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वर्मी कंपोस्ट से उगा रहे फल, सब्जियां

घोंडा स्थित राजकीय उचतर माध्यमिक बाल विद्यालय नंबर एक में लगे वर्मी कंपोस्ट प्लांट के जरिये बचों व शिक्षकों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 09:51 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 09:51 PM (IST)
वर्मी कंपोस्ट से उगा रहे फल, सब्जियां
वर्मी कंपोस्ट से उगा रहे फल, सब्जियां

रितु राणा, पूर्वी दिल्ली:

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घोंडा स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक बाल विद्यालय नंबर एक में लगे वर्मी कंपोस्ट प्लांट के जरिये बच्चों व शिक्षकों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस प्लांट में केचुओं का प्रयोग कर जैविक खाद तैयार की जा रही है। जिसके प्रयोग से बच्चे व शिक्षक स्कूल के साथ-साथ अपने घर पर भी बागबानी करते हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए 2019-20 के सत्र में स्कूल को दिल्ली स्टेट साइंस प्रदर्शनी में पहला स्थान प्राप्त हुआ है।

उर्वरा प्रोजेक्ट के तहत 2018 में लगाया गया था वर्मी कंपोस्टिग प्लांट

स्कूल के शिक्षक परविदर कुमार ने 2018 में स्कूल में वर्मी कंपोस्टिग (खाद) प्लांट लगाकर अपने प्रोजेक्ट उर्वरा की शुरुआत की। उन्होंने दो नारे दिए 'पर्यावरण सुरक्षा में सहयोग करें, कंपोस्ट का उपयोग करें' व 'अपने घरों व विद्यालय में कंपोस्ट पिट बनाइए और वातावरण को शुद्ध बनाइए'। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत वह अपने स्कूल में पिछले दो वर्षों से जैविक खाद तैयार कर रहे हैं। साथ ही हर कक्षा के बच्चों को प्लांट के जरिये खाद कैसे बनती है, इसकी पूरी प्रक्रिया समझाई जाती है। इस खाद को ब्लैक गोल्ड कहते हैं और यह सबसे सस्ती खाद होती है। ऐसे तैयार होती है खाद स्कूल में एक कंपोस्ट पिट बनवाई गई है, जिसमें अफ्रीकन ब्रीड के लाल केचुओं को रखा गया है। यह पांच से छह इंच तक बढ़ते हैं और दो साल तक रहते हैं। ये गोबर, मिट्टी, कार्बनिक पदार्थ, सूखे पत्ते आदि खाते हैं और हर दिन उसे बाहर निकालते हैं। जिससे तीन माह में पूरी खाद बनकर तैयार हो जाती है। परविदर कुमार ने बताया कि अक्सर खेती में रसायन का ही प्रयोग होता है, जो हमारे शरीर के लिए खतरनाक होते हैं, क्योंकि रसायन कभी खत्म नहीं हो सकते। रसायन को खत्म करने के लिए ही बच्चों को जैविक खेती करने की विधि सिखाई जा रही है। वर्मी कंपोस्ट से पौधों व अन्य जीवों के स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। ---

घर की बगिया में उगा रहे वर्मी कंपोस्ट से फल व सब्जियां इस खाद का उपयोग स्कूल के बच्चे व शिक्षक अपने घरों में फल व सब्जियां उगाने में करते हैं। परविदर कुमार ने बताया कि अब खाद की मात्रा इतनी अधिक होने लगी है कि वह दूसरे स्कूलों में भी इसे भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब हम अपने स्कूल व घरों में रसायन इस्तेमाल करने के बजाय जैविक खाद का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि रसायन ही कैंसर आदि खतरनाक बीमारी का कारण होते हैं, लेकिन हम जैविक खेती करें तो हमें बहुत स्वस्थ फल व सब्जियां मिलेंगी, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होंगी। इस खाद से वह खुद अपने घर में अमरूद, संतरा, बैंगन, टमाटर, नींबू आदि उगा रहे हैं।


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