सरस मेले में उमड़ी भीड़ पर ट्रैफिक व्यवस्था बेदम, सुंदर नर्सरी के आसपास घंटों जाम से परेशान रहे लोग
दिल्ली के सरस मेले में भारी भीड़ के चलते ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई। सुंदर नर्सरी के पास घंटों जाम लगने से लोग परेशान रहे। अचानक भीड़ बढ़ने से ट्रैफिक ...और पढ़ें

चिड़ियाघर से निजामुद्दीन जाने वाले मार्ग पर जाम से परेशान व्यक्ति अपनी कार से बाहर निकलकर फोन पर बात करते हुए। जागरण
जागरण संवाददाता, दक्षिण दिल्ली। सुंदर नर्सरी में चल रहा सरस मेला यूं तो राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त है, पर समुचित पार्किंग की व्यवस्था न होने के कारण परेशानी के लिए भी विख्यात होता जा रहा है। अवकाश का दिन होने के चलते रविवार को सुबह से ही दूर-दराज के लोगों की आवाजाही शुरू हो गई।
पार्किंग फुल होने से परिवार के साथ पहुंचे वाहन चालकों को लौटाया भी जाने लगा। सुंदर नर्सरी की ओर जाने वाले मार्ग पर बैरिकेड लगा दिए गए। लोधी रोड, लाजपत नगर और जंगपुरा की तरफ से सुंदर नर्सरी जाने के लिए वाहनों की कतार लग गई। आधा किलोमीटर की दूरी तय करने में भी एक-एक घंटे लगे। घंटों की मशक्कत उठाकर पहुंचे कई परिवारों को सरस मेला देखे बिना ही वापस लौटना पड़ा।
भोगल चौक पर वाहनों के पहिए थमने
करीब 11.30 बजे आश्रम चौक क्रास करते ही भोगल फ्लाइओवर पर वाहनों के पहिए थमने शुरू हो गए। इसके बाद निजामुद्दीन थाने के सामने तक भीषण ट्रैफिक जाम लगा रहा। ट्रैफिक में फंसे लोग एक से डेढ़ घंटे के बाद ही निकल पा रहे थे। कमाेबेश यही हाल लोधी रोड की तरफ से सुंदर नर्सरी की तरफ आ रहे मार्ग का था।
यहां लोधी रोड के दोनों तरफ का ट्रैफिक ओबेराय फ्लाइओवर के नीचे अनियंत्रित होकर फंस गया। हैरानी की बात तो यह थी कि इस चौक पर कोई भी पुलिसवाला नहीं था। जाम में फंसे लोग पुलिस प्रशासन को ही कोस रहे थे। कुछ युवक व अन्य लोग ट्रैफिक को सुचारू करने का प्रयास कर रहे थे, पर कोई उनकी सुन नहीं रहा था।
दोपहर को करीब ढाई बजे के आसपास नीला गुंबद चौक पर ट्रैफिक संभालने वाले पुलिसकर्मियों ने वाहनों को संभालने का प्रयास तो किया, पर उनकी मेहनत तब खराब हो गई, जब नर्सरी के भीतर बनी बड़ी पार्किंग पूरी तरह फुल हो गई। सभी वाहनों को नर्सरी के मुख्य गेट पर ही रोकना शुरू कर दिया।
काफी देर तक जाम में फंसे वाहन चालकों को जब नर्सरी के मुख्य द्वार पर पहुंचने के बाद अंदर जाने से पुलिस वालों ने रोका तो मामला झगड़े और कहासुनी तक पहुंच गया था। लोग पुलिस वाहनों से बहस करते हुए नजर आए। कई लोग तो अपने परिवार सहित जाम में इतनी ज्यादा पस्त हो गए थे कि वे लाल-सुर्ख चेहरा लिए हुए वापस अपने घरों को लौट गए।
जाम में फंसे लोग बोले
मैं दोपहर 12 बजे कोटला गांव से अपनी पत्नी के साथ यह मन बनाकर आया था कि रविवार की छुट्टी सरस मेला देखकर ही बिताएंगे। डेढ़ घंटे से ज्यादा हो चुका है इस जाम में फंसे हुए। चार सौ मीटर का यह पैच ट्रैफिक जाम में 10 सेंकेंड के लिए सरकता है, फिर बीस मिनट के लिए रुक जाता है। नीला गुंबद मेरे सामने दिख रहा है, लेकिन हम वहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। पुलिस प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए, जब उन्हें पता है कि ट्रैफिक जाम के हालात है तो किसी न किसी इस बात की सूचना पब्लिक प्लेटफार्म, विज्ञापन, रेडियो इत्यादि के जरिए जनता को बतानी चाहिए, ताकि पब्लिक घर से न निकलें।
अरुण, निवासी कोटला मुबारकपुर।
मैं आश्रम की तरफ से निजामुद्दीन जा रहा हूं। करीब पौना घंटा हो गया है और जाम में ही फंसा हुआ हूं। दिल्ली की पहचान अब ट्रैफिक जाम के रूप में होने लगी है। दिल्ली पुलिस के पास कोई ठोस कार्ययाेजना नहीं है, जिससे कि दिल्ली वालों को ट्रैफिक जाम से बचाया जा सके। जाम में आम व खास सब फंस रहे हैं, पर यदि कोई वीवीआइपी आ जाए तो उनके लिए जनता को ही झेलना होता है। कोई मेला, इवेंट हो तो दिल्ली पुलिस ट्रैफिक संभालने में नाकाम रहती है।
राजू, निवासी हरदोई-उत्तर प्रदेश।
निजामुद्दीन क्षेेत्र में स्मारक, दरगाह व सुंदर नर्सरी में आयोजनों के चलते अवकाश के दिनों में ट्रैफिक पर दबाव रहता है। सुगम यातायात को लेकर आ रही समस्याओं की नए सिरे से समीक्षा कर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। जाम के सभी प्वाइंट को चिन्हित किया जाएगा। जहां भी जरूरत होगी, अतिरिक्त ट्रैफिक जवानों की ड्यूटी लगाई जाएगी।
दिनेश कुमार गुप्ता, एडिशनल सीपी-ट्रैफिक।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।