वाले टैंकरों को भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण माना गया है क्योंकि वे अक्सर गंदे पानी को नालों में बहा देते हैं।

    योजना में बदलाव की जरूरत, यह दिए सुझाव:-

    • सीएसई का सुझाव है कि मल-मल निकासी वाले सभी टैंकरों पर जीपीएस लगाया जाना चाहिए ताकि गंदे पानी को सीधा एसटीपी तक पहुंचाया जा सके।
    • रिपोर्ट में एक पांच-सूत्रीय कार्य योजना की सिफारिश की गई है जिसमें उपचारित और अनुपचारित पानी के मिश्रण को रोकना और उपचारित पानी का पूरा उपयोग सुनिश्चित करना शामिल है।
    • मुख्य नाले नजफगढ़ और शाहदरा नाले, जो यमुना को सबसे ज़्यादा प्रदूषित करते हैं, के लिए योजना को फिर से तैयार करने की आवश्यकता है।
    • योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की कमी है। कई वर्षों में कई योजनाएं शुरू की गईं, लेकिन वे पूरी तरह से लागू नहीं हो पाईं, जिससे प्रदूषण अब भी एक गंभीर समस्या है।
    • नदी को स्वच्छ बनाने में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने की ज़रूरत है, जिसके लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाने होंगे।

    यमुना की गंदगी की समस्या कोई नई नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में इस पर बहुत धन खर्च किया गया है। हमें यह समझना होगा कि यमुना की सफाई के लिए धन से कहीं अधिक लक्ष्यबद्ध सोच की आवश्यकता होगी। इसके लिए एक तयशुदा योजना चाहिए होगी, जो हमें अलग तरह से सोचने और कार्य करने के लिए मार्गदर्शन करेगी।

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    सुनीता नारायण, महानिदेशक, सीएसई