'पति को अपशब्द कहना और सास पर निंदनीय आरोप लगाना वैवाहिक क्रूरता के समान', दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने पति को अपशब्द कहने और सास पर आरोप लगाने को वैवाहिक क्रूरता मानते हुए तलाक को सही ठहराया। अदालत ने पत्नी की याचिका खारिज करते हुए कहा कि अपमानजनक भाषा और शारीरिक हिंसा तलाक के लिए पर्याप्त आधार हैं। पत्नी द्वारा पति को भेजे गए अपमानजनक संदेशों को भी क्रूरता माना गया। परिवारवाद न्यायालय के तलाक के फैसले को हाई कोर्ट ने बरकरार रखा।

पति को अपशब्द कहना और सास के विरुद्ध निंदनीय आरोप लगाना वैवाहिक क्रूरता के साथ तलाक का आधार माना।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने पति को अपशब्द कहना और सास के विरुद्ध निंदनीय आरोप लगाना वैवाहिक क्रूरता के साथ तलाक का आधार माना है। जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने परिवादवाद न्यायालय द्वारा पति के पक्ष में दी गई तलाक की डिक्री को बरकरार रखा है।
इस मामले में पत्नी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि परिवारवाद न्यायालय ने उनके खिलाफ की गई क्रूरता पर विचार नहीं किया। उन्होंने दावा किया कि प्रतिवादी ने जाति-आधारित टिप्पणियां करके उनका अपमान किया, पेशेवर जिम्मेदारियों के बावजूद उन्हें घरेलू काम करने के लिए मजबूर किया। इसके बाद झूठी मुकदमेबाजी की।
हाई कोर्ट ने कहा कि पत्नी के दावे करने मात्र से उसके द्वारा की गई क्रूरता स्वतः समाप्त नहीं हो जाती। यह स्पष्ट हो चुका है कि अपमानजनक भाषा का उपयोग, शारीरिक हिंसा अपने आप में इतने गंभीर हैं कि विवाह को भंग करने की मांग को उचित ठहराते हैं। कोर्ट ने नोट किया कि याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी को घृणित, अपमानजनक और निंदनीय मैसेज भेजे। ये क्रूरता के समान है।

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