मर्डर केस में फरार अपराधी दिल्ली पुलिस ने लागू किया ट्रायल इन एब्सेंटिया, बिना पेशी के भी चलेगा केस
दिल्ली पुलिस ने एक हत्या के मामले में पहली बार 'ट्रायल इन एब्सेंटिया' लागू किया है। अब फरार अपराधी मुकदमे को बाधित नहीं कर पाएंगे, क्योंकि अदालत उनकी अनुपस्थिति में भी मुकदमा चला सकती है। यह कदम न्याय प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने और फरार अपराधियों पर लगाम लगाने में मदद करेगा।

जागरण संवादाता, नई दिल्ली। नरेला में हुई बुजुर्ग की हत्या के मामले में फरार चल रहे आरोपित के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने पहली बार भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के सेक्शन 356 (ट्रायल इन एब्सेंटिया) का इस्तेमाल किया है। इसके तहत आरोपित के कोर्ट में पेश हुए बिना ही आरोप निर्धारित किए जा सकते हैं। ऐसे में यह राजधानी का पहला मामला होगा, जिसमें हत्यारोपित के अदालत में पेश हुए बिना ही सुनवाई होगी।
लंबे अर्से से फरार
दिल्ली पुलिस का दावा है कि राजधानी ही नहीं यह देश का ऐसा पहला मामला होगा, जिसमें इस सेक्शन के तहत अदालत में सुनवाई होगी। इससे अब आरोपित के कोर्ट में पेश नहीं होने की वजह से ट्रायल बाधित नहीं होगा। इस सेक्शन से उन आरोपितों को न्याय के कठघरे में लाया जा सकेगा, जो जमानत मिलने के बाद लंबे अर्से से फरार हैं और पुलिस उन्हें कोर्ट में पेश नहीं कर पा रही है।
हत्या उसने पिता के साथ मिलकर की
नरेला में 29 जनवरी को बुजुर्ग रमेश भारद्वाज (68 साल) की गुमशुदगी उनकी बेटी ने दर्ज कराई थी। पुलिस को पता चला कि रमेश ने कुछ दिन पूर्व ही मुकुंदपुर में 4.5 लाख रुपये का प्लाट बेचा था। इसके बाद वह आखिरी बार अपने पूर्व नौकर जितेंद्र महतो के साथ देखे गए थे। शक होने पर पुलिस ने जितेंद्र के बेटे अभिषेक से सख्ती से पूछताछ की तो उसने पुलिस को बताया कि रमेश की हत्या उसने पिता के साथ मिलकर की है।
दोनों ने शव को नाले में फेंक दिया
इसके बाद दोनों ने शव को नाले में फेंक दिया। आरोप लगाया कि हत्या की साजिश में रमेश का बेटा लव भी शामिल था, क्योंकि वह अपने पिता के रुपये हड़पना चाहता था। अभिषेक की निशानदेही पर पुलिस ने नाले से सड़ी-गली हालत में शव बरामद करने के बाद अभिषेक को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उसका पिता जितेंद्र महतो पुलिस के हाथ नहीं आया। यहां बता दें कि पिछले सप्ताह आरोप-पत्र पर बहस के दौरान रोहिणी कोर्ट ने रमेश भारद्वाज के बेटे लव भारद्वाज को पिता की हत्या के षड्यंत्र में शामिल होने के आरोप से बरी कर दिया है लेकिन जितेंद्र पुलिस के हाथ नहीं आया।
आरोप साबित होने पर सजा भी सुनाई जाएगी
इसके बाद दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में ट्रायल के लिए बीएनएसएस के सेक्शन 356 (ट्रायल इन एब्सेंटिया) का प्रयोग करने के लिए आवेदन किया। उत्तरी बाहरी दिल्ली जिला पुलिस उपायुक्त हरेश्वर स्वामी का कहना है कि दिल्ली पुलिस अपराधियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है। दिल्ली की अदालत में पहली बार इस सेक्शन के तहत बुजुर्ग की हत्या के आरोप में जितेंद्र की मौजूदगी के बिना ही सुनवाई होगी। यही नहीं आरोप साबित होने पर सजा भी सुनाई जाएगी।
"पहले आरोपित के फरार होने पर केवल पीओ घोषित कर देते थे, उसके बाद ट्रायल बंद हो जाता था। गिरफ्तारी नहीं होने तक ट्रायल शुरू नहीं होने की वजह से अपराधी वर्षों तक सजा से बचे रहते थे। अब सेक्शन 356 के अनुसार, अपराधी के भगोड़ा घोषित करने के बाद कोर्ट ट्रायल शुरू कर सकती है। ट्रायल शुरू करने से पहले कोर्ट अपराधी व उसके वकील को सूचित करती है।"
-विनीत दहिया, अतिरिक्त लोक अभियोजक, रोहिणी जिला न्यायालय
यह भी पढ़ें- Road Safety: दिल्ली की सड़कों पर ‘डेथ कट’: रोहतक रोड से रोहिणी तक 40 से ज्यादा अवैध यू-टर्न बने खतरे की जड़

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।