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    Yamuna Pollution: छठ के बाद अब कम होने लगा पानी... दिल्ली में कैसे साफ रहेगी यमुना नदी?

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 02:26 PM (IST)

    दिल्ली में यमुना नदी का प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, जिसके कई कारण हैं जैसे औद्योगिक अपशिष्ट और सीवेज। नदी को साफ करने के लिए सरकार कई परियोजनाएं चला रही है, जिसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शामिल है। यमुना को साफ करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।

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    यमुना में फैले कूड़े की फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। छठ पूजा में श्रद्धालुओं को साफ पानी मिल सके इसके लिए हरियाणा के यमुना नगर स्थित हथनी कुंड बैराज से पूर्वी यमुना नहर और पश्चिमी यमुना नहर का पानी रोककर यमुना में डाला गया। 21 अक्टूबर से पहले यमुना में तीन हजार क्यूसेक से कम पानी छोड़ा जा रहा था। उसके बाद यह बढ़कर साढ़े चार हजार क्यूसेक से लेकर 10 हजार क्यूसेक तक पहुंच गया था।

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    इससे दिल्ली में यमुना के प्रदूषण में कमी आई। कालिंदी कुंज में झाग की समस्या के समाधान के लिए कई दिनों तक रसायन का छिड़काव किया जा रहा था। इससे पिछले वर्षों की तरह व्रतियों को जहरीले झाग में खड़ा होकर अर्घ्य नहीं देना पड़ा। साफ पानी मिलने से श्रद्धालु खुश थे, लेकिन आने वाले दिनों में यमुना में प्रदूषण बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

    क्योंकि, अब पहले की तुलना में नदी में कम पानी छोड़ा जा रहा है। रविवार शाम को यह कम होकर चार सौ क्यूसेक तक रह गया था। उसके बाद कुछ वृद्धि हुई है। सोमवार को भी दिन में चार सौ क्यूसेक से लेकर साढ़े तीन हजार क्यूसेक तक, लेकिन रात में लगभग सात हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया।

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    मंगलवार को भी दिन में कम और रात में अधिक पानी छोड़ा गया। बुधवार को सुबह से ही मात्र साढ़े तीन सौ क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। बाढ़ नियंत्रण एवं सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दोनों नहरों में भी अब पानी शुरू कर दिया गया है। इस कारण यमुना में कम पानी छोड़ा जा रहा है।

    जल मंत्री प्रवेश वर्मा का कहना है कि पिछले सात माह में यमुना की सफाई के लिए उठाए गए कदमों से यमुना में प्रदूषण कम हुआ है। पिछले वर्ष अक्टूबर में असगरपुर में फेकल कोलीफार्म (मल मूत्र से प्रदूषण) प्रति 100 मिलीलीटर में 80 लाख सर्वाधिक संभावित संख्या (एमपीएन) था। इस बार 20 अक्टूबर को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी द्वारा लिए गए नमूने में यह कम होकर आठ हजार रह गया है। अन्य स्थानों पर भी प्रदूषण में कमी आई है।