पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की याचिका खारिज
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला की तरफ से तलाक के मामले में दायर याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने पूर्व में आदेश दिया था कि तलाक के मामले में अंतिम बहस के लिए दोनों पक्षों की सहमति आवश्यक है। अब्दुल्ला ने इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर कहा था कि दूसरा पक्ष सहमति नहीं दे रहा है। इस फैसले की वजह से उनकी तलाक की अर्जी खारिज हो चुकी है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की तरफ से तलाकके मामले में दायर याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने पूर्व में आदेश दिया था कि तलाक के मामले में अंतिम बहस के लिए दोनों पक्षों की सहमति होना आवश्यक है। इस फैसले के खिलाफ अब्दुल्ला ने याचिका दायर कर कहा था कि दूसरा पक्ष सहमति नहीं दे रहा है।
इससे पहले तलाक के मामले में जल्द सुनवाई की मांग को लेकर उमर अब्दुल्ला द्वारा दाखिल की गई याचिका पर विचार करने से दिल्ली हाई कोर्ट ने इन्कार कर दिया था। पीठ ने कहा था कि सुनवाई की तारीख बदलने के लिए अब्दुल्ला की पत्नी पायल अब्दुल्ला की राय भी जरूरी है। पीठ ने कहा था कि न तो पायल के अधिवक्ता सुनवाई में मौजूद हैं और न ही पायल का पक्ष ही आवेदन में दिया गया है।
उमर के वकील ने पीठ को बताया था कि दूसरे पक्ष की तरफ से सहयोग नहीं मिलने के कारण ही यह आवेदन दाखिल किया गया है। 30 अगस्त 2016 को पटियाला हाउस कोर्ट ने उमर की तलाक की याचिका खारिज कर दी थी। दोनों वर्ष 2009 से ही अलग रह रहे हैं।
अदालत ने कहा था कि उमर अब्दुल्ला पत्नी से अचानक संबंध खराब होने के संबंध में कोई ठोस सुबूत पेश नहीं कर पाए हैं। तलाक की अर्जी में उमर अब्दुल्ला ने पत्नी के क्रूर व्यवहार को आधार बनाया था, लेकिन पत्नी के खिलाफ उन्होंने कोई सुबूत नहीं दिया।
याचिका में उमर अब्दुल्ला की तरफ से कहा गया था कि पायल का व्यवहार बर्दाश्त योग्य नहीं है। पायल उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करती थीं। वर्ष 1994 में उनकी शादी पायल से हुई थी। शुरुआत में सबकुछ ठीक चलता रहा। वर्ष 2007 में अचानक पत्नी का व्यवहार बदल गया। वह उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगीं। पत्नी के व्यवहार से तंग होकर वर्ष 2009 में उन्होंने अलग होने का निर्णय किया। तभी से वह अलग रह रहे हैं। हालांकि अदालत ने इन आरोपों को ठुकरा दिया था।
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