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    दिल्ली में जल बोर्ड कर्मियों की मिलीभगत से हो रही पानी की चोरी, अफसरों की नाक के नीचे चल रहा बड़ा खेल

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 09:44 AM (IST)

    दिल्ली में पानी की जरूरत 1250 एमजीडी है, जबकि आपूर्ति 1000 एमजीडी है। बिजली के 70 लाख कनेक्शनों के मुकाबले पानी के केवल 29 लाख कनेक्शन हैं, जिससे अवैध ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर।

    संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। राजधानी में आवश्यकता अनुसार पेयजल उपलब्ध नहीं है। यहां लगभग 1250 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमजीडी) पानी की आवश्यकता है। इसकी तुलना में मात्र एक हजार एमजीडी पानी मिलता है।

    एक तरफ पानी की कमी है, दूसरे तरफ इसकी चोरी नहीं रुक रही है। बिजली और पानी के वैध कनेक्शन में अंतर से यह पता चलता है कि राजधानी में लाखों की संख्या में लोग अवैध रूप से कनेक्शन लेकर पानी की चोरी कर रहे हैं।

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    दिल्ली में लगभग 70 लाख बिजली के कनेक्शन हैं। इसकी तुलना में पानी कनेक्शन की संख्या लगभग 29 लाख है। दिल्ली की 675 झुग्गी बस्तियों में लगभग साढ़े तीन लाख परिवार रहते हैं। इन बस्तियों में पानी के कनेक्शन नहीं हैं। टैंकर या फिर सामूहिक नल से पानी उपलब्ध कराया जाता है।

    वन क्षेत्र व अन्य प्रतिबंधित क्षेत्र में 97 अनधिकृत कॉलोनियों में भी लोगों के घरों में पानी के कनेक्शन नहीं हैं। अधिकारियों का कहना है कि झुग्गी बस्तियों व कुछ अनधिकृत कॉलोनियों को मिलाकर लगभग 10 लाख घरों में पाइप लाइन से पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। इन क्षेत्रों को छोड़ भी दिया जाए तो बिजली कनेक्शन के हिसाब से कम से कम 60 लाख पानी के कनेक्शन होने चाहिए।

    पानी कनेक्शन के लिए आधारभूत ढांचा शुल्क अधिक

    सरकार का भी मानना है कि पानी कनेक्शन लेने के लिए आधारभूत शुल्क बहुत अधिक होने से अवैध कनेक्शन बढ़ रहे हैं। ए, बी, सी श्रेणी के कॉलोनियों में घरेलू उपभोक्ताओं से पानी कनेक्शन शुल्क चार हजार रुपये और आधारभूत ढांचा शुल्क (200 वर्ग मीटर से बड़े भूखंड) 255.27 रुपये प्रति वर्गफुट देना होता है।

    एफ, जी, एच श्रेणी की कालोनियों में 63.81 रुपये प्रति वर्गफुट यह शुल्क वसूला जाता है। वहीं, व्यवसायिक उपभोक्ताओं से अधिकतम 446.70 रुपये प्रति वर्ग फुट की दर से शुल्क लिया जाता है। इससे बचने के लिए कई लोग जल बोर्ड के कर्मचारियों व अधिकारियों को रिश्वत देकर अवैध कनेक्शन लेकर पानी का उपयोग करते हैं।

    इसी तरह से पुरानी पाइप लाइन से रिसाव के कारण पानी बर्बाद हो रहा है। इस कारण दिल्ली में गैर-राजस्व जल (एनआरडब्ल्यू) 50 प्रतिशत है। इससे वैध उपभोक्ताओं को परेशानी और दिल्ली जल बोर्ड को राजस्व का नुकसान हो रहा है।

    भाजपा सरकार का कहना है कि आप सरकार के कार्यकाल में सितंबर, 2020 को दिल्ली जल बोर्ड की बैठक में प्रत्येक वित्त वर्ष के शुरू होते ही पानी व सीवर कनेक्शन के आधारभूत ढांचा शुल्क में पांच प्रतिशत वृद्धि करने का निर्णय़ लिया गया था। इसी के अनुसार प्रत्येक वर्ष एक अप्रैल को इसमें वृद्धि होती है।

    आधारभूत ढांचा शुल्क को तर्कसंगत बनाने की तैयारी

    दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने मार्च में ही अधिकारियों को इसे तर्कसंगत बनाने का निर्देश दिया था। इसे लेकर अधिकारियों की कई बैठकें होने के बाद भी निर्णय नहीं हो सका है।

    अधिकारियों के अनुसार दो प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। वर्तमान दरों में 50 प्रतिशत तक कटौती करने का प्रस्ताव दिया गया है। वहीं दूसरे प्रस्ताव में श्रेणी व भूखंड के आकार की जगह खपत आधारित ढांचा शुल्क लागू करने का सुझाव है।

    कनेक्शन वैध कराने पर जुर्माने में छूट

    दिल्ली सरकार द्वारा 14 अक्टूबर को की गई घोषणा के अनुसार 31 अक्टूबर तक कनेक्शन वैध कराने पर घरेलू उपभोक्ता से 26000रुपये की जगह मात्र एक हजार रुपये जुर्माना लिया जाएगा। गैर घरेलू श्रेणी के उपभोक्ता से 61000 रुपये के स्थान पर मात्र पांच हजार रुपये देने होंगे।