शवों की शिनाख्त में दिल्ली पुलिस का रिकॉर्ड खराब
राष्ट्रीय राजधानी की दिल्ली पुलिस भले ही हाईटेक होने का दंभ भरती हो लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं दूर है। अज्ञात शवों के शिनाख्त करने में दिल्ली पुलिस क ...और पढ़ें

विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी की दिल्ली पुलिस भले ही हाईटेक होने का दंभ भरती हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं दूर है। अज्ञात शवों की शिनाख्त करने में दिल्ली पुलिस का रिकॉर्ड बेहद खराब है। सूचना के अधिकार के तहत सामने आए आंकड़ों पर गौर करें तो गत पांच साल में दिल्ली में मिले अज्ञात शवों में से पुलिस महज दो फीसद शवों की ही शिनाख्त कर सकी। यह एक गंभीर मामला है, क्योंकि शवों की शिनाख्त नहीं होने के कारण सैकड़ों आपराधिक मामलों से आज तक पर्दा नहीं उठ सका।
दिल्ली हाई कोर्ट के अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने दिल्ली पुलिस से सूचना का अधिकार के तहत राजधानी में मिलने वाले अज्ञात शवों व उनकी पहचान के संबंध में गत पांच साल का आंकड़ा मांगा था। दिल्ली पुलिस की तरफ से 27 मार्च 2019 को दिए गए जवाब के तहत पिछले पांच साल में दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में कुल 3879 शव बरामद किए गए। इसमें दिल्ली पुलिस महज 86 शवों की पहचान करा सकी। वहीं 3793 शवों की आज तक पहचान नहीं हो सकी। शिनाख्त नहीं होने के कारण बंद हो गई फाइल
अधिवक्ता शशांक देव सुधी का कहना है कि अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार की वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी नहीं होती है और न ही अंतिम संस्कार के बाद राख या अन्य सामान को ही रखा जाता है। शवों की शिनाख्त नहीं होने के कारण एफआइआर बंद कर दी जाती है। उनका कहना है कि राजधानी में हर साल सात सौ से आठ सौ आपराधिक मामलों की फाइल बगैर किसी जांच के बंद हो जाती है। लोगों को यही नहीं पता चलता कि अपराध किसने किया, मरने वाला कौन था, उसे क्यों मारा गया?
शव के अंतिम संस्कार के शिनाख्त के लिए बुलाया
अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की मांग को लेकर भी अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता रामानुज पुरुषोत्तम का बेटा चार दिसंबर 2017 गायब हो गया था। इसकी गुमशुदगी की छह दिसंबर को पुलिस से शिकायत की, लेकिन आठ दिसंबर को उसका शव भी बरामद हो गया। पुलिस ने बगैर शिनाख्त कराए पोस्टमार्टम के दो दिन के बाद ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया। 28 जनवरी को जब रामानुज थाने पहुंचे तो पुलिस ने अंतिम संस्कार किए जा चुके शवों का फोटो दिखाया तो उसमें उनके बेटे का भी फोटो था। याचिका में आरोप लगाया गया कि जैतपुर थाने में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद उनके बेटे का शव मिलने की जानकारी उन्हें समय पर नहीं दी गई। आधार से अज्ञात शव की पहचान की उठी है मांग
अज्ञात शवों की पहचान भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) से कराने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर है। याचिकाकर्ता अमित साहनी ने तर्क दिया कि गुमशुदा बच्चों की तलाश के लिये आधार का इस्तेमाल किया जाता है। अब इसका इस्तेमाल अज्ञात शव की पहचान के लिये भी किया जा सकता है। हालांकि, यूआइडीएआइ ने कहा कि किसी अज्ञात शव के फिगर प्रिट का मिलान उसके डेटाबेस में संरक्षित बायोमैट्रिक्स से कराया जाना तकनीकी व कानूनी रूप से संभव नहीं है। ऐसा करना आधार कानून के खिलाफ भी है। मामला हाई कोर्ट में अभी लंबित है और आगामी 23 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
वर्ष अज्ञात शव अज्ञात शवों की पहचान अब तक नहीं हुई पहचान
2014 744 29 715
2015 905 28 877
2016 740 06 734
2017 688 14 674
2018 802 09 793
स्त्रोत- दिल्ली पुलिस द्वारा सूचना के अधिकार के माध्यम से दी गई जानकारी। समाप्त विनीत
29 मार्च

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