तपती गर्मी में प्याऊ से बुझा रहे लोगों की प्यास
मानव सेवा जो करे वो सदा सुख पाएं, मन की शांति तब मिले जब किसी का जीवन सफल हो जाएं। दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो मुश्किल से मुश्किल काम भी आसान हो जाता है।
पुष्पेंद्र कुमार, पूर्वी दिल्ली
मानव सेवा जो करे वह सदा सुख पाए, मन की शांति तब मिले जब किसी का जीवन सफल हो जाए। दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो मुश्किल काम भी आसान हो जाता है। तपती गर्मी में प्याऊ लगाकर लोगों की प्यास बुझाने से बड़ा कोई पुण्य का काम नहीं है। यह एक प्रयास है, जो नि:स्वार्थ भाव रखते हुए समाज हित में लगातार कार्य करना ही मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। कुछ ऐसा ही मानना है शाहदरा के कबीर नगर में रहने वाले मोहन बाबा का।
बाबा ने बताया कि 68 वर्ष की उम्र में युवाओं जैसा समाज सेवा का जज्बा आज भी बरकरार है। 48 साल पहले नि:स्वार्थ जल सेवा की नींव मथुरा शहर में रखी थी, जहां आठ साल तक लोगों की प्यास बुझा रहा था। ऐसे ही मेरठ, बुलंदशहर व दनकौर जैसे शहरों में जाकर लोगों की प्यास बुझा रहा था। अब लगभग 10 साल से दिल्ली के जीटीबी अस्पताल के सामने प्याऊ लगाकर राहगीरों व तीमारदारों से लेकर हजारों की संख्या में लोग की यहां प्यास बुझा रहा हूं। उन्होंने बताया कि रोजाना लगभग 2800 लीटर पानी लोगों को पिलाता हूं और यहां 24 घंटे पानी की सेवा बरकरार रहती है। उनका कहना है कि जलसेवा से बड़ा पुण्य का कार्य नहीं है। उन्होंने बताया कि समाजसेवा के कार्य के लिए उन्हें स्वतंत्रता सेनानी प्रवास्त संस्था ने गोल्ड मेडल से सम्मानित भी किया है और नि:स्वार्थ जल सेवा को केंद्र सरकार से मान्यता भी प्राप्त है। इससे वे कहीं भी ठीया लगाकर लोगों की प्यास बुझाने में जुट जाते हैं। उन्होंने बताया कि वे गर्मी के दिनों में जल सेवा करते हैं। सर्दी आते ही वे परिवार वालों के पास मथुरा के अपने गांव लौट जाते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।