1008 घरों में दिखी वृंदावन की झलक
फोटो नंबर 12 यूटीएम जागरण संवाददाता पश्चिमी दिल्ली कोरोना महामारी में सभी सुरक्षित रहे और जन्माष्टमी पर मंदिरों में होने वाली आपाधापी के बचे इसके ल ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : कोरोना महामारी में सभी सुरक्षित रहे और जन्माष्टमी पर मंदिरों में होने वाली आपाधापी के बचे इसके लिए पंजाबी बाग स्थित इस्कॉन मंदिर ने इस बार मंदिर के साथ-साथ 1008 भक्तों को चिन्हित किया, जिन्होंने अपने-अपने घरों में हर्षोल्लास के साथ जन्माष्टमी उत्सव मनाया। इन सभी 1008 भक्तों ने न सिर्फ वृंदावन की थीम पर आधारित अपने-अपने घरों में मंदिर की सजावट की, बल्कि विधि-विधान के साथ भगवान का जन्मोत्सव मनाया। सुबह चार बजे मंगल आरती से लेकर ठाकुर जी का श्रृंगार, 56 भोग, कीर्तन, अभिषेक को इन 1008 भक्तों ने परिवार के साथ मिलकर पूरा किया। इस दौरान इन्होंने पूरी प्रक्रिया की विडियो बनाई और उसे साझा किया। साथ ही बीच-बीच में यू-ट्यूब पर मंदिर में जन्मोत्सव को लेकर आयोजित हो रहे कार्यक्रम का सजीव प्रसारण भी देखा। इन भक्तों ने बताया कि वे सौभाग्यवान हैं कि उन्हें जन्मोत्सव मनाने का अवसर मिला है। बॉक्स
जिस समय उन 1008 भक्तों में से मुझे भी चिन्हित किया गया था, तब मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि भगवान ने मुझे अपनी सेवा के लिए चुना है। जिस तरह भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं अद्भुत हैं, ठीक उसी तरह ये समय भी खास है। हर साल जन्माष्टमी पर भागदौड़ के चलते कीर्तन करने व भजन सुनने का समय नहीं मिल पाता था। पर पहली बार घर पर शांतिमय माहौल के बीच अपने हाथों से ठाकुर जी के जन्म से जुड़ी विधियों को अदा करने का अवसर प्राप्त हुआ है।
तेजना खोसला, जनकपुरी कोरोना महामारी के चलते हम घर से बाहर नहीं जा सकते हैं, ऐसे में घर पर ही जन्माष्टमी उत्सव मनाया गया है। बीते एक माह से जन्माष्टमी पर वृंदावन थीम पर आधारित सजावट करने के लिए मैं तैयारियां कर रही हूं। जिसमें यमुना नदी, कुंज, गोस्वामी मंदिर सभी की झाकियां बनाई हैं। ठाकुर जी का श्रृंगार भी पूरी तरह वृंदावन की थीम पर किया गया है। ठाकुर जी को भोग लगाने के लिए घर पर ही मैंने 56 प्रकार के भोग तैयार किए हैं। यह काफी सुखद अनुभव है।
समीधा मल्होत्रा, पश्चिम पुरी मैंने जन्माष्टमी पर व्रत रखा है। पूरे दिन ठाकुर जी के कीर्तन से हमे शक्ति मिली, जिसकी बदौलत मैंने अपने व्रत को पूरा किया। वृंदावन की थीम
पर मैंने कुंज, जहां राधा रानी और श्रीकृष्ण मिलते थे उस पर ध्यान केंद्रित किया है। उस जंगल रूपी दृश्य को दर्शाने का मैंने अपना स्तर पर पूरा प्रयास किया है। जन्माष्टमी मेरे लिए कोई एक दिवसीय उत्सव नहीं है, बल्कि मैं बीते 15 दिनों से इसकी तैयारियों में जुटी हूं। यह अनुभव मेरे लिए बेहद खास है।
माधवी गौरी देवी दास, जनकपुरी

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